मेरे चारों बच्चे मेरी जान-4

अगले दिन से मेरी और अभिषेक की एक नयी दुनिया शुरू हो गयी। अगला दिन रविवार था तो सारे बच्चे रविवार को देर से उठते हैं और कामवाली भी देर से ही आती है। लेकिन माँ होने के नाते मैंContinue reading… मेरे चारों बच्चे मेरी जान-4

मेरे चारों बच्चे मेरी जान-6

शाम हुयी, सारे कर्मचारी चले गए। मैं हमारे रेस्ट रूम में आ गयी। अभिषेक गेट वगैरह लॉक करने के लिए निचे था। इतने में मैंने अपने कपड़े खोल लिए, सिर्फ ब्रा-पैंटी में आ गयी, अपने बाल खोल लिए, एक गाढ़ीContinue reading… मेरे चारों बच्चे मेरी जान-6

मेरे चारों बच्चे मेरी जान-8

मेरे काफी ज़ोर देने पर उसने कहा,”यहाँ पास में लोकल दवाई की एक दुकान है, जो पुरे गोवा में फेमस है। वहाँ एक दवाई मिलती है जिसे वाइन के साथ खाना होता है। वो खाते ही सेक्स टाइम तीन गुनाContinue reading… मेरे चारों बच्चे मेरी जान-8

मेरे चारों बच्चे मेरी जान-9

अभिषेक आने वाला था, तो मैंने सोचा क्यों ना नहा कर फ्रेश हो जाऊँ। साफ़ सुथरी होकर फिर चुदाई की गन्दगी में कूदने में अच्छा सा लगता है। मैं नहा-धो कर आयी, वो पिंक वाली क्यूट सी बिकिनी पहनी, जोContinue reading… मेरे चारों बच्चे मेरी जान-9

मेरे चारों बच्चे मेरी जान-10

“माँ, तुझे अच्छा लगा?”, अखिल ने बड़े ही प्यार से पूछा। “हाँ मेरा बेटु, मुझे बहुत अच्छा लगा।” मैंने उसे चूमते हुए जवाब दिया। “मैं तुझे ऐसे ही खुश रखूँगा माँ, मैं और भैया तुझे ऐसे ही प्यार करेंगे।” औरContinue reading… मेरे चारों बच्चे मेरी जान-10

मेरे चारों बच्चे मेरी जान-11

मैंने सोचा दोनों के लिए थोड़ा सजना-सँवरना पड़ेगा। उन्होंने इच्छा ज़ाहिर की थी तो पूरा करना पड़ेगा। मैं नहाने चली गई। बाथरूम से निकल कर मैंने वो ब्लैक बिकिनी पहनी। ये भी काफी छोटी ही थी, पर गुलाबी बिकिनी सेContinue reading… मेरे चारों बच्चे मेरी जान-11