बाप बेटी की चुदाई – मालिनी अवस्थी की ज़ुबानी-12

पिछला भाग पढ़े:- बाप बेटी की चुदाई – मालिनी अवस्थी की ज़ुबानी-11

उस दिन जब आलोक ने मानसी को चोदने से मना किया तो मानसी नाराज हो कर अपने कमरे में चली गयी। कोइ चारा ना देख कर आलोक ने बेमन से मानसी को चोद दिया। मगर मानसी को इस बेमन से हुई चुदाई में मजा नहीं आया। मानसी को तो अब रगड़ाई वाली चुदाई की आदत पड़ चुकी थी। अब आगे।

आलोक डाक्टर मालिनी को बता रहा था, “मालिनी जी मुझे ये उम्मीद नहीं थी कि मानसी को इस तरह की रगड़ाई वाली चुदाई की आदत पड़ चुकी थी। तभी मैंने ये सोच लिया कि बहुत हो चुका। इससे पहले कि अब बाप-बेटी में चुदाई के इस खेल में मानसी कुछ ज्यादा ही आगे निकल जाए, चुदाई के मजे का ये खेल तमाशा बंद होना चाहिए”।

“अगले दिन मैं ऑफिस से आया और फ्रेश हो कर ड्राइंग रूम में ही मानसी को बुला लिया”।

“मैंने मानसी को कहा, “मानसी मुझे तुमसे कुछ बात करनी है”।

“मानसी मेरे सामने ही बैठ गयी, और मेरी तरफ देखने लगी”।

मैंने बिना कुछ लाग-लपेट के मानसी को साफ़ ही बोल दिया, “मानसी जो कुछ भी हमारे बीच हो रहा इस बारे में खुल कर बात करना चाहता हूं”।

मानसी को जैसे इसी बात की उम्मीद थी। बिना परेशान हुए मानसी बोली “जी पापा बोलिये”।

“कुछ देर चुप रहने के बाद मैंने मैंने कहा, “मानसी, जो कुछ मेरे और तुम्हारे बीच रातों को छुप-छुप कर, चोरी-चोरी चल रहा है, ये ठीक नहीं है”।

“पहली बात तो ये कि बाप-बेटी में इस तरह का चुदाई का रिश्ता गैर कानूनी है, सामाजिक तौर पर अमान्य है। अगर किसी को इस रिश्ते का पता चल जाए तो गजब हो सकता है, हमारे लिए भी और हमारे परिवार के लिए भी। दूसरी बात, चलो मान भी लिया किसी को पता नहीं चलेगा, मगर हमें तो मालूम ही है कि ये जो कुछ भी हो रहा है, गलत ही है”।

मैं बोल रहा था, और मानसी सुन रही थी। मैंने ही फिर कहा, “मानसी जरा सोचो अगर रागिनी को ये पता चल गया कि मेरे तुम्हारी बीच क्या चल रहा है, तो उस पर क्या बीतेगी? वो मेरे बारे में क्या सोचेगी? तुम्हारे बारे में क्या सोचेगी? बाप-बेटी के रिश्ते में चुदाई की कोइ जगह नहीं होती बेटा”।

मानसी चुप-चाप सुन रही थी। मैंने ही बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, “मानसी हम जो कर रहे हैं ये ठीक नहीं है। तुम नंगी हो कर चूत खोल कर मेरे सामने लेट जाती हो, और मैं रह नहीं पाता, और तुम्हारी चुदाई कर देता हूं। मगर मानसी तुम्हारी चुदाई करने के बाद मैं हमेशा यही सोचता हूं, ये मैं क्या कर रहा हूं? चुदाई करने के बाद मुझे अपने आप से नफरत होने लगती है”।

मानसी कुछ देर तो चुप रही फिर बोली, “पापा आप ऐसा क्यों बोल रहे हो? मगर मैं तो सिर्फ आपका ध्यान रख रही हूं। मम्मी जो इतने इतने दिन आपसे चुदाई नहीं करवाती और जब आप लंड हाथ में लेकर मुट्ठ मारते हो, तो मुझसे आपने मुट्ठ मारना नहीं देखा जाता। मुझसे ये बर्दाश्त नहीं होता”।

मैंने कहा, “मानसी मुट्ठ मारना एक अलग बात है। सभी शादी शुदा औरतें और मर्द सब ही ये करते हैं। जरा सोचो, मैं 44 साल का हूं। मेरी उम्र बढ़ रही है। मुझे अब चुदाई की उतनी तलब नहीं होती। तुम्हारी मम्मी को भी शायद चुदाई की उतनी तलब नहीं होती होगी। अगर मेरे और तुम्हारी मम्मी के बीच एक महीना भी चुदाई नहीं होती, तो भी इससे अब हम दोनों को ही कोई फरक नहीं पड़ता”।

“फिर मैंने मानसी को समझाया, “मानसी तुम अब जवान हो, बालिग हो, तुम्हारी अपनी जिंदगी होनी चाहिए। तुम्हारे अपने दोस्त होने चाहियें। तुम अपने दोस्तों के साथ घूमो फिरो, मौज मस्ती करो। जिस तरह का रिश्ता तुम अपने और मेरे बीच रखना चाहती हो, ऐसा रिश्ता अपने दोस्तों के साथ बनाओ। जिंदगी ऐसे ही चलती है”।

“इशारों-इशारों में मैं मानसी को समझा रहा था कि जिस तरह का चुदाई का रिश्ता वो मेरे साथ रखना चाह रही है, इस तरह का चुदाई का रिश्ता वो अपने दोस्तों के साथ रखे”।

मानसी कुछ देर चुप रही फिर बोली, “लेकिन पापा मुझे आपसे चुदाई करवाना अच्छा लगता है। आपको बाहों में लेना, आपके नीचे लेटना, आपका लंड चूसना, आपका लंड अपनी चूत में लेना, सब कुछ अच्छा लगता है। मैं आपसे चुदाई करवाए बिना नहीं रह सकती”।

आलोक थोड़ा चुप हुआ और फिर बोला, “मालिनी जी मानसी की ये वो बात थी जिसने मुझे चिंतित कर दिया। मानसी अपना कोइ दोस्त बना कर उसके साथ चुदाई नहीं करना चाहती थी, और मेरे साथ ही चुदाई जारी रखना चाहती थी”।

“मुझे लगने लगा मानसी बाप-बेटी की चुदाई को एक अलग ही नज़रिये से देखने लग गयी थी। मानसी बाप-बेटी में हो रही चुदाई को प्रेमी प्रेमिका की चुदाई, पति पत्नी की चुदाई की तरह देख रही थी”।

आलोक फिर बोला, “मैंने फिर मानसी से कहा, चलो मान लेते हैं मानसी की तुम्हें मुझसे चुदाई करवा के अच्छा लगता है। मगर मानसी तुम कब तक मुझ से चुदाई करवाती रहोगी? आखिर को तो तुम्हारी भी अपनी जिंदगी होगी। तुम्हारा कोइ लड़का दोस्त, फिर तुम्हारी शादी”।

“मानसी चुपचाप रही थी और मैं बोल रहा था, “मानसी मैंने तुम्हें बताया ही है, इस उम्र में मेरे मन में अब पहली जैसी चुदाई के इच्छा भी नहीं है। क्या पता कुछ दिनों के बाद तुम्हारी नंगी चूत देख कर भी मेरे मन में तुम्हें चोदने की इच्छा पैदा ना हो। फिर क्या होगा? तुम तो उस दिन की तरह नाराज हो जाओगी”?

“ये कह कर मैं चुप हो गया। मानसी भी चुप हो कर कुछ सोचने लगी। फिर मानसी उठते हुए बोली, “पापा आप अपनी उम्र की फ़िक्र ना करो, आपसे जितना होता है उतना ही उतना ठीक है, मैं आगे से नाराज नहीं होऊंगी”।

आलोक बोला, “मालिनी जी मानसी की इस बात से मैं समझ गया कि मानसी मुझसे चुदाई बंद करने वाली नहीं। हमारी उस दिन की बात से इतना जरूर हुआ कि मेरी और मानसी की चुदाई बहुत कम तो हो गयी, लेकिन बंद फिर भी नहीं हुई”।

“कभी-कभी मुझे लगता है अब मानसी मुझे मजा देने ले लिए नहीं खुद मजा लेने के लिए मुझसे चुदाई करवाने आती है – मेरे लम्बे लंड से चुदाई का मजा। तब मुझे लगा कि अब रागिनी से इस बारे में बात करना ही ठीक रहेगा। शायद वो ही कोई रास्ता निकल पाए”।

आलोक बोल रहा था, “मालिनी जी मैं सोच ही रहा था कि रागिनी से कैसे बात करूंगा। वो भी मेरे और मानसी के बीच चल रही चुदाई के रिश्ते के बारे में क्या सोचेगी? मैं इसी उलझन में रागिनी से बात करने का मन बना ही रहा था कि एक रात रागिनी ने मुझे मानसी को चोदते हुए देख लिया”।

“और उसके बाद जो हुआ वो तो रागिनी ने आपको बताया ही होगा”।

“ये बोल कर आलोक चुप हो गया”।

“मैंने अपने हाथ में पकड़े रिमोट से टेप रिकार्डर बंद कर दिया। आलोक के मुंह से मानसी की चुदाई का ऐसा विवरण सुन कर मेरी अपनी चूत पानी छोड़ चुकी थी”।

“आलोक जिस तरह से अपने लम्बे लंड का जिक्र कर रहा था, मेरा मन कर रहा था एक बार देखूं तो सही, कैसा है आलोक का ‘लम्बा’ लंड? क्या सच में ही इतना लम्बा है जितना रागिनी बता रही थी, और जैसा कि आलोक बता रहा था”?

“मैंने हाथ से अपनी चूत खुजलाई। आलोक से भी ये बात छुपी नहीं रही। मुझे इस तरह चूत खुजलाता देख कर आलोक की नजरें मेरी चूत पर अटक गयी”।

“मानसी से अपनी चुदाई की बातें बताते बताते उसका लंड भी हरकत करने लगा था। आलोक के खड़े होते हुए लंड का उभार पेंट के ऊपर से साफ़ दिखाई दे रहा था। आलोक ने भी अपना लंड पेंट में ठीक से बिठाया”।

“आलोक को ये सब करते देख कर मुझसे भी नहीं रहा जा रहा था”।

“मैंने अपनी पहियों वाली कुर्सी थोड़ी आगे सरका कर धीरे से कहा, “आलोक एक बात बताओ, क्या सच में तुम्हारा लंड इतना लम्बा है”?

“मेरी बात सुन आलोक जरा सा सकपकया। उसे उम्मीद ही नहीं थी, कि मैं ऐसा भी कुछ पूछ लूंगी। आलोक बस इतना ही बोला, “जी? मालिनी जी ये क्या पूछ रही हैं”?

“मैने हंसते हुए कहा, “हां भई, यही पूछ रही हूं कि तुम्हारा लंड क्या सच में ही बहुत लम्बा है”?

“मैंने आलोक के हाथ पर हाथ रखते हुए कहा, “जब रागिनी से मेरी बात हुई थी तो बातों-बातों तुम्हारे औसत लम्बाई से ज्यादा लम्बे लंड के बारे में भी बात निकल गयी थी। और जो तुमने अभी-अभी कहा कि तुम्हें लगता है कि मानसी मुझे मजा देने ले लिए नहीं खुद मजा लेने के लिए मुझसे चुदाई करवाने आती है – मेरे लम्बे लंड से चुदाई का मजा”।

“आलोक तो चुप था। मैंने ही हंसते हुए कहा, “आखिर मुझे भी तो पता चले कितना लम्बा लंड है तुम्हारा”?

“आलोक मेरी इस बात पर कुछ बोला नहीं। मगर उसकी आंखों में शरारत थी”।

“मैं फिर हंसी, “चलो तुम मत बताओ मैं ही देख लेती हूं। चलो निकालो पेंट में से मैं भी देखूं कितना लम्बा है तुम्हारा ये लंड, या फिर रागिनी या तुम ही गप्प मार रहे हो”।

“आलोक ना कुछ बोला, ना हिला”।

“मैंने अपनी कुर्सी और आगे की ओर आलोक की पेंट की ज़िप पर हाथ लगाया और बोली, “अब लड़कियों की तरह मत शर्माओ, आज कल तो लड़कियां भी इतना नहीं शर्माती”।

“ये कह कर मैंने ज़िप खोलने की कोशिश की। हाथ लगते ही पता लग रहा था कि लंड खड़ा होना शुरू हो गया है”।

“अब आलोक भी आखिर कोइ संत महात्मा तो नहीं था। मेरे पेंट की ज़िप को हाथ लगाते ही आलोक बोला, “नहीं मालिनी जी मैं करता हूं”। ये कह कर आलोक ने कुर्सी से खड़े हो कर पेंट की ज़िप खोली और आधा खड़ा लंड पेंट से बाहर निकाल लिया”।

-आलोक का लम्बा लंड और डाक्टर मालिनी के साथ आलोक के चुदाई

“आलोक का आधा खड़ा लंड भी छह इंच से ज्यादा लम्बा था। मैंने आलोक का लंड अपने हाथ में पकड़ा और धीरे-धीरे दबाने लगी। आधे मिनट में ही लंड पूरा खड़ा हो गया। सच में ही लंड अच्छा खासा लम्बा था, कम से कम मैंने जितने लंड अब तक अपनी चूत में लिए थे, उस सबसे तो लम्बा ही था”।

“मेरे मन में ऐसे ही ख्याल आया कहीं इसी कारण तो नहीं मानसी आलोक से चुदाई नहीं छोड़ पा रही”?

“मैंने आलोक का लंड हाथ में पकड़े हुए ही कहा, “आलोक जरा मेरे पास आओ”।

“आलोक समझ गया होगा कि क्या होने वाला है। एक औरत लंड हाथ में पकड़ कर पास बुला रही है, तो कुछ ना कुछ तो होगा ही – कहीं ना कहीं तो लंड अब जाएगा ही”।

“आलोक आया और मेरे सामने आ कर खड़ा हो गया। मैंने एक बार आलोक की तरफ नजर उठा कर देखा, और आलोक का लंड मुंह में लिया और चूसने लगी। बत्तीस साल के लंड चुसाई के तजुर्बे ने आलोक के छक्के छुड़ा दिए। जल्दी ही आलोक आआह आह करने लगा और मेरा सर लंड पर दबाने लगा”।

मैंने आलोक से पूछा, “आलोक चोदोगे”?

“हड़बड़ाए आलोक के मुंह से इतना ही निकला, “जी”?

मैने कहा, “आलोक मैंने पूछा है मुझे चोदोगे? चूत, गांड। चोदोगे मेरी”?

“आलोक के मुंह से बस इतना ही निकला, “जी? आपकी चूत? मालिनी जी आप चुदवायेंगी? अभी? यहां”?

“मैंने भी कहा, “हां मेरी चूत, अभी, यहां I फिर मैंने आलोक का हाथ पकड़ा और पीछे कमरे की तरफ ले जाती हुई बोली,”चलो उठो”।

“आलोक मेरे साथ खिंचता चला आया। पीछे कमरे में पहुंच कर मैंने अपने कपड़े उतारते हुए आलोक से कहा, “आलोक तैयार हो जाओ उतारो कपड़े”।

“आलोक अभी अपने कपड़े उतारने के लिए बटन ही खोल रहा था, तब तक मैं अपने कपड़े उतर चुकी थी। रोज की कसरत और योगा करने से मेरा कसा हुआ शरीर देख कर आलोक ने एक बार अपना लंड पकड़ा और और बस इतना ही बोला, “मालिनी जी आप तो एक-दम कड़क हैं”।

“मैंने भी हंस कर कहा, “अच्छा? किसकी जैसी कड़क? तुम्हारी बीवी रागिनी जैसी कड़क या तुम्हारी बेटी मानसी जैसी कड़क”?

“आलोक कुछ नहीं बोला, बस मेरी चिकनी चूत की तरफ देखता रहा, जिस पर झांट का एक भी बाल नहीं था”।

“मैं बेड के किनारे पर बैठ गयी और आलोक को अपनी तरफ खींच कर उसका लंड फिर से मुंह में ले कर जोर-जोर से चूसने लगी”।

“पांच मिनट की लंड चुसाई की बाद ही आलोक बोला, “बस मालिनी जी, अब और मत चूसिये। आपकी चुसाई मैं तो मानो जादू है। अब बताईये क्या करना है, चूत चुदवानी है या गांड में लेना है”?

“मैंने भी कहा, गांड ही चोदो, चूत का काम मैं कर लूंगी। ऐसे भी इतने लम्बे लंड से गांड ही चुदवाने का मजा है। इतना कह कर मेज की दराज में से रबड़ का मोटा लंड निकाल लिया”।

“सीधे सादे आलोक ने शायद ऐसा रबड़ का लंड पहली बार देख रहा था।आलोक ने मुझसे पूछा, “मालिनी जी ये क्या है जरा दिखाईये मुझे, ये तो लंड जैसा ही दिखाई दे रहा है”।

“मैंने लंड आलोक के हाथ में दे दिया। आलोक ने उलट-पलट कर लंड देखा और नीचे के स्विच को दबा कर चालू किया। रबड़ के लंड में वाइब्रेशन होने लगा। लंड का कम्पन, वाइब्रेशन महसूस करके बोला, “ये तो कमाल है मालिनी जी, ये तो जब चूत में जा कर इस से तरह वाइब्रेशन करता होगा तब तो बड़ा मजा देता होगा, असली लंड से भी ज्यादा”।

“इतना कह कर रबड़ के लंड की तरफ देखते हुए आलोक कुछ सोचने लगा”।

मैंने उसे इस तरह सोचते देख पूछा, “क्या हुआ आलोक, क्या सोच रहे हो? मानसी के लिए मंगवाना है”?

“आलोक हैरान हुआ और बोला, “कमाल है मालिनी जी, आप तो विचारों को पढ़ने में माहिर हैं। मैं बिल्कुल यही सोच रहा था। रागिनी के पास तो मेरा ये वाला लंड है ही। मानसी को लंड की जरूरत है जिसके लिए वो मेरे पास चुदाई के लिए आती है”।

“मालिनी जी मानसी का काम इस लंड से चल सकता है, कम से कम फिलहाल के लिए। हो सकता है इससे काम चलाने के बाद मानसी मुझसे चुदाई बंद ही कर दे”।

“आलोक के इतना कहने से मैं ये तो समझ गयी कि मानसी और आलोक की चुदाई में आलोक मानसी के साथ चुदाई बंद करना चाहता है।

“अब मुझे मेरा काम आसान लगने लगा”। मैंने आलोक से कहा, “आलोक मुझे एक बार मानसी से बात कर लेने दो, अगर जरूरत होगी तो मैं ही ऐसा एक लंड मानसी के लिए भी मंगवा दूंगी। मानसी अभी छोटी है उसे अभी ऐसे लंड की जरूरत नहीं। इस तरह के मोटे लंड हम जैसी चुदक्कड़ों के लिए हैं।

“मैंने आलोक के हाथ से रबड़ लंड ले लिया। जैल की टयूब आलोक के हाथ में देते हुए पूछा, “आलोक दारू के दो पैग लगाने हैं? चुदाई का मजा आ जाएगा”।

आलोक हैरानी से बोला, “मालिनी जी दारू? दिन में दारू”?

“मैंने हंस कर कहा, “आलोक क्या बात है? दिन में कोइ पहली बार तो दारू नहीं पियोगे। रागिनी को भी तो दिन में दारू पी कर चोद चुके हो”।

“आलोक फिर बोला, “मालिनी जी रागिनी ने आपको ये वाली बात भी बताई है”?

“मैंने जवाब दिया, “बिल्कुल बतायी है आलोक, क्योंकि उसी दिन तो रागिनी ने तुमसे तुम्हारी और मानसी की चुदाई की बात की थी”।

आलोक इस पर कुछ नहीं बोला।

मैंने ही कहा,” आलोक वैसे विआग्रा भी है मेरे पास। बोलो क्या करना है? दारू या वियाग्रा”?

“आलोक ने इतना ही कहा, ” विआग्रा नहीं मालिनी जी, वियाग्रा खाने के बाद मेरा लंड पानी ही नहीं छोड़ता और खड़ा ही रहता है। यहां तक कि दुखने लग जाता है। व्हिस्की ही ठीक रहेगी”।

“मैंने कोने की बार में से शिवाज़ रीगल की बोतल निकाली। दो गिलास लिए। बार में पड़े छोटे फ्रिज में से सोडा निकाला, और दो बड़े पैग बना लिए”।

“एक गिलास आलोक के हाथ में देकर बोली, “लो आलोक एक ही सांस में गटक जाओ, ताकि दिमाग घूमे जरा। चुदाई से पहले अगला पैग आराम से पिएंगे। ये बोल कर एक ही सांस में मैंने गिलास खाली कर दिया”।

“आलोक मेरी तरफ ही देखता जा रहा था। सोच रहा होगा, कैसी औरत है ये? चुदाई की शौक़ीन तो है ही ऊपर से दारू की भी शौक़ीन है”।

“मुझे एक ही बार में गिलास खाली करते देख कर आलोक ने भी अपना गिलास खाली कर दिया। मैंने आलोक के हाथ से गिलास पकड़ा, और फिर उतनी ही स्कॉच उसमें डाल दी”।

“अब हम दोनों सोफे पर बैठ कर आराम से छोटे-छोटे घूंट भर रहे थे। आलोक ने सोफे पर बैठे-बैठे ही मेरी टांगें थोड़ी सी चौड़ी की और एक उंगली मेरी चूत में डाल दी, और मेरी चूत के दाने को मसलने लगा। अब ये दारू का असर था या नंगी चूत देख कर आलोक मस्ती में आ चुका था”।

“आलोक ने जैसी ही मेरी चूत में उंगली डाली मेरी चूत ने फर्रर्र से पानी दिया। आलोक मेरी तरफ देखते हुए बोला, मालिनी जी कमाल है। आपकी चूत तो मानसी की चूत की तरह पानी छोड़ती है।

“असल में आलोक का मतलब था कि मालिनी जी आपकी चूत तो बीस साल की लड़की की तरह पानी छोड़ती है”।

“मैंने आलोक से कहा, “आलोक चुदाई के मामले में मैं मानसी से कम नहीं। मुझे भी रगड़ाई वाले चुदाई में ही मजा आता है। ये बोल कर मैंने आलोक का लंड हाथ में ले लिया और लंड के टोपे से चमड़ी आगे-पीछे करने लगी। आलोक का लंड सख्त होता जा रहा था और ये सख्ती मैं अपने हाथ में महसूस कर रही थी”।

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