अजब गांडू की गजब कहानी-20

पिछला भाग पढ़े:- अजब गांडू की गजब कहानी-19

चित्रा की अंकल के साथ शराब वाली लंड चुदाई की बातें सुन-सुन कर राज का आधे घंटे से खड़ा लंड दर्द करने लग गया। अब राज को लंड का पानी निकालना था। राज में इतना भी सब्र नहीं था कि चित्रा को लिटा कर उसकी चूत में लंड डाल कर चुदाई कर लेता। राज ने चित्रा को लंड का पानी चूस कर ही निकालने को बोल दिया। चित्रा अंकल की तरह राज के लंड की मुट्ठ मार कर पानी निकालने के लिए एक-दम तैयार हो गयी।

अब आगे

— चित्रा ने राज के लंड की सफ़ेद गाढ़ी गर्म मलाई चाटी

“चित्रा की ऐसी चुदाई की ऐसी-ऐसी बातें सुन मेरा लंड जो आधे घंटे से खड़ा था, अब दर्द भी करने लग गया था। मैंने चित्रा को अपना लंड दिखाते कहा, “चित्रा तुम्हारी चुदाई की वाली इस कहानी ने तो इसकी हालत खराब कर दी है। अब इसका करो कुछ।”

चित्रा ने हंसते हुए कहा, “मैंने तो पहले ही कहा था निकाल देती हूं चूस कर। अब बताओ क्या करना है? चूसूं या चूत के अंदर डाल कर निकालना है?”

मैंने कहा, “छोड़ो चित्रा, क्या चुदाई-वुदाई के चक्कर में पड़ना। कहां अंदर जायेंगे चुदाई करने के लिए। यहीं निकाल दो चूस कर। अब रहा नहीं जा रहा।”

“चित्रा हंसी और मेरे सामने नीचे बैठ कर बोली, “चलो इस बार मुट्ठ मार कर निकालती हूं, जैसे अंकल निकलवाते हैं। देखते रहना, कैसे तुम्हारे लंड में से गर्मा गर्म बूंद-बूंद सफ़ेद मलाई निकलेगी और मैं चाटती जाऊंगी। अंकल को तो ये देखने में बड़ा ही मजा आता है। जब तक लंड का पूरा पानी मैं चाट नहीं लेती “आअह चित्रा क्या बात है आअह चित्रा क्या बात है”, यही बोलते रहते हैं।”

“ये कह कर चित्रा मेरे सामने ही बैठ गयी और मेरा लंड पकड़ा और मुट्ठ मारी शुरू कर दी। मुट्ठ मारते हुए चित्रा बोली, “राज क्या सख्त लंड है तुम्हारा  चूसने में ही बड़ा मजा आ रहा है।”

मेरा मजा तो बस अटका ही हुआ था। चित्रा की बातें सुन-सुन कर कुछ ही देर में मुझे मजा आने वाला हो गया और मेरा लंड पानी छोड़ गया।

जैसे-जैसे सफ़ेद, गर्म, गाढ़े पानी की बूंदें लंड से निकलनी शुरू हुई, चित्रा हम्म्म्म  ह्म्म्मम्म की आवाजों के साथ सफ़ेद लेसदार चिकना पानी चाटने लगी। चाटते-चाटते चित्र मेरी तरफ भी देख रही थी। अजीब मस्त करने वाला नजारा था। मैं मन ही मन सोच रहा था, ये तो कमाल ही करने लग गयी थी चित्रा। जब मुझे मजा आ गया और मेरे लंड से पानी निकलना बंद हो गया, तो में ऐसे ही ढीला हो कर सोफे पर पसर गया।

चित्रा भी मेरा लंड हाथ में लिए-लिए मेरे पास ही बैठ गयी, और मुझसे पूछा, “मजा आया राज?”

मजा तो मझे आया ही था, वो भी अजीब मजा। किसी लड़की को ऐसे लंड का पानी चाटते हुए पहली बार देखा था। मैंने कह दिया, “बड़ा ही मजा आया चित्रा। तुम तो कमाल ही करने लग गयी हो।”

मेरी ये बात सुन कर चित्रा हंस दी और बोली, “राज ये कमाल मैं नहीं करने लग गयी, ये अंकल का कमाल है, जिन्होंने ये सब करने की मुझे डाल आदतें डाल दी हैं। कभी-कभी तो यहीं ख्याल सा आता है कि ये सब युग के साथ कैसे कर पाऊंगी। अगर करूंगी भी तो क्या सोचेगा वो मुझे ये सब करता हुआ देख कर।”

— चित्रा के शराब वाली चुदाई

चित्रा ने मुट्ठ मार लंड तो खाली कर ही दिया था, और चूस चाट कर सफाई भी कर दी थी। अब कोइ काम नहीं था, बस मगर चित्रा की शराब पी कर चुदाई करवाने वाली कहानी सुननी ही अभी बाकी थी।

जिस तरीके से चित्रा ने अपनी और अंकल की बातें सुनाई थी, मेरा मन चित्रा की शराब पी कर चुदाई करवाने वाली कहानी सुनने के लिए आतुर था।

मैंने चित्रा से पूछा, “चित्रा उस व्हिस्की वाली बात का क्या हुआ? व्हिस्की पी कर अंकल के साथ जो चुदाई हुई, उसकी रिकार्ड की हुई बातें सुनी थीं? कैसी थीं, क्या क्या बोली तुम?”

चित्र हंसती हुई बोली, “हां राज, व्हिस्की पी कर चुदाई भी हुई और बातों की रिकार्डिंग भी हुई। अगले दिन मैंने और अंकल ने दोनों ने वो रिकार्डिंग सुनी, और वो भी इकट्ठे बैठ कर सुनी और सुनते-सुनते खूब हंसे भी। आधी बातों का तो कोई मतलब नहीं निकल रहा था।

किसी भी बात का दूसरी बात के साथ कोइ लिंक ही नहीं बन रहा था। बस हम दोनों के मुंह से लंड, चूत, चुदाई, फुद्दी, चोदो, डालो चूत में, फाड़ दो मेरी चूत, घुस जाओ मेरी फुद्दी में, झाग निकाल दो चूत की यही सब बकवास निकल रही थी।”

फिर चित्र हंसते हुए बोली, “राज, सच बताऊं तो बिना नशे के तो ये सब बक-बक सुनने का मजा भी नहीं आ रहा था और शर्म भी आ रही थी।”

मैं भी चित्रा की बात सुन कर हंसा और बोला, “चित्रा, अंकल तो सच में ही गज़ब की हरकतें करते हैं चुदाई करते-करते। मैं तो सोच भी नहीं सकता था ये सब कर सकते हैं वो। और क्या-क्या करते है अंकल?”

चित्रा बोली, “अरे राज इतना भी क्या पूछ रहा है। तुम तो आज यहीं हो ना। बोला तो है, हमारी चुदाई असली मजा लेना है तो आज सब कुछ अपनी आखों से देख लेना। अब तो यहां चुदाई के वक़्त ना तो लाइट बंद होती है ना दरवाजा।”

फिर चित्रा जैसे अपने आप से बोली, “बहुत कुछ करते हैं अंकल। ऐसी-ऐसी हरकतें करते हैं अंकल कि अब तो मुझे भी ऐसी हरकतों के बिना चुदाई का मजा ही नहीं आता।” ये कहते-कहते चित्र हंस पड़ी, जैसे कुछ याद आ गया हो।

मेरे लंड ओर हाथ रख कर चित्रा हंसती हुई बोली, “हां राज, देखना और मजे लेना मगर ध्यान रखना, देखते-देखते मुट्ठ मत मार लेना। समझ गए ना? क्या पता आधी रात को अंकल की चुदाई से फारिग हो कर सीधा तुम्हारे पास ही आ जाऊं।”

फिर चित्रा ने एक बार फिर मेरा लंड पकड़ा और लंड को हल्के से दबाते हुए बोली, “सच बताऊं राज, मुझे तुमसे चुदाई करवाने का ज्यादा मजा आया है। अंकल की बेशर्मी वाली बातें, हरकतें और चुदाई है तो बड़ी ही मस्त, मगर मैं अपना और उनका रिश्ता चुदाई करवाते हुए भी मैं नहीं भूल पाती। कहीं ना कहीं मन में ये रहता ही है कि मैं अपने पति के पापा, अपने ससुर से चुदाई करवा रही हूं।”

ये बोल कर चित्रा थोड़ा चुप हुई और फिर बोली, “राज अगर तुम ऑस्ट्रेलिया में ना हो कर यहां लखनऊ में होते तो मेरी चुदाई अंकल के साथ शुरू ही नहीं होनी थी। कानपुर के मनोचिकित्स्क मालिनी अवस्थी, जिनको मैं चाची मिले थे, उन्होंने भी यही कहा था कि अगर राज यहां होता तो कोइ समस्या ही नहीं थी।”

चित्रा की ये बात सुन कर ना जाने मुझे क्या हुआ, मैंने चित्रा को बाहों में ले लिया और उसके होंठ चूसने लगा। जब पांच मिनट के बाद मैंने चित्रा को छोड़ा तो चित्रा बोली, “चलो छोड़ो ये सब बातें राज।

आज मेरी और अंकल की चुदाई देखना जरूर। एक डेढ़ घंटा तो हमारी चुदाई होती ही होती है। आज तो अंकल ने वो वाली गोली भी खाई है, आज तो कम से कम दो घंटे या उससे ज्यादा भी चुदाई चल सकती है।”

शाम होने को थी, लक्ष्मी के आने का टाइम हो गया था। मैं और चित्रा अपने-अपने काम में लग गए। मैंने जा कर गर्म पानी से नहाया और टीवी के आगे बैठ गया। चित्रा भी बाथरूम में चली गयी, उसे तो रात की तैयारी करनी थी। लक्ष्मी शाम का काम करने आ चुकी थी।

— अंकल के साथ दारू का प्रोगाम

सात बजे के आस-पास कार की आवाज सुनाई दी। अंकल आ गए थे। अंकल के आते ही मैंने उन्हें प्रणाम किया। अंकल के हाथ में एक थैला था। अंकल ने चित्रा को थैला दिया और बोले, “चित्रा ये तली हुई फिश है लक्ष्मी को दे दो। मैं दस मिनट में फ्रेश हो कर आता हूं, फिर आज बैठते हैं फॉरेन रिटर्न राज के साथ।” ये कह कर हंसते हुए अंकल बाथरूम की तरफ चले गए।

मैंने भी दिल्ली एयरपोर्ट से लाई शिवाज़ रीगल की बोतल निकाल ली। आधे घंटे में अंकल फ्रेश हो कर आये तो मैंने बोतल उनके हाथ में देते हुए कहा, “अंकल ये आपके लिए।”

अंकल ने बोतल हाथ में ले और देखते हुए बोले, “वाह शिवाज़ रीगल, वो भी अट्ठारह साल पुरानी? भई बड़ी मस्त स्कॉच है। चलो आज यही पीते हैं। चित्रा, जरा लक्ष्मी को बोलना दो गिलास और सोडे लाएगी और साथ ही जाने से पहले फिश भी गरम कर दे।”

आठ बजने वाले थे। लक्ष्मी का जाने का टाइम हो गया था। चित्रा भी रसोई घर में चली गयी। चित्रा और लक्ष्मी दोनों फिश और सोडा ले आयी। सामान टेबल पर रख कर लक्ष्मी चली गयी। अंकल व्हिस्की गिलास में डालने ही लगे थे कि मैंने कहा, “नहीं अंकल, मैं नहीं पीता।”

अंकल हंसते हुए बोले, “अब यार राज इतना भी चूतिया मत समझो मुझे। चार साल ऑस्ट्रेलिया लगा कर आये हो, दारू तो छोड़ो, तुम तो यार ये बताओ और क्या-क्या करते हो वहां? सुना है बहुत बड़ा देश है और आबादी ना के बराबर है। दूर-दूर तक लोग ही नहीं दिखाई पड़ते, सड़कें ही सड़कें और कारें ही कारें दिखाई देती हैं।” और मेरे जवाब का इंतजार किये बिना अंकल ने दो पेग बना दिए और एक गिलास मेरे हाथ में पकड़ा दिया।

मैंने अभी घूंट भरने शुरू भी नहीं किये थे कि अंकल ने गिलास खाली कर दिया और दूसरा पेग बना लिया। कुछ इधर-उधर की, कुछ ऑस्ट्रेलिया की बातें होते रहीं। पीते-पीते नौ बजने को हो गए। अंकल फिर चित्रा को बोले, “युग का फोन आया था। मैंने बताया कि राज आया हुआ है तो बोला, कल वापस आ रहा है।” फिर अंकल मेरी तरफ देख कर बोले, “राज युग कह रहा था अभी दो-तीन दिन रुक कर जाना।”

अंकल तीन मोटे पेग लगा चुके थे और बार-बार चित्र की तरफ देखते और हल्का सा लंड खुजला लेते। जब भी अंकल चित्र की तरफ देख कर हटते थे, चित्रा मुझे आंखों से हल्का इशारा कर देती, “देखो राज अंकल से अब रहा नहीं जा रहा।”

–चुदाई के लिए अंकल की बेसब्री

ठीक नौ बजे अंकल ने एक बड़ा सा पटियाला पेग अपने गिलास में डाला और अपने कमरे की तरफ जाते हुए मुझसे बोले, “अच्छा तो राज मैं चलता हूं। सुबह मिलते हैं।”

फिर अंकल मुझसे बोले, “राज तुम यहीं पीछे वाले कमरे में ही सो जाना, उधर तुम्हारे घर की सफाई वगैरह नहीं हुई।”

फिर अंकल चित्रा की तरफ देख कर बोले, “आज सर बड़ा भारी सा लग रहा है। लगता है गोली खानी पड़ेगी।”

अंकल चले गए और चित्रा हंसते हुए बोली, “राज आज गोली खाएंगे अंकल। आज की पिक्चर लम्बी होने वाली है, ढाई तीन घंटे वाली। देखना जरूर। आज की पिक्चर में फुल एक्शन होगा। आज मजा आएगा पिक्चर देखने वालों को भी।” फिर कुछ रुक कर बोली, “पिक्चर में काम करने वालों को तो फुल मजा आता ही है।” ये कह कर चित्र मेरे पास ही सोफे पर बैठ गयी कर मेरा लंड सहलाने लगी।

जैसे ही चित्रा ने मेरा लंड पकड़ा, मुझे कुछ अटपटा सा लगा। अंकल अभी-अभी गए थे और सारे दरवाजे खुले थे। मैंने चित्रा का हाथ लंड से हटाते हुए कहा, “चित्रा ये क्या कर रही हो, दरवाजा खुला है। अगर अंकल आ गए तो?”

चित्रा ने मेरा लंड एक बार कस के पकड़ा, एक बार मुंह में लिया और छोड़ दिया और बोली, “अरे घबराओ मत करो राज, रात को एक बार कमरे में जाने के बाद बाहर नहीं आते अंकल। अब तक तो अंकल गोली खा कर दारू की चुस्कियां ले रहे होंगे। अब नहीं निकलेंगे कमरे से बाहर। मुझे बता कर जाने का मतलब है आधे घंटे पैंतीस मिनट के बाद मैं चुदाई के लिए अंदर पहुंच जाऊं क्योकि गोली का असर होने में इतना वक़्त लगता है।”

— चित्रा की अंकल के साथ चुदाई की गिनती

मैंने चित्रा से पूछा, “चित्रा एक बात बताओ, कितनी चुदाई हो जाती है तुम्हारी अंकल की साथ?”

चित्रा ने पूछा, ” कितनी? कितनी से क्या मतलब है तुम्हारा? कितनी देर चुदाई चलती है या कितनी बार चुदाई होती है? अगर पूछ रहे हो कितनी देर तो समझ लो डेढ़ दो घंटे से ले कर ढाई तीन घंटे का मैच होता है। अगर तुम्हारा मतलब है कितनी बार, तो समझो युग यहां नहीं होना चाहिए और मुझे माहवारी नहीं आयी हुई होनी चाहिए।”

फिर चित्रा कुछ रुक कर बोली, “वैसे तो राज, माहवारी आई हुई भी हो खाली चूत की चुसाई और चूत चुदाई नहीं होती, बाकी सब कुछ होता है। अगर कहीं लक्ष्मी छुट्टी पर हुई और युग भी यहां ना हुआ तो समझो बवंडर ही आ जाता है। पूरा-पूरा दिन कुछ ना कुछ चलता रहता है, भले ही चुदाई हो या ना हो।”

फिर चित्रा बोली “जब से युग कालेज पूरा करके यहां बाराबंकी आया है, दिन में रोज फार्म पर जाता है। हफ्ते में दो या तीन दिन फार्म पर ही रुकता है। जब से मेरी और अंकल की चुदाई शुरू हुई है अंकल ने तो युग को साफ़ ही कह दिया है, “ये फार्म और डेयरी का काम तुम्हें ही संभालना है अभी से शुरू करो, तभी कुछ समझ आएगा।”

फिर हंसते हुई बोली, ”मन में तो अंकल सोचते होंगे, “तू फार्म संभाल मैं तेरी बीवी संभालता हूं।”

चित्र बोली, “अब खुद ही हिसाब लगा लो राज। महीने में दस बारह दिन तो ये ही हो गए जब युग फार्म पर रुकता है। और अगर कभी अपने गांडू दोस्तों के साथ चार-पांच दिनों के लिए कहीं गांड चुदाई के लिए घूमने-फिरने चला गया तो समझो अंकल की ईद हो जाती है। और युग महीने में एक बार या कभी-कभी तो दो बार दोस्तों के साथ तीन-तीन चार-चार दिन के लिए कहीं बाहर जाता ही जाता है। अब खुद हिसाब लगा लो महीने में कितनी बार चढ़ते हैं अंकल मेरे ऊपर।”

मैंने मन ही मन हिसाब लगाया। ये तो बहुत हो गया। चार दिन महावारी के छोड़ भी दो तब भी पंद्रह से बीस दिन अंकल और चित्रा की चुदाई होती ही थी।

— अंकल के फार्म हाऊस की कहानी

चित्रा के ऐसी ताबड़-तोड़ चुदाई करते हैं अंकल? मैं सोच रहा था अंकल तो जब भी घर पर होते हैं रोज ही चोदते है चित्र को, तो फिर जब अंकल फार्म पर होते हैं और चित्रा उनके पास नहीं होती फिर वो क्या करते होंगे।

मैंने चित्र से पूछ ही लिया, “चित्रा जिस तरह रोज अंकल तुम्हारी चुदाई करते हैं, और जैसी चुम्मा चाटी, चुसाई तुम दोनों के बीच होती है, ये तो कमाल ही है। अब तो मैं हैरान हूं जब अंकल घर पर ना हो कर फार्म पर होते हैं, तब अंकल कैसे रहते होंगे, मेरा मतलब बिना चुदाई के कैसे रह पाते होंगे।”

“राज ये ख्याल एक बार मुझे भी आया था कि चुदाई का इतना शौक़ीन मर्द बिना चुदाई के कैसे रह सकता है। और फिर मीट मुर्गा शराब, ये सब तो अंकल का फार्म पर भी चलता ही है। अब शराब के बाद चुदाई ना हो, ऐसा तो हो नहीं सकता।”

“मैं अक्सर युग के साथ फार्म पर जाती रहती हूं। एक दिन जब युग के साथ मैं फार्म गयी तो मुझे समझ आ गया कि अंकल जब फार्म पर होते हैं तब अपने लंड का पानी कैसे निकलते होंगे।”

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