अजब गांडू की गजब कहानी-30

पिछला भाग पढ़े:- अजब गांडू की गजब कहानी-29

युग पेशाब करके जैसे ही बाथरूम से वापस आया, राज का खड़ा लंड देख कर बोला, “ये क्या, तेरा तो अभी भी खड़ा है।” इतना बोल कर युग राज के पास बैठ गया और उसका लंड हाथ में पकड़ लिया।

उधर युग की बात सुन कर चित्रा उठ कर दोनों के पास आ गयी और युग से बोली, “मैं भी अभी-अभी राज से यही बोल रही थी कि इसका लंड कभी बैठता भी है या दिल्ली की क़ुतुब मीनार की तरह ऐसे आसमान की तरफ ही देखता रहता है।”अब आगे-

चित्रा की बातों से लग रहा था कि वो कुछ ज्यादा ही बोल रही थी। गनीमत थी कि युग को भी चढ़ी हुई थी। चित्रा की आधी बातें तो उसे समझ ही नहीं आ रही होंगी।

चित्रा बोली, “चलो मैं फिश गरम करके लाती हूं। कुछ पेट पूजा करें फिर अगली चुदाई का एक दौर और चलाएंगे।”

और फिर चित्रा युग के बिल्कुल सामने जा कर बोली, “और युग, तू ध्यान से सुन मेरी बात। मैं जा रही हूं किचन में, तूने राज का लंड पकड़ा हुआ है, अब मेरे पीछे कहीं तू राज के लंड की मुट्ठ मत मार देना। रात बहुत पड़ी है और अभी बहुत काम करना है तुम दोनों के इन लंडों ने।”

चित्रा ने गिलास मेज पर रखा और हिलती हिलती डगमगाते कदमों से किचन की तरफ चल पड़ी।

— राज का खड़ा लंड देख कर युग के अंदर का गांडू जाग गया

युग ने मेरा लंड पकड़ा हुआ था, और हल्का-हल्का दबा रहा था। सालों साल ही हो गए थे मेरा लंड किसी लड़के ने नहीं पकड़ा था। पर्थ में भी हेमंत की गांड आठ दस बार ही चोदी थी। फिर तो पारुल थी तबस्सुम थी और वो पांच फुटी किम। युग के साथ तो गांड चुदाई का पुराना रिश्ता था। युग को भी तो कितने साल ही हो गए थे मेरा लंड हाथ में लिए।

युग के हाथ लगाते ही मेरा लंड फनफनाने लगा। मेरे अंदर का भी टॉप गांडू जागने लगा। मेरा मन भी युग की गांड चोदने का होने लगा। आखिर कार, जब मुझसे नहीं रुका गया तो मैंने कह ही दिया, “यार युग, तेरी गांड में डालने का मन हो रहा है।”

युग मेरी तरफ देखता हुआ बोला, “राज मन तो मेरा भी कर रहा है। कितने साल हो गए तेरा लंड गांड में लिए। मगर कैसे करें। चित्रा क्या सोचेगी?”

युग की इस बात का जवाब तो मेरे पास भी नहीं था। मेरा लंड युग के हाथ में ही था। अचानक से युग उठा और मेरे सामने बैठ कर मेरा लंड मुंह में लेकर चूसने लगा।

मैंने युग को नहीं हटाया। मुझे भी मजा आ रहा था। मैंने बस इतना ही सोचा कि देखते हैं युग को मेरा लंड चूसते देख चित्रा क्या बोलती है।

दारू के नशे में इंसान का सोचने का ढंग भी तो बदल जाता।

तभी चित्रा एक बड़ी प्लेट में फिश ले कर आ गयी। आते ही युग को मेरा लंड चूसते देख कर ठिठक कर खड़ी हो गयी और हंसने लगी,”अरे? अब ये युग क्या कर रहा है?”

फिर प्लेट बीच मेज पर रख कर युग के कंधे पर हाथ रख कर बोली, “क्या हुआ युग, ये क्या कर रहा है? सोया हुआ गांडू जाग गया क्या? गांड में डलवाने का मन हो गया क्या?”

कहां तो मैं सोच रहा था चित्रा युग को इस तरह मेरा लंड चूसते देख क्या सोचेगी, और यहां तो चित्रा को कोइ फर्क ही नहीं पड़ा था। युग हैरान सा मेरा लंड मुंह से निकाल कर शर्माता हुआ हैरान, परेशान, सकपकाया सा चित्रा की तरफ देखने लगा।

चित्रा ने फिर उसी लहजे में कहा, “क्या हुआ युग? लंड मुंह से क्यों निकाल लिया। अरे मन का रहा है तो गांड चुदवा ले राज से। उल्टा तुझे तो खुश होना, चाहिए की तू बॉटम गांडू से वर्सेटाइल गांडू हो गया है। इधर मेरी चूत चोदता है और अब राज से गांड चुदवा रहा है।”

युग चुप था। मैं भी सोच रहा था कि चित्रा ये सब क्या सोच कर बोल रही है। क्या चित्रा युग पर ताना कस रही है, युग को चिड़ा रही है या सच में ही चित्रा को इसमें कोइ बुराई नहीं लग रही की युग मेरा लंड चूस रहा है और मुझसे गांड चुदवाने के फेर में है।

युग बस इतना ही बोल पाया, “चित्र मैं तो बस, मैं तो।”

चित्रा ने जो कुछ इसके बाद बोला मुझे यकीन हो गया कि चित्रा सुरूर में तो जरूर थी, मगर नशे में नहीं थी। चित्रा मेरे पास ही बैठ गयी और युग की कंधे पर हाथ रख कर बोली, “युग क्या बात है, इतना क्यों परेशान दिखाई दे रहा है। कहीं तुझे ऐसा तो नहीं लग रहा मैं तेरा मजाक उड़ा रहीं हूं?”

फिर चित्रा ने अपने गले पर हाथ रख कर कसम खाने वाले अंदाज में कहा, “युग ऐसा नहीं है। मैं कसम खा कर बोलती हूं, मुझे तेरे समलिंगी होने से अब कोइ परेशानी नहीं। बस तू मेरी चुदाई करता रह। और फिर तेरी ये समलिंगी वाली आदत भी तो कितनी कम हो ही गयी है।”

चित्रा बात जारी रखते हुए बोली, “कोइ भी आदत एक झटके में तो नहीं जाती युग। अगर तू आज राज से गांड चुदवायेगा है तो उल्टा मैं भी देखूंगी और मजा लूंगी।”

मैं और युग तो चित्रा की बातों से सदमें में ही थे कि चित्रा दुबारा बोली, “चल युग उठ चुदवा आज राज से गां… तुझे देख कर फिर मैं भी गांड चुदवाने का सोचती हूं। मैं भी एक बार चुदवा कर देखूं तो सही ऐसा भी क्या है गांड चुदवाने में, क्यों गांड में लंड लेते हैं लड़के-लड़कियां।”

फिर चित्रा मेरी तरफ देखती हुई बोली, “बता राज चोदेगा मेरी गांड? साले तुझे तो मेरे चूतड़ बड़े मस्त मुलायम लगते हैं।”

हालांकि ये ‘मुलायम चूतड़ों’ वाली बात मैंने चित्रा को युग के सामने कभी नहीं कहीं थी, मुझे लगा युग शायद ये बात सुन कर हैरान सा होगा। मगर शुक्र है शराब का, जिसके सुरूर के चलते ना चित्रा को पता था वो क्या बोल रही है, ना युग को समझ आ रहा था चित्रा क्या बोल रही है। उधर युग राज का लंड चूस रहा था इधर चित्रा के हंसी नहीं रुक रहे थी।

चित्रा हंसते हुए बोली, “आज तो मैं युग की गांड चुदाई देखूंगी ही देखूंगी। वैसे भी कोइ भी अपनी गांड या चूत चुदाई तो देख नहीं सकता। चुदाई देखने के मजे लेने हों तो फिर दछसरे की चुदाई ही तो देखनी पड़ेगी। मैंने भी तुम लोगों से कितनी चुदाई करवाई है, मगर चूत में लंड अंदर बाहर होते तो नहीं देखा।”

चित्रा अपने ही लय बोलती जा रही थी, “युग सुन मेरी बात, अगर तू आज राज से अपनी गांड में लंड डलवाएगा तो कम से कम एक गांड चुदते हुए तो देख लूंगी। चल मस्त हो के चूस राज का लंड, और अच्छा सा सख्त कर दे इस को।”

फिर चित्रा ने मेज से युग का व्हिस्की से भरा गिलास उठा और युग के हाथ में थमा दिया और बोली, “ले पहले थोड़ी पी ले और शुरू हो जा।”

फिर कुछ रुक कर बोली, “अच्छा फिश गांड चुदाई से पहले खाओगे या बाद में?”

मुझे भी चित्रा की बातें सुन-सुन कर बड़ी हैरानी हो रही थी और परेशानी भी। कहीं चित्रा ने नशे में अंकल या मेरे साथ हुई चुदाई के बारे में कुछ बोल दिया तो गजब हो सकता था। इसी परेशानी के चलते मेरा लंड ढीला होने लग गया।

चित्रा ने मेरे ढीले होते हुए लंड की तरफ देखा और मुझ से बोली, “अब तुझे क्या हो गया राज? तू क्यों परेशान लग रहा है जो ऐसा गुमसुम बैठा है? और ये तेरे लंड को क्या हो रहा है?” फिर चित्रा मेरे लंड की तरफ इशारा करके बोली, ” ये नीचे की तरफ क्यों हो रहा है? इसे तो और ज्यादा तगड़ा होना चाहिए, इसे अपने पुराने साथी की गांड में जाने का मौक़ा मिलने वाला है।”

फिर युग को एक तरफ करके बोली, “चल युग तू हट, मुझे राज का लंड चूसने दे। मैं करती हूं इसकी हैरानी परेशानी दूर।”

युग एक तरफ हो गया और चित्रा मेरा लंड चूसने लगी। जल्दी ही चित्रा की बातों से और मस्त चुसाई ढीला होता हुआ लंड फिर से कड़क कर दिया।

— शुरू हुई युग की गांड चुदाई और साथ ही चित्रा की मस्ती

जैसे ही चित्रा को लगा कि मेरा लंड सख्त हो गया है तो चित्रा युग की तरफ मुड़ी और बोली, “ले युग, राज का लंड तो हो गया तैयार। अब तू भी तैयार हो जा और उल्टा हो कर लेट जा। तेरे चूतड़ चाट कर तुझे भी तैयार करूं।”

चित्रा की ऐसी बातों से सब सहज हो चुके थे, मगर मुझे बस यही डर लग रहा था कि कहीं चित्रा कुछ उलटा सीधा ना बोल दे। युग बेड के किनारे पर चूतड़ उठा कर उल्टा लेट गया। युग की गांड देख कर मेरा उसी वक़्त गांड चुदाई का मन होने लगा। चित्रा नीचे बैठ कर युग के चूतड़ चौड़े करके चूतड़ों का छेद चाटने लगी।

जल्दी ही युग “आआह चित्रा… आअह चित्रा” करने लगा और चूतड़ हिलाने लगा।

ये देख कर चित्रा खड़ी हो गयी और मुझ से बोली, “आजा राज, लगता है गांड चुदाई के लिए रेडी हो गया है मेरा युग।”

ये कहते हुए चित्रा ने युग के चूतड़ों पर “क्या चूतड़ हैं मेरे युग के” कहते हुए एक जोर का धप्पड़ लगाया और चूतड़ों पर हाथ फेरने लगी।

तभी चित्रा ने अजीब सी ऐसी हरकत की कि मेरी और युग की हंसी छूट गयी। माहौल अब हल्का हो ही चुका था। चित्रा ने युग के कमर पकड़ी और बोली, “चल पहले तो मैं ही चोदती हूं तेरी गांड।”

ये कह कर चित्रा पीछे से युग की गांड पर अपनी चूत से ठप्प ठप्प ठप्प ठप्प करने लगी जैसे चित्रा का लंड युग की गांड में गया हुआ हो, और वो युग की गांड चोद रही हो।

युग ने हंसते हुए सर मोड़ कर पीछे की तरफ देखा और बोला, “अब ये क्या कर रही हो चित्रा?”

चित्रा भी हंसते हुए बोली, “क्या कर रही हूं मतलब? तेरी गांड चोद रही हूं और क्या कर रही हूं।”

थोड़ी मस्ती करने के बाद चित्रा हट गयी और मुझसे बोली, “ले राज, अब मैदान तेरे हाथ में है। दिखा युग को भी और मुझे भी कि कैसी मस्त गांड चुदाई करता है तू।”

फिर कुछ रुक कर चित्रा बोली, “आज तो लगता है मुझे भी गांड चुदाई करवानी ही पड़ेगी।”

फिर चित्रा ने मेरा खड़ा लंड पकड़ा और कुछ संजीदा सी हो कर बोली, “राज करेगा आज मेरी गांड चुदाई?”

चित्रा को गांड चुदाई के बारे में इतना संजीदा देख कर मुझे थोड़ी सी हैरानी सी हुई। मेरी आंखों के आगे चित्रा के मुलायम मुलायम चूतड़ घूम गए। मैंने पूछ ही लिया, “क्या कह रही हो चित्रा, क्या सच में ही गांड चुदवाने का मना हो रहा है?”

चित्रा ने बस इतना ही कहा, “हां राज हो तो रहा है। तू बता चोदेगा?”

मैंने भी सोचा, अगर चित्रा का सच ही गांड चुदवाने का मन हो ही गया है तो फिर चित्रा मुझसे नहीं तो अंकल से चुदवा लेगी। युग तो गांड चोदने से रहा। अगर चित्रा आज गांड में लंड लेना ही चाहती है तो फिर यही सही। मैंने बोल दिया, “ठीक है अगर तेरा इतना ही मन कर रहा है तो चोद दूंगा। तू बस एक बार युग से और पूछ ले।”

युग लेटा हुआ सारी बातें सुन ही रहा था। मेरी बात सुनते ही बोला, “मुझ से क्या पूछना है भई राज, अगर चित्रा का मन है गांड चुदाई का तो चोद ले एक बार। आगे के लिए ये पीछे वाला दरवाजा भी खुल जाएगा।”

मैं कुछ बोलता, इससे पहले चित्रा ही बोल पड़ी, “ले राज, अब तो युग ने भी बोल दिया अब तो तुझे आज चोदनी ही होगी मेरी गांड भी।”

चित्रा की गांड चुदाई का ध्यान आते ही मेरे लंड को एक झटका सा लगा। बस अब मुझे इतना करना था कि युग की गांड चोदते हुए मेरे लंड का पानी ना छूटे।

वैसे भी गांड चुदाई के दौरान युग नीचे हाथ कर के मुट्ठ मार कर अपने लंड का पानी छुड़ा लेता था और उसकी तरफ गांड चुदाई खत्म हो जाती थी। उसके बाद बस मैंने ही अपने लंड का पानी छुड़ाना होता था, गांड के अंदर छुड़ाऊं या लंड बाहर निकाल कर मुट्ठ मार कर छुड़ाऊं, ये मेरी मर्जी पर होता था।

युग गांड चुदाई के लिए बिल्कुल तैयार था और लंड गांड में जाने का इंतजार ही कर रहा था। युग बोला, “अब क्या सोच रहा है राज, शुरू कर यार।”

मैंने युग से पूछा, “युग जैल क्रीम है क्या?”

युग बोला, “उधर ड्रेसिंग टेबल के बीच वाले दराज में पड़ी है।”

मैंने ड्रेसिंग टेबल की तरफ इशारा करते हुए चित्रा को कहा, “चित्र ज़रा दराज में से वो क्रीम निकल कर देना। युग की गांड के छेद और अपने लंड पर लगानी है।”

चित्रा क्रीम लेने मुड़ी और मैंने अपना लंड युग की गांड के छेद पर रगड़ना शुरू कर दिया। युग के मुंह से आअह राज आह राज निकलने लगा। युग के अंदर का गांडू अब पूरी तरह जग चुका था।

चित्रा क्रीम की टयूब उठा लाई और बोली, “मैं लगाती हूं।”

ये कह कर चित्रा ने मेरे लंड और युग के छेद पर करीम लगा दी। जब पूरी क्रीम लग गयी तो चित्रा ने एक उंगली पूरी युग की गांड में घुसेड़ दी और हंसती हुई बोली, “वाह क्या फिसल कर गयी है उंगली, इसका मतलब गांड तैयार है राज।”

उंगली डालने पर युग के मुंह से बस इतनी ही आवाज निकली “आआह चित्रा।”

मैंने लंड युग की गांड के छेद पर रक्खा और धीरे-धीरे थोड़ा-थोड़ा अंदर बाहर करते हुए पूरा लंड युग की गांड के अंदर बिठा दिया। चित्रा बड़े गौर से ये सब देख रही थी। चित्रा ने अपनी एक टांग बेड पर रख दी और हाथ नीचे करके अपनी चूत का दाना रगड़ने लगी।

दस मिनट की गांड चुदाई के बाद युग का मन मजा लेने का हो गया। युग ने एक हाथ से अपना लंड पकड़ा और मुट्ठ मारने लगा। एक कुहनी के ऊपर युग का पूरा वजन आने के कारण मेरे लंड के धक्कों से युग इधर-उधर गिरता जा रहा था।

चित्रा ने जब ये देखा तो बोली, “युग तू आराम से गांड चुदवा। मैं करती हूं तेरी लंड का काम।”

ये बोल कर चित्रा युग के पास ही बैठ गयी और हाथ नीचे करके युग के लंड के मुट्ठ मारने लगी।

जरा सी देर में युग ने जोर की सिसकारी ली, “आआह चित्रा… निकल गया मेरा।” और युग के लंड का ढेर सारा पानी चित्रा के हाथ पर आ गया। चित्रा ने जैसे ही हाथ हटाया, युग आगे की तरफ हो गया। मेरा खड़ा लंड युग की गांड में से फिसल कर बाहर आ गया।

— चित्रा की गांड चुदाई

चित्रा ने पास पड़े कपडे से हाथ साफ़ किये और चूतड़ पीछे करके उल्टा लेट गयी, जैसे अभी-अभी युग लेटा था, गांड चुदवाने के लिए।

चित्रा बोली, “आजा राज लंड तो तेरा खड़ा ही है, लगा वो वाली क्रीम और डाल लंड मेरी गांड में।”

मैंने देर नहीं लगाई और चित्रा की गांड के छेद पर ढेर सारी क्रीम लगा दी। उधर मेरा लंड तो पहले से लगी क्रीम से चिकना हुआ ही पड़ा था।

चित्रा के गोरे मुलायम चूतड़ देख कर मेरा लंड काबू में नहीं था। मैंने चित्रा के चूतड़ खोले। चित्रा की गांड का गुलाबी छेद मस्त करने वाला था। ये छेद मैंने देखा तो था, चाटा भी बहुत था। और आज इसमें मेरा लंड जाने वाला था।

किस्मत हो तो ऐसी। पति पत्नी दोनों की चुदाई कर रहा था मैं।

मैंने चित्रा की कमर पकड़ कर लंड गांड में अंदर डालने की कोशिश की, मगर गांड का छेद बड़ा टाइट था। लंड अंदर जा ही नहीं रहा था। जैसे ही मैं जरा सा जोर लगा कर लंड अंदर डालने की कोशिश करता, चित्रा दर्द के कारण आगे की तरफ हो जाती।

युग अब खड़ा हो चुका था। जब उसने देखा की चित्रा की गांड में लंड नहीं जा पा रहा और चित्रा मेरे जोर लगाने पर आगे के तरफ हो जाती है तो युग ने कहा, “ऐसे नहीं होगा राज। चित्रा की पहली गांड चुदाई है, पहली-पहली बार में बड़ा मुश्किल होता है। मैं बताता हूं कैसे करना है।”

मैं एक तरफ खड़ा हो गया और चित्रा भी उठ गयी। हम दोनों युग की तरफ देखने लगे।

[email protected]