माँ पापा से गुस्साई, बेटे से चुदवाई-2

पिछला भाग पढ़े:- माँ पापा से गुस्साई, बेटे से चुदवाई

आप सब का इस कहानी के दूसरे भाग में स्वागत है।

जैसा कि पहले भाग में मैंने बताया किस तरह माँ का गुस्सा बदले की भावना में बदला, और मुझसे मदद लेने के लिए तैयार हुई। अब आगे:-

मैं केवल चड्डी में माँ का बूब्स कपड़ो के ऊपर से ही दबा रहा था, और वो आंख बंद करके मुझे ग्रीन सिग्नल दे रही थी। मैं हाथ उनकी नाइटी और ब्रा के अंदर ले गया, और दूध को मसलने लगा। माँ आंखे बंद कर महसूस कर रही थी।

उनके बूब्स बड़े मुलायम थे। मैं उठा और मेन गेट अंदर से लॉक करके आया। मुझे भरोसा नहीं हो रहा था कि मैं माँ को चोदने वाला हूँ। मैं बहुत खुश था। मैंने चेक किया कि कोई खिड़की या कहीं अन्य से दिखे ना। सारा बन्द करके मैं अपने रूम में आया।

माँ तब तक लेट गयी थी। मैं उनके ऊपर जा चढ़ा और उनकी आंखों में देखने लगा। शर्म से उसने आंखे बंद कर ली। मैंने पहले आंखों को चूमा। फिर गालों को चाटने लगा।

मेरा सपना था कि माँ का स्वाद लूँ। और आज माँ को चाटते हुए बहुत अच्छा लग रहा था। उनके हल्के पसीने वाले गाल का नमकीन स्वाद, आह। मैं तो गाल को खा जाना चाहता था।

मैंने उनके होंठो को छुआ, होंठो पर उंगली चलाई, और होंठो को चूसने लगा। वो भी साथ देने लगी।

उनकी जीभ को मुंह में लेकर मैं चूसने लगा। पूरा जीभ का रस पीने लगा। क्या स्वाद था। बिल्कुल मादक। मैंने होंठो का लंबे समय तक रसपान किया।

फिर मैं उनकी कांखों को सूंघने लगा। नाईटी उनकी बगलों को ढकती नहीं थी। उसमें बाल भी थे।

बाल वाली उस कांख को मैं चाटने लगा, और उसमें से सारा पसीना पी गया। ये सेक्स की ताकत है, कि कुछ भी चाटने पीने को तैयार कर देता है। कांखों को चाटने पर मां आश्चर्य में थी।

वो बोली: ये तो तेरे पापा ने किया ही नहीं। तुमको पसन्द है क्या ये करना?

मैं बोला: हां मां, इसका स्वाद और गन्ध मुझे पसन्द है।

वो भी रिश्ता भूल चुकी थी, और चुदने को तैयार थी। मैं पैरों की ओर गया, और पूरे पैर को चूसते हुए ऊपर आया। नाइटी उतार दी, और पैंटी के आस-पास चूसने लगा। वो मचलने लगी। ब्लैक पैन्टी और रेड ब्रा में गजब लग रही थी।

मैं ढोड़ी चूसते हुए ऊपर आया, और बूब्स को जोर से मसलने लगा। वो सिसकिया लेने लगी।

घर पैक था। मोम की आवाज सुनने वाला कोई नही था। मैंने ब्रा उतार दी और बूब्स चूसने लगा। मैंने काफी देर चूसा, और दबाया। फिर जोर से किस किया। लगभग 10 मिनट चूसने के बाद नीचे गया, और पैंटी के ऊपर से ही चाटने लगा। मोम तो मचल गयी। वो ओह्ह ओह्ह करने लगी।

फिर मैंने पैंटी उतार दी और चूत चूसने लगा। आह गजब मज़ा आया। मैं चूसता ही रहा काफी देर। फिर मैं ऊपर आकर किस करने लगा, और मोम पर लेट कर उनको देखने लगा। और उनके चूत और बूब्स की तारीफ करने लगा। वो भी खुद को जवान लड़की समझने लगी होगी शायद। वो खुश हो गयी।

फिर वो उठी और मेरे ऊपर आ गयी और मेरे बॉडी और तरीको की तारीफ करने लगी। फिर मैं उनके हाथ अपने चड्डी पर रख कर उनको देखने लगा। उसने मेरी चड्डी उतारी और लंड चूसने लगी। मैं तो स्वर्ग में था। मैं कंट्रोल नही कर पाया और मलाई उनके मुंह में छोड़ दी। वो सारा पी गयी, और मेरे ऊपर लेट गयी।

वो बोली: अभी बदला पूरा नहीं हुआ है।

कुछ देर हम बाते करते रहें। फिर मैं किस और बूब चूसना करते रहा, और लंड फिर खड़ा हो गया। सारा शरीर मैंने उनका चूसा फिर से, और लंड उसके मुंह में दे दिया। वो चूस कर गीला कर दी। वो चॉकलेट की तरह अपने बेटे का लंड चूस रही थी। उसके होंठो को अपने लंड से चिपका देख मैं भी बहुत खुश हुआ।

चूस कर जब पूरा खड़ हो गया, तो वो लेट गयी और पैर फैला कर मुझे देखने लगी। मैं समझ गया कि ये अब चूत में लंड चाहती है।

मैंने चूत में उंगली शुरू की और गांड के छेद को चाटने लगा।

वो बोली: उधर नहीं।

मैंने पूछा: क्यों, पीछे नहीं ली हो क्या?

वो ना में सर हिलाई। मैं मन ही मन सोचा कि माँ की गांड भी मारूंगा, पर पहले ही दिन नहीं। तो मैं चूत चूसना शुरु किया। उसका जूस मैं मस्ती से पी रहा था।

माँ: डाल दो ना अब।

वो ऐसा बोल कर तड़प रही थी। मैंने लंड का टॉप उसकी चूत से सटाए रखा। वो तो मचल गयी। मैं भी मां की चूत में जिस छेद से मैं निकला था उसमें लंड सटा कर बहुत खुश था। वो तड़प रही थी।

माँ: डाल ना अब।

मैं लंड से चूत को रगड़ने लगा, और कुछ देर बाद लंड डाल दिया, और चोदने लगा। थोड़ी दिक्कत हुई डालने में, पर उनको कोई दर्द नहीं हुआ ज्यादा। मैं स्वर्ग में था। माँ की चूत में लंड डाल कर चाहता था जैसे यूं ही समय रुक जाए, और मैं चोदता रहूं। सामने पड़ी नंगी माँ और उसकी चूत ने मेरे लंड को जकड़ रखा था।

माँ एक अप्सरा लग रही थी। मेरे चोदने से उसके दूध हिल रहे थे। मैं एक ही पोजीसन में चोदता रहा। और उसकी चूचियों को दबाता रहा। काफी देर चुदने के बाद मैं अब आने वाला था।

मैंने बोला: माँ मुंह में लोगी ना?

वो बोली: अंदर ही आजा ना, मैं प्रेग्नेंट नहीं हो सकती, ओपरेशन हो चुका है। तो डर भी खत्म।

मैंने मस्त अंदर ही पानी छोड़ दिया, और लंड चूत में ड़ाल कर ही लेट गया उसके ऊपर। हमलोग 2 और राउंड किये उसी पोजीसन में।

फिर नंगे ही रहे। शाम को पापा के आने से पहले हम साथ में स्नान किये और हमने कपड़े पहने। और इसी तरह हमारा चलता रहा।

आगे जानिए कि किस तरह हमने और भी चुदाई अलग-अलग पोजीसन और जगह पर की। तो मिलते हैं तीसरे पार्ट में। बाकी आपके सुझाव नीचे लिखिये जरूर। माँ खुश लग रही थी। बाकी अगले भाग में।

अगला भाग पढ़े:- माँ पापा से गुस्साई, बेटे से चुदवाई-3