चित्रा और मैं-2

इत्तेफ़ाक़ से अगले शनिवार को ही मम्मी-पापा को सुबह 6 बजे एक सत्संग में जाना था, और चित्रा और मैं भी उस दिन जल्दी उठ गए थे। पापा-मम्मी के चले जाने के बाद मैंने चित्रा कहा कि पहले वह नहाContinue reading… चित्रा और मैं-2

चित्रा और मैं-3

ड्राइंग रूम में दीवान पर चित्रा की पढ़ाई के लिए छोटी टांग वाली एक स्टडी डेस्क रक्खी रहती थी, और वहीं वो या तो अल्थी-पालथी मार के या फिर कभी एक टांग नीचे लटका के पढ़ने के लिए बैठती थी।Continue reading… चित्रा और मैं-3

मेरे चारों बच्चे मेरी जान-1

सभी पाठकों को मेरा नमस्कार। किसी के पूछने या सोचने से पहले ही बता दूँ की यह एक सच्ची कहानी है और लोग चाहे कितने भी हैरान क्यों ना हो, बंद कमरे में क्या होता है, किसके साथ होता है,Continue reading… मेरे चारों बच्चे मेरी जान-1

मेरे चारों बच्चे मेरी जान-2

अभिषेक अब 18 का हो गया था और बारहवीं पास कर ली थी। अच्छे नंबर से ही पास हुआ था और दिल्ली के किसी भी अच्छे कॉलेज में दाखिला मिल जाता। लेकिन उसके सपने कुछ अलग थे। एक दिन मैंContinue reading… मेरे चारों बच्चे मेरी जान-2

मेरे चारों बच्चे मेरी जान-3

कुछ मिनटों के बाद, मैंने हलके हलके से उसके होंठ चूसना शुरू किया। अब वो भी मेरे चुम्बन का उतर दे रहा था। उसने धीरे से मेरे एक हाँथ में अपना हाँथ फसा लिया। मेरा दूसरा हाँथ उसके छाती पेContinue reading… मेरे चारों बच्चे मेरी जान-3