मां बेटे की चुदाई – एक मनोचिकित्सक की ज़ुबानी-6

पिछला भाग पढ़े:- मां बेटे की चुदाई – एक मनोचिकित्सक की ज़ुबानी-5

नसरीन बता रही थी, “जमाल को उस वक़्त इस तरह देख कर मेरी तो आवाज ही बंद हो गयी। मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा था। मेरी चूत पूरी तरह गर्म थी। पैन का कवर मेरी चूत के अंदर ही था। मैं बस जमाल की तरफ देखती रही, और पैन का कवर चूत में आगे पीछे करती रही।”

“मुझे कुछ ना बोलते हुए देख जमाल आगे आया और धीरे से पैन का कवर मेरी चूत से निकल दिया। खड़े-खड़े जमाल ने अपनी पेंट और अंडरवेअर दोनों उतार दिए। जमाल का मोटा लंड डंडे की तरह एक-दम सीधा खड़ा था।”

“जमाल खड़े लंड के साथ एक कदम आगे आया और जो सलवार मैंने घुटनों तक सरकाई हुई थी, उसे पूरा उतार दिया।”

“जमाल का खड़ा लंड बशीर के लंड जैसा ही मोटा और लम्बा था। मन तो कर रहा था उठ कर जमाल का लंड मुंह में ले लूं। एक अरसा ही हो गया था लंड चूसे हुए।”

“लेकिन मेरा दिमाग सुन्न था, आवाज बंद थी और मुझे तो जैसे लकवा मार चुका था। ना मैं बोल रही थी ना ही हिल-डुल रही थी।”

“जमाल ने आगे आ कर मेरी टांगें चौड़ी की और अपना मुंह मेरी चूत में घुसेड़ दिया और अपने होठों से मेरी चूत का दाना चूसने लगा – बिल्कुल वैसे ही जैसे बशीर चूसा करता था।”

“जमाल के चूत चूसते ही मैं मस्त हो गयी। फर्रर से मेरी चूत ने ढेर सारा पानी छोड़ा और मेरे चूतड़ अपने आप ही हिलने लग गए।”

“जमाल के लिए ये एक इशारा था कि आओ जमाल और डालो मेरी चूत में जो कुछ भी है तुम्हारे पास।”

“मगर जमाल था कि मेरी चूत चूसता ही जा रहा था, चूसता ही जा रहा था।”

“मेरी चूत चिकने पानी से भर चुकी थी। जब जमाल को लगा कि मैं अब चुदाई के लिए पूरी तरह तैयार हूं। तो कुछ और चूत चुसाई के बाद जमाल हटा, उसने मेरी टांगें उठा कर अपने कंधों पर रखी और आगे की तरफ होने लगा। मेरी चूत अपने आप ही ऊपर उठती चली गयी।”

”जमाल ने लंड चूत की दरार में ऊपर-नीचे किया और चूत का छेद ढूंढ कर लंड छेद पर टिका दिया। जमाल कुछ सेकंड के लिए रुका और “लो भाभी गया अंदर” बोलने के साथ एक ही झटके से फच्च के आवाज के साथ लंड मेरी चूत में बिठा दिया।”

“क्या लंड था। एक अरसे के बाद ऐसा सच-मुच का लंड मेरी चूत में गया था।”

“जमाल का लंड जैसे ही मेरी चूत में गया, पहली बार मेरी आवाज निकली ”आआह बशीर।”

“मैंने आंखें बंद कर ली, और चुदाई का इंतजार करने लगी। मुझे जमाल का लंड बशीर का लंड लग रहा था। मुझे लग रहा था ये बशीर था जिसने मेरी टांगें उठा कर अपने कंधों पर रखी हुई थी और मुझे बांहों में जकड़ कर चोदने जा रहा था।”

“जमाल ने लंड के धक्के लगाने शुरू कर दिए। जमाल के सख्त मोटे लंड के चुदाई के धक्के मेरी प्यासी चूत बहुत देर नहीं झेल पाई। एक लम्बे अरसे के बाद हो रही चुदाई में पांच सात मिनट में ही चूत पानी छोड़ गयी।”

“मेरे मुंह से अब निकला “अअअअअह… जमाल… निकल गया मेरा… मजा आ गया मुझे।”

“मैं झड़ चुकी थी, मगर जमाल का लंड खड़ा था और वैसा ही बांस की तरह का सख्त। मेरी चूत जमाल के खड़े लंड से भरी पड़ी थी।”

“जमाल चाहता तो उसी वक़्त एक बार मुझे और चोद लेता। लेकिन जमाल वैसे ही मेरे ऊपर लेटा रहा।”

“कुछ मिनटों के बाद जब जमाल को लगा कि मेरी चूत पूरा पानी छोड़ चुकी है, और मुझे पूरा मजा आ चुका है, तो जमाल अपना खड़ा लंड मेरी चूत में से निकालने लगा।”

“एक अरसे के बाद मेरी चुदाई हुई थी। मेरा मन एक बार और चुदाई करवाने का हो रहा था। जैसे ही जमाल लंड मेरी चूत से बाहर निकलने लगा मैंने जमाल को पकड़ लिया और बोली, “नहीं जमाल, अभी नहीं।”

“जमाल समझ गया कि मुझे एक चुदाई और चाहिए। जमाल रुक गया और लंड वापस मेरी चूत में डाल दिया।”

“इस बार जमाल ने मुझे अपनी बाहों में कस कर जकड़ कर लिया। फिर जो जमाल ने मुझे रगड़-रगड़ कर चोदा, मेरी चूत की परतें खोल कर रख दी I मेरे जिस्म के सारे जोड़ ढीले कर दिए I इस बार सही चुदाई हुई। मैं और जमाल इकट्ठे झड़े। मेरी चूत भर गयी जमाल के लंड के गर्म पानी से। इस चुदाई में जन्नत का मजा मिला मुझे – जैसा बशीर के साथ चुदाई में मिला करता था।”

“कुछ देर ऐसे ही मेरे ऊपर लेटने के बाद जमाल ने ढीला होता लंड चूत में से बाहर निकाला और कपड़े पहन कर बिना कुछ बोले नीचे चला गया।”

“सालों बाद चुदाई करवा के मुझे सुस्ती आ गयी थी। आधे घंटे के बाद मैं नीचे उतरी। जमाल ग्रहकों के साथ बिज़ी था, मैं जा कर कुर्सी पर बैठ गयी और वो मैगज़ीन मेज पर रख दिए।”

“जमाल के साथ तसल्ली के साथ हुई चुदाई के बाद मुझे ये मैगज़ीन बेकार लग रहे थे।”

“जमाल अपने काम में मसरूफ था, जैसे कुछ हुआ ही ना हो। जमाल ने मेज पर से वो किताबें उठाई और अलमारी में रख दी। साढ़े चार बजे असलम आ गया और मैं घर चली गयी।”

“एक बार शुरू हुआ जमाल और मेरी चुदाई का ये सिलसिला फिर बंद नहीं हुआ। इसमें ख़ास बात बस यही थी, कि जमाल ने मुझे कभी मुझे चुदाई के लिए नहीं कहा। जब भी मेरा मन चुदाई का करता, मैं कोइ मैगज़ीन उठाती और चुप-चाप ऊपर कमरे में ना जा कर ये बोलती हुई जाती, “जमाल मैं ऊपर जा कर ज़रा आराम कर लूं।”

“मेरे ऐसा बोल कर जाने से जमाल समझ जाता कि मेरा उस दिन चुदने का मन है। जमाल अठारह बीस मिनट के बाद ऊपर आ जाता और हमारी चुदाई शुरू हो जाती।”

“शायद जमाल अठारह बीस मिनट का ये वक़्त भी मुझे अपनी चूत गरम करने के लिए दे देता था। बाकी का काम जमाल की मस्त चूत चुसाई पूरा कर देती थी।”

“इस दौरान ये और हुआ कि हम दोनों के बीच मालिक और नौकर की शर्म और लिहाज का एक पर्दा था वो पूरी तरह हट गया।”

“चुदाई के साथ साथ हमारी चुदाई के वक़्त होने वाली गंदी-गंदी सेक्सी बातें भी बढ़ती चली गयी।”

चुदाई करवाते हुए मजे के मारे मेरे मुंह से अब ये लफ्ज़ निकलते थे, “चोदो जमाल दबा कर चोदो – और रगड़ा लगाओ मेरी चूत को। झाग निकल दो मेरी फुद्दी में से। आआआह… और जोर से… जमाल मेरे राजा – चोद… चोद और चोद… आआआह… अअअअअह… जमाल मुंह में डालो मेरे… गांड चोद लो मेरी… दिन रात चोदा करो अपनी इस भाभी नसरीन को… फाड़ दो मेरी फुद्दी… सुजा दो फुला दो मेरी गांड चोद-चोद कर।”

जमाल भी कौन सा कम था। चुदाई करते हुए वो भी यही कुछ बोलता था, “आअह भाभी… मेरी नसरीन… ये लो मेरा लौड़ा – ये गया तुम्हारी फुद्दी में। आह भाभी मेरी जान जब तक कहोगी चोदता रहूंगा… गांड चोदूंगा… मुंह में डालूंगा… अअअअअह… चूसो मेरी नसरीन… चूसो मेरा लौड़ा… मजा आ गया। तेरी चुदाई के बिना नहीं रहा जाता। आअह… नसरीन… ले मेरा लौड़ा… गया तेरी फुद्दी में नसरीन… अअअअअह… ये ले निकल गया मेरे लंड का पानी तेरी चूत में।”

“लेकिन एक बात तो थी, चुदाई करते हुए हमारी ये चूत, लंड, फुद्दी, लौड़ा गांड चुदाई और मुंह में डालने वाली बातों से चुदाई का मजा दुगना-तिगुना हो जाता था।”

“मगर ये सारी बातें चुदाई के दौरान ही होती थी। आगे-पीछे ना तो जमाल ने मुझे कभी मेरे नाम नसरीन से बुलाया ना तो कभी अपना लंड चुसवाया। यहां तक कि जमाल चुदाई करते हुए मुझे बाहों में तो लेता था, मेरी चूत भी चूस लेता था मगर जमाल ने कभी मेरे होठों को भी नहीं चूसा। गांड चोदना, मुंह में लंड डालना और मुंह में लंड का पानी छुड़ाना तो दूर की बात थी।”

“जमाल कभी मेरी चूत चुसाई और चुदाई से आगे नहीं बढ़ा।”

“कभी-कभी तो ऐसा लगता था जमाल बशीर के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभा रहा है। लेकिन अगर ऐसा था भी तो जमाल बखूबी अपनी ज़िम्मेदारी निभा रहा था।”

“हर तीसरे-चौथे दिन की चुदाई से मेरे और जमाल के बीच जो भी रहा सहा शर्म लिहाज का पर्दा था, वो भी खत्म हो गया।”

“अब हम चुदाई वाली फिल्म टीवी पर लगा कर चुदाई करते, बिल्कुल वैसे ही जैसे मैं और बशीर किया करते थे।”

“जो भी चुदाई की फ़िल्में मैं देखती थी, उनमें चूत चुसाई और लंड चुसाई खूब होती थी। एक दिन मैं जमाल से चुदने के लिए ऊपर कमरे में बैठी और एक मैगज़ीन देख रही थी, और जमाल आ गया। जमाल ने मेरे और अपने कपड़े उतार दिए। जमाल मुझे चोदने के लिए बिस्तर पर लिटाने ही वाला था की मैंने कहा, “जमाल आज खूब सारी चूत चूसो मेरी, कुछ ज्यादा ही चुसवाने का मन कर रहा है।”

जमाल ने कहा, “अगर ये बात है भाभी तो फिर आज आप को चूत चुसाई का वो मजा देता हूं, आप कभी भूलेंगी नहीं।”

“यह कह कर जमाल ने मुझे बेड के किनारे पर ही सीधा लिटा दिया। मेरी टांगें हवा में उठा दी और चौड़ी करके मेरी चूत की फांकें खोल दी और खुद फर्श पर बैठ कर मेरी चूत का दाना मुंह में ले कर चूसने लगा। चूत तो मेरी बशीर भी बड़ी चूसता था, और जमाल ने भी खूब चूत चूसी थी, मगर जमाल की इस तरह की चूत चुसाई ने तो जन्नत ही दिखा दी। जल्दी ही मेरी चूत फर्रर्र फर्रर्र करके पानी छोड़ने लगी।”

“मैने जमाल को कहा, “बस जमाल अब लंड डालो चूत में और चोदो अपनी नसरीन भाभी को, निकालो मेरी चूत का पानी।”

“मैंने सोचा जमाल मुझे बिस्तर पर लिटायेगा, मेरे चूतड़ों के नीचे तकिया रख कर मेरी चूत का छेद उठाएगा और लंड चूत में डाल कर चुदाई करेगा – जमाल हमेशा ऐसी ही चोदता था मुझे। लेकिन उस दिन जमाल ने मुझे वैसे ही लेटा रहने दिया। मेरी टांगें तो हवा में उठी ही हुई थी, और चूत भी सामने ही थी।”

“जमाल फर्श पर खड़ा हुआ और एक ही झटके में लंड मेरी चूत में अंदर तक बिठा दिया। इस तरह से लंड चूत में जाने का तो मजा ही बड़ा आया। मेरे मुंह से निकला, “आआह जमाल ये कैसे डाला है लंड, पूरा अंदर गया है तुम्हारा लंड मेरी चूत में। ऐसे ही चोदा करो मुझे।”

“जमाल ने उस दिन जो मेरी चुदाई की कि मजा ही आ गया। इस तरह से चुदाई में ना सिर्फ लंड पूरा बैठ रहा था, लंड के धक्के भी खूब जोरदार लग रहे थे। जमाल के टट्टे जब धक्के लगाते हुए मेरी चूत के निचले हिस्से से टकराते थे तो ठप्प ठप्प की आवाज के साथ अजीब सा ही मजा आता था।”

“ऐसे ही एक दिन मैं जब बेड के किनारे पर बैठी थी और जमाल मेरी चूत चूसने के लिए मुझे लिटाने ही वाला था, ना जाने मुझे क्या हुआ – जमाल का लंड जो बिल्कुल मेरी मुंह के सामने था, मैंने लंड अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगी।”

“कुछ देर के बाद जमाल ने मेरा सर पकड़ कर पीछे की तरफ करने लगा, जैसे लंड मेरे मुंह में से निकालना चाहता हो। मैं जमाल का लंड अभी और चूसना चाहती थी। मैंने जमाल के पीछे हाथ करके जमाल को चूतड़ों से पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया।”

“जमाल समझ गया कि मैं अभी और लंड चूसना चाहती हूं। जमाल ने बस इतना ही कहा, “आआआह भाभी, कैसे मस्त चूसती हैं आप। बड़ा मजा आ रहा है।”

“मैं लंड चूसती रही और एक हाथ से चूत का दाना रगड़ती रही। तभी जमाल ने मेरा सर पकड़ कर लंड मेरे मुंह से निकलने कि कोशिश की। जमाल को शायद मजा आने वाला हो गया होगा। मगर मैंने जमाल के चूतड़ों को दबा कर रखा और जमाल का लंड मुंह से नहीं निकलने दिया।”

“आखिर जमाल ने भी मेरा सर छोड़ दिया। फिर अचानक से जमाल बोलने लगा, “अअअअअह क्या चूसती हो भाभी अअअह… क़्या मजा आ रहा है भाभी तुम्हारी लंड चुसाई का… आआआह… आज तक क्यों नहीं चूसा मेरी जान? आआह क्या चूसती है तू आआआह… नसरीन निकलेगा तेरे मुंह में आज… अअअअअह… मेरी जान और जोर से… और जोर से चूस नसरीन… मेरी जान जोर से… अअअअअह नसरीन… निकाल ले जो भी मेरे लंड में है चूस, चूस और चूस… आआआआह… “, और जमाल का ढेर सारा गरम पानी मेरे मुंह में निकल गया।”

“मैंने जमाल के लंड से निकले पानी का एक-एक कतरा पी लिया, मगर जमाल लंड फिर भी नहीं छोड़ा। मैं जमाल का लंड चूसती रही, चूसती रही।”

“जल्दी ही जमाल का लंड फिर खड़ा होने लगा और सख्त हो गया – चूत चोदने के लिए तैयार।”

“मैंने लंड मुंह से निकाला और और कहा, “आओ जमाल, अब दिखाओ अपनी भाभी को जन्नत”, और ये बोलते हुए मैं पीछे की तरफ लुढ़क गयी और अपनी टांगें हवा में उठा दीं।”

“जमाल ने मेरी टांगों को सहारा दे कर थोड़ा और ऊपर किया, लंड चूत पर रक्खा और एक ही झटके में लंड चूत के अंदर डाल कर मेरी चुदाई चालू कर दी।”

“बीस मिनट चली इस चुदाई में मजा ही आ गया। मैं और जमाल, दोनों का इकट्ठे पानी निकला।”

“चुदाई पूरी होने के बाद जमाल ने मुझे उठाया और मेरे होंठ अपने होठों में ले कर कुछ देर चूसने के बाद बोला, “भाभी आज तो मजा ही आ गया।”

“जमाल ने उस दिन पहली बार मेरे होंठ चूसे। अब ये होंठ चुसाई, चूत चुसाई, लंड चुसाई हर चुदाई से पहले होने लगा।”

“कभी-कभी जब मेरा मन करता मैं जमाल का पानी मुंह में छुड़ा लेती। कभी जब जमाल का मन करता तो जमाल कह देता, ” भाभी आज मुंह में ही निकालना है।”

“कभी कभी जब जमाल का मन मुझे बाहों में ले कर चोदने का होता तो मैं बिस्तर पर लेट कर चूतड़ों के नीचे तकिया रख लेती और फिर जमाल मेरे ऊपर लेट कर मुझे अपनी बाहों में ले कर मेरे चुदाई करता। बशीर मुझे हमेशा ऐसे ही चोदा करता था।”

“ये सिलसिला पूरे डेढ़ साल तक चला। मेरे बेटे असलम का कालेज खत्म होने को था। तभी एक और चीज़ हुई जिसने मुझे हिला कर रख दिया।”

“जमाल को उसके मौसा ने दुबई बुला लिया था। ये खबर जब जमाल ने मुझे सुनाई तो मैं परेशान हो गयी I

“जमाल भी समझ गया कि उसके जाने की खबर सुन कर मैं परेशान हो गयी थी।”

“जमाल बोला, “भाभी ये दुबई जाना मेरे लिए जरूरी है। इस तरह के मौके बार-बार नहीं आते।”

“मैं चुप रही। बोलती भी तो क्या बोलती। मेरे मन में बस एक ही सवाल था, “अब मेरी चुदाई कैसे होगी? मेरी चूत की आग कौन ठंडी करेगा?”

“जमाल ने मेरा हाथ पकड़ा और बोला, “भाभी आपको अपने को समझाना पड़ेगा। वैसे तो मैं अपने चचेरे भाई उस्मान को यहां रखवा जा रहा हूं। मेरी ही उम्र का है। मगर मुझे लगता है आपको उससे चुदाई नहीं करवानी चाहिए।”

“अपनी बात जारी रखते हुए जमाल बोला, “भाभी मेरी बात और थी। मुझ पर बशीर भाई के बहुत एहसान थे। वरना आज कल जमाना बड़ा ही खराब है। कहीं ऐसा ना हो उस्मान एक बार आपको चोदने के बाद अपने यारों दोस्तों से भी आपको चुदवा दे। असलम भाई अभी नए-नए हैं, अगर ऐसा हो गया तो वो कुछ नहीं कर पाएंगे। ऐसे नाजुक हलातों का सामना करने और जमाने को को समझने में उन्हें वक़्त लगेगा।”

“जमाल की बात मुझे ठीक लगी और मुझे याद आया जिसका अपना खसम नहीं रहता उसके हज़ार खसम पैदा हो जाते हैं। सबकी नज़र चेहरे से फिसलती हुई, मम्मों से होती हुई चूत पर जा कर अटक जाती है।”

“मैंने कहा, “शायद तुम ठीक कहते हो जमाल। मगर मैं अपनी इस”, और फिर अपनी चूत की तरफ इशारा करके कहा, “इस चूत का क्या करूंगी जिसे तुम्हारे लंड की आदत पड़ चुकी है?”

“जमाल ने मेरे मम्मों को दबा कर कहा, “भाभी, थोड़ा इंतजार करिये वक़्त आने पर इसका भी कुछ हो जाएगा।” मुझे जमाल की ये बात समझ नहीं आई, “भाभी, थोड़ा इंतजार करिये वक़्त आने पर इसका भी कुछ हो जाएगा।”

“मैंने जमाल से पुछा, “जमाल कब जाना है तुम्हें?”

“जमाल ने कहा, “भाभी अगले हफ्ते असलम भाई के सालाना पेपर खत्म हो जायेंगे। अगले हफ्ते से ही उस्मान भी आ जाएगा। उसके बाद एक हफ्ते में असलम और उस्मान को सारा काम समझा दूंगा। और फिर अलीगढ, मेरठ की तरफ के रिश्तेदारों को मिलने निकल जाऊंगा। फिर वहीं से दिल्ली से जहाज से दुबई चला जाऊंगा।”

“मैंने मन ही मन हिसाब लगाया मतलब दो हफ्ते ही थे जिसमें चुदाई हो सकती थी। मैंने कहा, “मतलब जमाल पंद्रह दिन ही हैं हमारे पास।”

“जमाल ने मेरा हाथ दबा कर कहा, “हां भाभी, दो हफ्ते। इन पंद्रह दिनों में मैं आपको रोज़ चोदूंगा। जैसे आप कहेंगी वैसे चोदूंगा।” ये कहते हुए जमाल ने मेरी चूत सहला दी।”

“मैंने जमाल को कहा, “जमाल अब जब भी चुदाई करना, चुदाई की कोइ अलग सी फिल्म चला कर चुदाई करना। हम फिल्म देखते हुए चुदाई करेंगे।”

“जमाल बोला, “जब भी क्यों भाभी, आज ही, अभी ही ऐसा करेंगे।”

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