ट्रैन में माँ को अजनबी ने चोदा

हेलो दोस्तों, मेरा नाम जग्गी है और मैं बरोदा का रहनेवाला हूँ। मैं अक्सर हिंदी पोर्न स्टोरीज डॉट ऑर्ग पर हिंदी सेक्स कहानियाँ (Hindi sex kahaniyaan) , बीवी कि चुदाई (Biwi ki chudai), माँ की चुदाई (Maa ki Chudai), सामूहिक चुदाई (Samuhik Chudai) की कहानियाँ पढ़ने आता हूँ। अब जो कहानी मैं बताने जा रहा हूँ, वो मेरे माँ, सरिता, के बारे में है।

मेरी माँ, सरिता, एक हाउसवाइफ है और दिखने में एवरेज है, मगर उनका फिगर कातिलाना है। चूची 36D, कमर 34 और चाल जान लेने वाली। वो अक्सर साडी ही पहनती है। मेरे पापा, कांट्रेक्टर है। वो आउट ऑफ़ स्टेट आते-जाते रहते है। मेरी एक छोटी बहन भी है, जो १२ साल की है।

ये कहानी उस वक़्त की है, जब हमे एक शादी अटेंड करने जाना था, दिल्ली.. पापा तो आगरा में काम से गए हुए थे, तो वो वहीँ से दिल्ली आने वाले थे.. हमे बरोदा से जाना था फंक्शन अटेंड करने। माँ ने ऑनलाइन टिकट निकलवाया 2 AC कोच का। मगर जैसे के ऑनलाइन टिकट का पन्गा हमेशा होता है.. सीट एक लाइन में नहीं मिला… २ सीट आमने-सामने मिले और एक sidewala-ऊपर का….

खैर, वो दिन आ गया और हम तैयार हो कर स्टेशन पहुंच गए.. माँ ने साड़ी पहनी थी, बहन जीन्स-टॉप और मैं अपने कैसुअल ऑउटफिट में था.. ट्रैन टाइम पर आ गयी और हमने पकड़ ली… जब सीट पर पहुंचे तो देखा के आमने-सामने वाले दोनों सीट ऊपर के थे.. माँ के लिए ऊपर चढ़ना मुश्किल होगा, तो मैंने उनसे साइड वाले सीट पर बैठने के लिए कह दिया… मैं और मेरी बहन, काजल, ऊपर वाले सीट पर चले गए…

क्योंकि रात के ९ बज रहे थे.. सब सोने की तैयारी करने लगे थे। हमने घर पर ही डिनर कर लिया था तो हम भी सोने लगे। माँ साइड वाले बर्थ पर बैठी थी, वह एक अधेड़ उम्र का काला सा आदमी भी था.. मैं ऊपर लेट गया और बैग से एक किताब निकाल पढ़ने लगा।

काजल सो चुकी थी। करीब २ घंटे बीत गए थे और मुझे भी नींद आ रही थी… मैंने नीचे देखा… वो आदमी और मेरी माँ कुछ बात कर रहे थे और बैठे थे… बाकी सब सो रहे थे.. लाइट्स भी एकदम धीमी थी.. ज़्यादा कुछ दिख नहीं रहा था.. पर क्योंकि मेरा सर साइड वाले बर्थ के तरफ था तो मुझे उनकी बातें सुनाई दे रही थी और दिख भी रहा था…

“आप दो बच्चों की माँ नहीं लगती.. “, उस आदमी ने कहा…

माँ मुस्कुरा दी.. वो थोड़ा शर्मा भी गयी.. ,”कुछ भी… मेरे बच्चे तो अब बड़े भी हो गए है… आप अपना बताइये..”

“मैं तो बरोदा में ही रहता हूँ.. मेरा ठेकेदारी का बिज़नेस है… कुछ काम है तो दिल्ली जाना पड़ रहा है.. अच्छा ही हुआ के मैं आ गया, वरना आप जैसे खूबसूरत कली से मुलाकात कैसे होती…”

उस आदमी ने कहा… और दोनों हंस पड़े… माँ और उस आदमी में कुछ ज़्यादा ही बातें हो रही थी…

उन दोनों के फॅमिली लाइफ के बारे में बातें की… कुछ देर बाद वो आदमी उठा और बैग से लुंगी निकल ली…

“अगर बुरा न मानो, तो मैं चेंज कर लू… रात को पूरे कपड़ों में मुझे नींद नहीं आती… ” उसने शर्ट का बटन खोलते हुए कहा…

माँ ने अगल-बगल और हमारी तरफ देखा… मैंने झट से अपने सर नीचे कर लिया और सोने की एक्टिंग करने लगा… माँ को लगा के हम दोनों सो रहे है..

“नो प्रॉब्लम, कर लो.. पर पर्दा लगा डोज तो अच्छा होगा.. “, माँ इशारा करते बोली…

उस आदमी ने हमारी तरफ वाली कर्टेन खींच के बंद कर दी… साइड वाले बर्थ का पर्दा पूरा बंद नहीं हुआ था तो मुझे लगभग पूरा नज़ारा ऊपर से दिख रहा था…

कुछ देर में वो आदमी सिर्फ बनियान में आ गया, और अपनी पैंट माँ के सामने उतार दी… मैं चोर नज़रो से उसका अंडरवियर देख रही थी.. पैंट निकाल कर उसने ऊपर से लुंगी पहन ली..

“मैं ज़रा फ्रेश हो कर आता हु..”, इतना कह वो बाथरूम चला गया…

माँ भी उठी और चुपके से अपनी ब्लाउज और ब्रा निकाल दी.. मैंने कभी माँ को ऐसे नहीं देखा था… उनकी बड़ी चूचियाँ हवा में थी… फिर माँ ने अपनी चूचियाँ साड़ी से ढकी और झुक कर साड़ी के अंदर हाथ डाला…

मैं सन्न रह गया… माँ ने अपनी चड्डी भी निकाल दी… माँ पूरे चुदाई के मूड में आ गयी थी.. पता नहीं उस आदमी के क्या जादू किया था…

फिर माँ साड़ी पकड़ बर्थ पर बैठ गयी… कुछ देर में वो आदमी आया और मुस्कुराते हुए बोला.. ,”लेट जाओ आप.. थकी हुई लगती हो.. मैं कोने में बैठ जाता हु…”.

इतने कह उसने दूसरे हाथ में से कुछ अपने बैग में डाल दिया…

वो उसका अंडरवियर था..!!!!

उसने बाथरूम में अपना अंडरवियर भी निकाल दिया था… अब दोनों पूरे नंगे थे अंदर से… बाद कार्यक्रम शुरू करना बाकी था…

माँ लेट गयी और वो आदमी उनके पैर के तरफ उकडू बैठ गया… उसका काला लंड लुंगी के बाहर था…

उसने फिर माँ के पैर से साड़ी ऊपर किया.. मैं आँखें बंद कर के पड़ी रही… फिर उसने साड़ी पूरी हटा दी… माँ ने तो पहले से ही सारे उन्देर्गर्मेन्ट्स उतार दिए थे.. बस पेटीकोट रह गया था.. उस आदमी में वो भी उतार दिया…

माँ पूरी नंगी थी… झांटों वाली चूत, मोटी जांघ, बड़े गोल चूचियां… सब नंगे थे…

उस आदमी ने अपनी लुंगी उठायी और अपने लंड ले थोड़ा थूक लगाया… माँ की टाँगे फैलियी और २ ऊँगली उनके चूत में दाल ऊँगली से चोदने लगा… माँ हल्का-हल्का कराहने लगी…

कुछ देर चूत गीला करने ले बाद उसने अपना लंड उनके चूत में डाल दिया… माँ उछल पड़ी.. उसका लंड बड़ा था…

धीरे धीरे आगे अपना लंड पेलते वो माँ की चूचियाँ मसल और चबा रहा था… माँ रोमांच में किसी मछली के तरह मचल रही थी… फिर उसने ज़ोर के धक्के देना शुरू कर दिया…

उसने माँ की चूत करीब १५ मिनट तक चोदी और अंदर ही झड़ गया… झड़ने के बाद कुछ देर माँ पर लेटा रहा…

“मज़ा आया?”, उसने हलके से पुछा…

माँ मुस्कुरा दी.. कुछ बोली नहीं।

“अब ज़रा मेरा लंड चूसोगी तो और मज़ा आएगा.. “, उसने अपना लंड माँ के मुँह के तरफ किया…

माँ ने बिना रुके उसका लंड मुँह में लिया और चूसने लगी… माँ ने उसका लंड चूस के साफ़ किया और दोनों एक दूसरे से लिपट लेते रहे..

मैं ये सब देख भोचक्का रह गया था… माँ ने किसी गैर मर्द से अपनी चूत चुदवाई थी…

अगले सुबह हम दिल्ली पहुंचे… पापा स्टेशन पर हमसे मिले… और हम फंक्शन अटेंड करने चल दिए…

उस आदमी में जाते-जाते माँ की गांड ज़ोर से दबा दी… मेरे अलावा किसी और ने ये देखा नहीं था..

माँ हंस कर दूसरी तरफ हो ली..

माँ ने फंक्शन में भी मज़े किये… पर वो कहानी आगे के अंक में..

मेरी कहानी कैसी लगी, ज़रूर बताना…