मां बेटे की चुदाई – एक मनोचिकित्सक की ज़ुबानी-7

पिछला भाग पढ़े:- मां बेटे की चुदाई – एक मनोचिकित्सक की ज़ुबानी-6

जमाल और नसरीन की चुदाई मस्त चल रही थी। अभी जमाल का दुबाई जाने का प्रोग्राम बन गया। नसरीन इस खबर से परेशान और मायूस हो गयी। जमाल को जाने में बस दो ही हफ्ते बचे थे। जमाल और नसरीन ने फैसला किया कि इन पंद्रह दिनों में वो रोज चुदाई करेंगे। नसरीन का मन चुदाई की फिल्म देखते हुए चुदने का होने लगा। और फिर-

नसरीन की बात जारी थी, “उस दिन दोपहर एक बजे मैं ऊपर चली गयी, और जमाल चुदाई की फिल्म वाली कैसेट ले कर आ गया।”

“उस दिन वो हुआ जो जमाल के साथ पहले नहीं हुआ था। उस फिल्म में लड़का-लड़की की गांड चोदता दिखाया गया था। बिल्कुल वैसे ही जैसा मेरे और बशीर के फिल्म देखते हुए हुआ था।”

“जमाल ने पूछा, “भाभी आज ये करें? बशीर से एक बार गांड चुदवाने के बाद मैंने गांड नहीं चुदवाई थी। मुझे गांड चुदाई का कोइ शौक भी नहीं लगा था। मगर मैं जमाल को ना नहीं कर सकी।”

“मैंने अपनी और बशीर की गांड चुदाई की बात छुपाते हुए जमाल से कहा, ”जमाल मैंने तो कभी गांड चुदवाई नहीं, सुना है गांड चुदवाने में बड़ा दर्द होता है।”

“मगर जमाल तो जैसे उस दिन गांड का टाइट छेद चोदने का मन बनाये हुए था। जमाल ने मेरे मम्मों को दबाते हुए कहा, “कुछ भी दर्द नहीं होगा भाभी, उल्टा मजा ही आएगा। गांड चोदने का भी एक ख़ास तरीका होता है। मैं सायरा की भी गांड अक्सर चोदता हूं I उसे तो अब गांड चुदवाने इतना मजा आने लग गया है कि अगर मैं एक हफ्ता उसकी गांड ना चोदूं तो वो खुद ही गांड चोदने के लिए कह देती है।”

“जमाल अपनी बीवी सायरा की बात कर रहा था।”

“जमाल की बात सुन कर मैंने सोचा अगर जमाल गांड चुदाई में इतना ही माहिर था, और ऐसा कह रहा था, तो फिर तो जरूर गांड चुदवा कर देखना चाहिए।”

“वैसे भी जमाल के जाने के बाद मैं भी अब की चुदी ना जाने कब चुदूंगी। अगर जमाल का इतना मन कर ही रहा है गांड चोदने का, तो आज गांड भी चुदवा ही लेती हूं।”

“मैंने कह दिया, “ठीक है जमाल आ जाओ, चोद लो अपनी भाभी नसरीन की गांड भी। फिर मैंने थोड़ी उदासी सी से कहा वैसे भी जमाल अब की चुदी पता नहीं कब चुदूँगी।”

“जमाल वही बात बोला, भाभी आप अपनी चुदाई का इतना भी मत सोचो। इतना कह कर जमाल उठते हुए बोला, “भाभी मैं दस मिनट में गांड चुदाई वाली क्रीम ले कर आता हूं। तब तक आप इस फिल्म के मजे लो।”

“जमाल क्रीम लेने चला गया और मैं चुदाई वाली फिल्म देखने लगी।”

“मेरी गांड में ये सोचने भर से ही झनझनाहट होने लगी कि आज इसमें भी जमाल का लंड जाएगा। सोच रही थी कैसे चोदेगा जमाल मेरी गांड?कैसा लगेगा जमाल से गांड चुदवा कर? क्या गांड के छेद में वैसा ही दर्द होगा जैसा बशीर से चुदाई के वक़्त हुआ था?

“कुछ ही देर में जमाल क्रीम लेकर आ गया।”

“फिल्म में लड़का-लड़की की गांड चुदाई देखते-देखते मेरी चूत और गांड दोनों चुदाई करवाने के लिए बेचैन हो चुकी थी।”

“जमाल ने आते ही मेरे और अपने कपड़े उतार दिए। जो हालत जमाल के लंड की हुई पड़ी थी, लग रहा था जमाल भी मेरी ही तरह मेरी गांड और चूत चुदाई के लिए बेकरार था। जमाल का लंड एक-दम सख्त हुआ पड़ा था। जमाल ने आते ही मेरी टांगें चौड़ी की और मेरी चूत में अपनी जुबान घुसेड़ दी।”

“जमाल की चूत चुसाई में तो मानो जादू था। उधर मुझे तो चूत चुसाई की आदत ही पड़ गयी थी। जमाल चूत चूस कर और चाट कर हटा तो मैं उठ कर बैठ गयी और जमाल के लंड को देखने लगी। जमाल समझ गया कि मैं क्या करना चाहती थी। जमाल मेरे सामने आ कर खड़ा हो गया। मैंने जमाल का लंड हाथ में पकड़ा और कर मुंह में लेकर चूसने लगी।”

“जल्दी ही जमाल बोला, बस भाभी अब और नहीं रहा जा रहा। अपने मुलायम चूतड़ इधर करो, लंड डालूं इसमें।”

“मैं बिस्तर पर घुटनों के बल उल्टी होकर लेट गयी और अपने चूतड़ उठा दिए। गांड के अंदर लंड लेने का दूसरी बार का तजुर्बा होने वाला था। सोच रही थी कि कहीं इस बार भी बशीर के गांड चुदाई की तरह ही दर्द ना होने लग जाए।”

“मगर फिर वही ख्याल आया, “अब की चुदी ना जाने कब चुदूंगी। मैंने चूतड़ उठा कर कहा, “आ जाओ जमाल, जाने से पहले कर लो अपनी गांड चुदाई की हसरत भी पूरी।”

“जमाल ने क्रीम के ट्यूब निकाली और ढेर सारी क्रीम मेरी गांड के छेद पर लगा कर अंगूठे से गांड के छेद पर धीरे-धीरे मलने लगा। मुझे तो तो इसमें भी बड़ा मजा आया। फिर धीरे से जमाल ने उंगली पर क्रीम लगाई और उंगली गांड के छेद में डाल दी। जिस तरह जमाल गांड के छेद पर क्रीम लगा रहा था, उससे लग रहा था कि जमाल अक्सर गांड चुदाई करता रहता है।”

“मैंने सोचा अगर गांड के छेद पर जमाल के उंगली लगाने से इतना मजा आया है तो जब जमाल लंड गांड के अंदर डालेगा तो क्या होगा। मैं अभी ये सोच ही रही थी कि जमाल ने दुबारा ढेर सारी क्रीम गांड के छेद पर रखी, और उंगली से गांड के अंदर तक क्रीम लगा दी। मैंने सोचा बशीर ने तो ऐसा नहीं किया था।”

“मेरे मुंह से बस इतना ही निकला, “आआआह… जमाल मजा आ गया फिर डालो गांड में उंगली।”

“उधर नीचे हाथ करके मैंने अपनी चूत का दाना रगड़ना शुरू कर दिया। जमाल ने पांच सात बार मेरी गांड में उंगली डाली। फिर जमाल ने धीरे-धीरे अपने हाथ की दो उंगलियां गांड के छेद में डाल दी, और गांड के अंदर उंगलियों को इधर-उधर घुमाने लगा।”

“जमाल के ऐसा करने से ही मुझे बड़ा मजा सा मिल रहा था। जमाल जो कुछ मेरी गांड के साथ कर रहा था लग रहा था, उससे तो ऐसा लग रहा था जैसे जमाल तो गांड चुदाई का माहिर है। कम से कम मुझे तो जमाल गांड चुदाई में बशीर से ज्यादा तजुर्बेकार लगा।”

“आठ-दस बार दो उंगलियां गांड के छेद में घुमाने के बाद जमाल ने लंड गांड के छेद पर रख कर थोड़ा जोर लगाया, और लंड का आगे का टोपा गांड के अंदर बिठा दिया और इसके बाद जमाल रुक गया।”

“कुछ देर जमाल ऐसे ही खड़ा रहा और मेरे चूतड़ों पर हाथ फेरता रहा। फिर जमाल ने लंड फिर बाहर निकाला, गांड के छेद पर बाहर और अंदर फिर से क्रीम लगाई, लंड छेद पर रक्खा, और धीरे-धीरे अंदर करते हुए पूरा लंड बिठा दिया।”

“मुझे दर्द तो हुई, मगर मैं दर्द सह गयी। वैसे भी ये दर्द उतनी नहीं थे जितनी बशीर के लंड डालने के वक़्त हुई थी।”

“उधर जमाल मेरी गांड चोदने की तैयारी में था और इधर मेरे दिमाग में बस यही चल रहा था कि मेरी चूत और गांड अब की चुदी पता नहीं फिर कब चुदेगी – चुदी भी नहीं कब चुदेगी। जमाल के जाने के बाद कौन चूसेगा मेरी चूत। कौन चोदेगा मेरी चूत और गांड। किसका लंड मुंह में लूंगी मैं।”

“मैं अभी इन्हीं ख्यालों में डूबी हुई थी कि जमाल ने मेरी कमर पकड़ी, लंड एक बार पूरा बाहर निकाला और एक झटके के साथ पूरा लंड गांड में बिठा कर चुदाई चालू कर दी।”

“ढेर सारी क्रीम के कारण लंड फिसल कर बाहर निकलता और फिसल कर ही अंदर जाता। दर्द का एहसास खत्म होता जा रहा था, अब तो मजा ही मजा आ रहा था।”

“जमाल ने मेरी कमर पकड़ी हुई थी और हुंह… हुंह… हुंह की आवाजों के साथ गांड के टाइट छेद की चुदाई रगड़ाई कर रहा था।”

“जल्दी ही मुझे मजा आने लगा और चूत पानी छोड़ने लगी। लंड जब गांड के छेद के सिरे को रगड़ता हुआ अंदर जाता तो एक अजीब से मस्ती का एहसास होता था। जमाल के लटकते हुए टट्टे ठप्प ठप्प ठप्प की आवाज के साथ चूत पर टकराते हुए अजीब सा मजा दे रहे थे।”

“जमाल मेरी गांड चोद रहा था मगर मुझे अपनी उंगली चूत में डालने से मजा नहीं आ रहा था। चूत में कुछ मोटा लेने का मन कर रहा था।”

“जमाल का लंड तो मेरी गांड के अंदर था। तभी मुझे उस पेन कवर की याद आयी।”

“मैंने जमाल से कहा, “जमाल वो TV के पास जो पेन का कवर पड़ा है वो पकड़ाना जरा।”

“जमाल समझ गया कि में क्या करने वाली हूं। जमाल ने लंड गांड में से निकला और पेन का कवर मुझे पकड़ा दिया। मैंने नीचे तरफ हाथ कर के पूरा का पूरा पैन का कवर चूत के अंदर कर लिया और उसे आगे-पीछे करने लगी।”

“मगर इस तरह चुदाई में मजा नहीं आ रहा था। मैं कुहनियों के बल उल्टा लेटी हुई थी। एक हाथ से पैन चूत में लेने के कारण एक कुहनी पर बैलेंस नहीं बन पा रहा था और मैं बार-बार जमाल के धक्कों के कारण आगे के तरफ लुढ़क रही थी।”

“जमाल ने लंड गाड़ में से निकाल लिया और बोला, “ऐसे बात नहीं बनेगी भाभी। सायरा को भी गांड चुदाई करवाते हुए ये दिक्क्त आती है। उसका भी एक कुहनी पर बैलेंस नहीं बन पाता।”

मैंने सर मोड़ कर जमाल की तरफ देखा जैसे पूछ रही हूं , “तो क्या करें?”

“जमाल बोला, “भाभी गांड चुदाई का तरीका थोड़ा बदलना पडेगा, मैं बताता हूं।”

“मैं उठ कर बैठ गयी और जमाल की तरफ देखने लगी।”

“जमाल ने वहीं बेड के किनारे पर मुझे सीधा लिया दिया और मेरे चूतड़ों के नीचे दो तकिये रख कर मेरे चूतड़ उठा दिए। मेरी गांड का छेद बिल्कुल जमाल के लंड के सामने आ गया।”

जमाल ने मेरी टांगें उठा कर चौड़ी की और अपना लंड एक ही बार में मेरी गांड में डाल दिया और पैन का कवर मेरे हाथ में देते हुए बोला, “लो भाभी अब डालो जो डालना है अपनी चूत में। अब सब सेट है।”

“मैंने हंसते हुए कहा , “जमाल तुम तो लगता है गांड चुदाई के उस्ताद हो, सायरा की खूब गांड चोदते हो क्या?”

“जमाल भी हंस दिया मगर बोला कुछ नहीं, बस मेरे गांड चुदाई चालू कर दी।”

“मेरे दोनों छेद पूरी तरह भरे हुए थे, और मुझे जन्नत का मजा मिल रहा था। मैंने जमाल से कहा, “जमाल ये तो सच में हे बड़ा मजा आ रहा है। चलो बढ़िया से चुदाई करो, बस अब मत रुकना।”

“ये सुनते ही जमाल ने मेरी कमर फिर से पकड़ी और गांड में जबरदस्त धक्के लगाने लगा।”

“मेरे गांड में जमाल का लंड था और चूत में पैन का कवर।”

“मजे के मारे मेरे मुंह से फिर वही लफ्ज़ और सिसकारियां निकलने लगीं , “आआह… आआह… जमाल दबा कर चोदो मेरी गांड… खोल दो इसको….. आआह – और रगड़ा लगाओ मेरी गांड को… मैं रगड़ रही हूं अपनी चूत को… बड़ा ही मजा आ रहा है जमाल… आआह… और जोर से… आआह… जमाल मेरे राजा… और जोर से चोद… आआआह… अअअअअह… डालो मेरी गांड में अपना पानी… भर दो मेरी गांड आज… कैसे जियूंगी तेरे इस लंड के बिना मेरे राजा… मेरे जमाल।”

“मुझे मजा आने वाला था। किसी भी पल मेरी चूत पानी छोड़ सकती थी।”

“उधर जमाल भी उन्ह उन्ह उन्ह की आवाजों के साथ बोल रहा था, “आअह मेरी भाभी मेरी नसरीन ले ले मेरा मेरा लौड़ा… ये गया तुम्हारी गांड में… आह भाभी मेरी जान… अअअअअह… मजा आ गया… मैं भी कैसे रहूंगा तेरी चूत और गांड चुदाई के बिना… मेरी नसरीन, आआआह तेरी गांड… आअह… नसरीन ले मेरा लंड…. पूरा का पूरा गया तेरी गांड के अंदर… अअअअअह… मेरी रानी… मेरी रानी नसरीन… ले मेरा लौड़ा… ले…‌ ले… नसरीन आअह… नसरीन मेरी नसरीन आज तो तुम्हारे मुंह में निकालना है… आअह… मेरी जान नसरीन ये ले निकल गया मेरे लंड का पानी तेरी गांड में।”

“मेरी और जमाल की इन गांड चूत चुदाई वाली बातों के साथ हम दोनों ही झड़ गए।”

“मैं सोच रही थी जमाल से पहले गांड क्यों नहीं चुदवाई। चूत चुसाई और चुदाई के साथ-साथ जमाल तो गांड चुदाई का भी माहिर था।”

“उसके बाद अगले सात दिन जमाल ने मेरी वो धुआंधार चुदाई की कि मुझे बशीर की चुदाई भी जमाल की इस चुदाई के सामने फीकी लगने लगी। जमाल ने चोद-चोद कर चूत और गांड के दोनों छेद फुला दिए, मगर हमारी चुदाई बंद नहीं हुई।”

“जैसे-जैसे दिन गुजरते जा रहे थे मेरी उदासी यही सोच सोच कर बढ़ती जा रही थी कि कैसे मेरी चूत की प्यास बुझेगी। कौन आएगा मेरी चूत की प्यास बुझाने, कौन डालेगा मेरी गांड की छेद में अपना लंड।”

“लेकिन यहां सिर्फ मैं ही उदास नहीं थी। असलम भी उदास था।”

“मैं तो इस लिए उदास थी कि जमाल के जाने के बाद अब मेरे चुदाई कौन करेगा। मगर असलम की उदासी का कारण मेरी समझ से बाहर था। असलम को तो उल्टा खुश होना चाहिए था कि BA पास करके खुद का चला चलाया काम संभालने वाला था।”

“एक बात और भी मेरे ध्यान में आयी। जब से जमाल ने अपनी दुबई जाने वाली बात बताई थी असलम कुछ ज्यादा ही मेरा ध्यान रख रहा था। बार-बार मुझसे बात करता और पूछता, “अम्मी कोई परेशानी तो नहीं? कुछ चाहिए तो नहीं?”

“मेरे पास असलम की इन बातों का कोई भी जवाब नहीं था।”

“चौदवें दिन मेरी और जमाल की आखरी चुदाई हुई।”

“जमाल पर तो मानो जूनून सवार था। जमाल ने पहले मेरी गांड चोदी, फिर चूत की चुदाई की और आखिर में मुझसे इतना लंड चुसवाया कि ढेर सारा गरम पानी मेरे मुंह में निकल कर मेरा मुंह भर दिया। जमाल मेरे मुंह से लंड निकाल ही नहीं रहा था। मैंने जमाल के लंड से निकला सारा का सारा पानी गटक लिया, और फिर से लंड चूसने लगी।”

“मेरी चुसाई जल्दी ही जमाल का लंड फिर खड़ा हो गया। जमाल ने कहा, “भाभी अब हमारी आख़री चुदाई है, बोलो कहां लेना है लंड, कैसे चुदवानी है?”

“TV पर चुदाई की कैसेट चल रही थी। जो सीन चल रहा था उसमें लड़का नीचे लेटा हुआ था और लड़की ने ऊपर बैठ कर लड़के का पूरा लंड अपनी चूत में ले रखा था और जोर-जोर से ऊपर-नीचे होती हुई चुदाई करवा रही थी।”

“मैंने TV की तरफ इशारा करके कहा, “ऐसे।”

“जमाल नीचे लेट गया और एक पतला तकिया अपने चूतड़ों के नीचे रख के लंड को थोड़ा ऊपर उठा लिया। मैंने अपनी टांगें जमाल के दाएं बाएं की, जमाल के खूंटे की तरह खड़े लंड को पकड़ कर चूत के छेद पर रक्खा और ऊपर बैठ गयी। लंड पूरा अंदर चला गया। मुझे साफ़ पता चल रहा था कि लंड का अगला सिरा, चूत के अंदर किसी चीज को छू रहा था।”

“फिर मैंने जो चुदाई शुरू की कि पुराने पलंग से भी चूं-चूं की आवाजें आनी शुरू हो गयी। लेकिन ये चूं-चूं की आवाजें मेरी और जमाल की आवाजों में दब कर रह गयी।”

“कुछ देर ऐसे ही चुदाई करने के बाद मैं जमाल के लंड से उठ गयी और मैंने जमाल से कहा, “जमाल अब तुम आओ ऊपर और मेरी टांगें अपने कंधों पर रख ऐसी चुदाई करो की सारी जिंदगी याद रहे।”

“अब मैं नीचे लेट गयी और मोटा तकिया अपने चूतड़ों के नीचे रख कर अपनी चूत उठा दी। मेरी चूत चिकनी तो हुई ही पड़ी थी। जमाल ने पहले दिन के चुदाई के तरह मेरी टांगें अपने कंधों पर रखी और आगे की तरफ होने लगा। मेरी चूत खुद-ब-खुद ऊपर उठने लगी।”

“जमाल ने लंड मेरी चिकनी हुई पड़ी चूत पर रखा और एक ही झटके के साथ पूरा लंड अंदर डाल कर बिना देर किये चुदाई चालू कर दी।”

“मैंने नीचे से चूतड़ घुमाने लगी। मेरे मुंह से मजे के सिसकारियां निकल रहीं थीं “आआह… आआह… जमाल दबा कर चोदो मेरी फुद्दी… आआह – और रगड़ा लगाओ मेरी फुद्दी को। बड़ा ही मजा आ रहा है जमाल। आआह… और जोर से… आआह… जमाल मेरे राजा… और जोर से चोद… आआआह… अअअअअह… आअह जमाल… बैठ गया जड़ तक अअअअअह।”

“उधर धक्के लगाते हुए जमाल भी बोलता जा रहा था, “यह ले भाभी… आआआह…  नसरीन तेरी चूत… तेरी फुद्दी… मेरी नसरीन… आअह… नसरीन ले मेरा लंड पूरा का पूरा गया तेरी फुद्दी के अंदर… अअअअअह… मेरी रानी… मेरी रानी नसरीन…‌ ले मेरा लौड़ा… ले… ले… नसरीन आआह।”

[email protected]

अगला भाग पढ़े:- मां बेटे की चुदाई – एक मनोचिकित्सक की ज़ुबानी-8