नमस्ते. यह मेरी देसी चूत की देसी चुदाई की पहली स्टोरी है. मेरा नाम लकी है. मै दिल्ली में अपने मम्मी-पापा और भाई के साथ रहता हूं. इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा हूं. मै एक साधारण सा दिखने वाला 19 वर्ष का लड़का हूं.
उस वक्त हमारे परिवार में गाँव वाले घर में शादी थी. मेरा परिवार बहुत बड़ा है. मेरी छुट्टियां चल रही थीं इसलिए मै जल्दी ही गाँव चला गया था. घर में बहुत काम होने के कारण मेरी ताई जी ने अपनी भतीजी को बुला रखा था. उस लड़की का नाम नेहा था. घर में कम लोग होने के कारण मेरी नेहा से बहुत जल्दी दोस्ती हो गई.
एक दिन जब मै उल्टा सोया हुआ था तब वो आकर मेरे चूतड़ों के ऊपर अपने चूतड़ रख कर बैठ गई शरारत करने के लिए! उसके मुलायम चूतड़ों का अहसास इतना अच्छा था कि उसके भारी वजन का पता ही नहीं चला.
तब मुझे लगा कि अगर मै थोड़ी मेहनत करता हूं तो नेहा को चोदने का सौभाग्य प्राप्त हो सकता है.
मै आपको उसके फिगर के बारे में तो बताना ही भूल गया. देखने में तो वो साधारण देसी लड़की ही थी. पर उसकी काया मस्त 34-30-34 की फिगर वाली थी. अगर आप उसे एक बार देख लो तो कसम से उसको एक बार चोदने का विचार जरूर आ जाएगा.
उस घटना के बाद मै उसके चक्कर में रहने लगा. आखिर कर एक दिन ऐसा आ ही गया.
उस दिन अचानक मेरी तबियत थोड़ी ख़राब हो गई. मै अपने रूम में वैसे तो अकेला ही सोता था. पर तबियत ख़राब होने के कारण मेरा ख्याल रखने के लिए ताई जी ने नेहा को मेरे साथ सोने को बोल दिया.
मै ऊपर चौबारे में सोता था जो गेस्ट रूम की इस्तेमाल करते थे. जहाँ 2 बिस्तर लगे थे.
नेहा मेरे से 3 साल बड़ी थी तथा घर वालों की नज़र में मै अभी भी बच्चा ही था.
रात में जब हम दोनों सो रहे थे तो मेने उससे डर लगने का बहाना बना कर अपने बिस्तर पर आने को कहा. शायद उसका भी मन मुझसे चुदने का था. इसलिए वो तुरंत मेरे पास आ गई.
फिर शुरू हुआ असली खेल.
मुझे नींद नहीं आ रही थी क्योंकि मै उसे कैसे चोदूँ. यहीं मेरे दिमाग में चल रहा था.
नमस्ते. यह मेरी देसी चूत की देसी चुदाई की पहली स्टोरी है. मेरा नाम लकी है. मै दिल्ली में अपने मम्मी-पापा और भाई के साथ रहता हूं. इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा हूं. मै एक साधारण सा दिखने वाला 19 वर्ष का लड़का हूं.
उस वक्त हमारे परिवार में गाँव वाले घर में शादी थी. मेरा परिवार बहुत बड़ा है. मेरी छुट्टियां चल रही थीं इसलिए मै जल्दी ही गाँव चला गया था.
घर में बहुत काम होने के कारण मेरी ताई जी ने अपनी भतीजी को बुला रखा था. उस लड़की का नाम नेहा था. घर में कम लोग होने के कारण मेरी नेहा से बहुत जल्दी दोस्ती हो गई.
एक दिन जब मै उल्टा सोया हुआ था तब वो आकर मेरे चूतड़ों के ऊपर अपने चूतड़ रख कर बैठ गई शरारत करने के लिए! उसके मुलायम चूतड़ों का अहसास इतना अच्छा था कि उसके भारी वजन का पता ही नहीं चला.
तब मुझे लगा कि अगर मै थोड़ी मेहनत करता हूं तो नेहा को चोदने का सौभाग्य प्राप्त हो सकता है.
मै आपको उसके फिगर के बारे में तो बताना ही भूल गया. देखने में तो वो साधारण देसी लड़की ही थी. पर उसकी काया मस्त 34-30-34 की फिगर वाली थी. अगर आप उसे एक बार देख लो तो कसम से उसको एक बार चोदने का विचार जरूर आ जाएगा.
उस घटना के बाद मै उसके चक्कर में रहने लगा. आखिर कर एक दिन ऐसा आ ही गया.
उस दिन अचानक मेरी तबियत थोड़ी ख़राब हो गई. मै अपने रूम में वैसे तो अकेला ही सोता था. पर तबियत ख़राब होने के कारण मेरा ख्याल रखने के लिए ताई जी ने नेहा को मेरे साथ सोने को बोल दिया.
मै ऊपर चौबारे में सोता था जो गेस्ट रूम की इस्तेमाल करते थे. जहाँ 2 बिस्तर लगे थे.
नेहा मेरे से 3 साल बड़ी थी तथा घर वालों की नज़र में मै अभी भी बच्चा ही था.
रात में जब हम दोनों सो रहे थे तो मेने उससे डर लगने का बहाना बना कर अपने बिस्तर पर आने को कहा. शायद उसका भी मन मुझसे चुदने का था. इसलिए वो तुरंत मेरे पास आ गई.
फिर शुरू हुआ असली खेल.
फिर मेने धीरे-धीरे अपने हाथ उसके बॉडी पर ले जाने शुरू किए. उससे कोई विरोध न पा कर मेरा हौसला बढ़ा और मै तेज़ सांसों के साथ उसके होंठों की तरफ बढ़ चला. जैसे ही मेरे होंठ उसके होंठ से मिले पूरे बॉडी में चिंगारी सी दौड़ गई. उसने भी मेरा साथ ऐसे दिया जैसे वो इसी चीज़ का इंतज़ार कर रही हो.
करीब 10-15 मिनट तक उसके होंठों और बॉडी को चूसने के बाद दोनों अलग हुए. मेरे अन्दर जैसे करंट दौड़ रहा था क्योंकि ये मेरा पहला एहसास था. मै इतना उतावला था कि बस किसी भी तरह उसकी चूत में अपना लौड़ा डालना चाहता था.
मेने कहा तो वो कंडोम लगाने की जिद करने लगी. इसलिए उस रात हमें सिर्फ एक-दूसरे के बॉडी को चूस कर बितानी पड़ी. अगले दिन मेने अपने दोस्त से कंडोम मंगवाया और बस रात होने का इंतज़ार करने लगा.
रात में सबको सुलाने के बाद वो मेरे कमरे में आई. उसके आते ही मै पागलों की तरह टूट पड़ा. कुछ देर तो हमने दरवाजे पर ही खड़े होकर एक-दूसरे के होंठों का रसपान किया. फिर मै उसके होंठों को चूसते हुए ही उसे उठा कर बेड पर ले गया और उसके ऊपर चढ़ कर कपड़ों के ऊपर से ही उसकी चूचियों से खेलने लगा.
मै पागलों की तरह की तरह कभी उसके होंठों को. तो कभी चूचियों को. तो कभी गर्दन पर चूमे जा रहा था.
वो भी मेरा भरपूर साथ दे रही थी.
फिर थोड़ी देर बाद उसने मुझे खुद से अलग किया और बोली- सिर्फ यही करना है या कुछ और?
मै भी तो यही चाहता था. पर जोश में क्या करना है. कुछ समझ नहीं आ रहा था.
मेने झट से अपनी टी-शर्ट उतारी और उसकी भी कमीज़ उतार दी. उसने काले रंग की ब्रा पहन रखी थी. कसम से लालटेन की धीमी रोशनी में उसका गोरा बॉडी क्या कमाल लग रहा था.
मेने फिर से उसके बॉडी को चूमना शुरू कर दिया. चूमते-चूमते मेने उसकी सलवार भी उतार दी.
अब चूमने के लिए उसके शरीर का नया हिस्सा मुझे मिल चुका था. काफी देर चूमने के बाद मुझसे रहा नहीं गया. मेने अपने लौड़ा निकाला जो कि पहले से ही गीला हो रखा था. उसकी देसी चूत भी बिल्कुल गीली हो चुकी थी.
मेने एक हाथ से उसकी चूची मसलते हुए अपना लौड़ा उसके गीली चूत पर रखा. चूंकि चूत एकदम गीली थी. इसलिए हल्के से जोर के साथ ही चूत में लौड़ा अन्दर चला गया.
लौड़ा घुसते ही मुझे ऐसा लगा कि किसी तपती भट्टी में अपना लौड़ा डाल दिया हो.
देसी चुदाई करने पर 5-7 धक्कों में ही मेरा पानी छूट गया और मै निढाल पड़ गया.
Antarvasna – चुत चुदाई – सुहागरात पर पहली बार चुदाई
मै बिल्कुल निराश हो गया था. मुझे खुद पर शर्म आ रही थी. पर नेहा ने मेरी हालत समझी और मुझसे पूछा- क्या मेरा पहली बार है?
तो मेने अपना सर हिलाते हुए ‘हां’ का इशारा किया.
उसने मुझे किस किया और बोली- टेंशन मत लो. पहली बार जल्दी पानी निकल जाता है.
अगले कुछ मिनट तक हमने बातें की और एक-दूसरे को किस भी किया. कुछ देर बाद मेरा लौड़ा फिर से तैयार हुआ और उस रात हमने 3 बार और देसी तरीके से चुदाई की. जो कि मेरे जीवन का यादगार लम्हा बन गया.
देसी चूत की देसी चुदाई की स्टोरी कैसी लगी. ये जरूर बताइएगा.