पिछला भाग पढ़े:- अजब गांडू की गजब कहानी-20
चित्रा की ऐसी मस्त चुदाई की कहानी सुन कर राज हैरान था। चित्र के अनुसार कभी ऐसा नहीं हुआ था कि अंकल घर पर हों और वो चित्रा की चुदाई ना करें, हां चित्रा को माहवारी नहीं आई हुई होनी चाहिए। अब राज के दिमाग़ में सवाल ये था कि जब अंकल घर पर ना हो कर फार्म पर होते हैं, तब बिना चुदाई के कैसे रहते हैं।
राज ने जवाब जानने के लिए चित्रा से पूछ ही लिया। अब आगे-
मेरे ये पूछने पर कि जब अंकल फार्म पर होते हैं, तो चुदाई के बिना कैसे रह पाते हैं? चित्रा ने जो जवाब दिया वो बिल्कुल सटीक और सही था, ”राज, ये ख्याल एक बार मुझे भी आया था कि अंकल जैसा चुदाई का इतना शौक़ीन मर्द एक दिन भी बिना चुदाई किये कैसे रह सकता है। और फिर मीट मुर्गा शराब, अगर ये सब घर पर चलता है तब तो ये सब फार्महाउस पर भी चलता ही होगा। अब शराब के सुरूर के बाद चुदाई ना हो, ऐसा होना तो मुश्किल लगता है।”
“मैं अक्सर युग के साथ फार्म पर जाती रहती हूं। एक दिन जब युग के साथ मैं फार्म गयी तो जो कुछ मैंने देखा, उसे देख कर मुझे सब कुछ समझ में आ गया।”
चित्रा बता रही थी, “राज, फार्म हाउस में एक ही औरत है गौरी, गायों भैसों का ख्याल रखने वाले पंजाब के रहने वाले पूरन की बीवी। पूरन अपने आप को बोलता तो पचास का है, मगर असल में वो साठ पैंसठ से कम नहीं है।”
“बताते हैं पूरन शराब का बड़ा शौक़ीन है। रोज दोपहर से पीना शुरू होता है और रात होने तक एक बोतल देसी शराब पी जाता है। फार्म हाऊस का सारा काम गौरी ही करती है, जैसे साफ सफाई, अंकल का खाना बनाना वगैरह-वगैरह।”
“उड़ीसा की रहने वाली गौरी अट्ठाईस तीस साल की सांवले रंग की गोल-मटोल औरत है। गौरी के सांवली रंगत में अजीब सी कुदरती चमक रहती है, जैसे ढेर सारा तेल लगाया हुआ हो। गौरी इत्र की भी बड़ी शौक़ीन है I हमेशा गुलाब का इत्र लगा कर रखती है।”
चित्रा अपने आप से ही बोली, ”ये हरियाणा पंजाब वालों को अपने यहां की लडकियां तो मिलती नहीं, ओड़ीसा, बंगाल से ऐसी कमसिन जवान औरते ले आते हैं चोदने के लिए। अब गौरी को तो इस उम्र में लंड चाहिए ही और उधर शराबी बुड्ढे पूरन का लंड खड़ा भी होता होगा, मुझे तो इसमें शक है।”
चित्रा बता रही थी, ”मैं भी अक्सर ये सोचा करती थी कि जिस तरीके से अंकल रोज दो-दो घंटे मुझे चोद लेते हैं, फार्म हाऊस में बिना चुदाई के कैसे रहते होंगे? उस दिन युग के साथ जब मं फार्म पर गयी, और जो मैंने देखा, मुझे अपने सवाल का जवाब मिल गया।”
“फार्म हॉउस पर मैंने देखा अंदर कमरे में गौरी अंकल की टांगों की मालिश कर रही थी। अंकल ने बनियान पहनी हुई थी और नीचे तहमद बांधा हुआ था। अंकल तहमद घुटनों से ऊपर तक उठा कर लेटे हुए थे और गौरी टांगों की मालिश कर रही थी।”
“अब तुम बताओ राज, अंकल का तहमद घुटनों से ऊपर हो, और वहां तक की गौरी मालिश कर रही हो, तो लंड गौरी के हाथ से कितनी दूर रह गया? टांगों की मालिश के दौरान अंकल के खम्बे जैसे लंड ने जरा सी भी हरकत कर दी, तो बताओ बेचारी जवान गौरी की चूत का क्या हाल हो जाएगा?”
“शराब तो अंकल फार्म हाऊस में भी पीते ही हैं। अब ऐसे में अंकल दारू चढ़ा कर कर गौरी की चुदाई ना करते हों, ऐसा लगता तो नहीं। वो भी तब, जब गौरी तीस की हो और उसका शराबी पति पूरन साठ साल का बुड्ढा खस्सी।”
चित्रा हंसते हुए बोली, “अब तुम ही बताओ राज, अंकल जैसा हट्टा-कट्टा तंदरुस्त चुदाई का शौक़ीन मर्द, शराब अंदर गयी हुई हो, सामने हो जवान गोल-मटोल नौकरानी और नशे में टुन्न उसका बुड्ढा नशेड़ी मर्द। अब अगर सब एक ही छत के नीचे ये सब ही रहते हों, चुदाई का माहौल तो अपने आप बन ही गया।”
चित्रा की बातें सुन कर मुझे मेरे सवाल का जवाब तो मिल गया। मगर मेरा माथा घूमने लग गया था। मैंने पूछा, “चित्रा एक बात और बताओगी।”
चित्रा हंसी, “अभी भी कुछ कसर रह गयी बताने में? पूछो क्या पूछना है।”
— अंकल का चित्रा की गांड के साथ खिलवाड़
मैंने पूछा, “अंकल ने इतना कुछ कर लिया तुम्हारे साथ, क्या कभी गांड नहीं चोदी तुम्हारी?”
चित्रा हंसते हुए बोली, “क्या राज तुम भी क्या-क्या सोचते हो। तुम साले गांडू लोग, गांड चुदाई की बात किये बिना रह ही नहीं सकते।”
फिर चित्रा बोली, “वैसे राज तुमने सही पूछा है। एक बार जब अंकल पीछे से मेरी चूत चोद रहे थे तो अंकल मेरे चूतड़ों को सहलाते-सहलाते मेरे चूतड़ों की दरार में हाथ फेरने लगे हुए बोले, “चित्रा तुम्हारे चूतड़ बहुत मुलायम हैं। तुम्हारी गांड में लंड डालने का मन कर रहा है।” फिर कुछ रुक कर अंकल ने मेरी गांड के छेद में उंगली डाल दी और बोले, “चित्रा तुम कहो तो एक बार लंड गांड में भी डालूं?”
मैंने कहा, “अंकल अभी तक गांड में डलवाया तो नहीं। आपका मन है तो आप डाल लीजिये। मैं तो अब जो आप जो कहते हैं वही करती हूं।”
“इसके बाद फिर अंकल ने बहुत कोशिश की थी। अंकल का लंड इतना मोटा है, कि मेरी दर्द के मारे चीखें निकल गयी और लंड का टोपा भी अंदर नहीं जा पाया।
उस दिन तो अंकल ने कुछ नहीं किया। मगर अगले दिन अंकल कोइ क्रीम लेकर आये और मेरे चूतड़ों के छेद और अपने लंड पर लगा कर लंड गांड के छेद में डालने के कोशिश करने लगे। मगर वही बात, अंकल मोटा लंड अंदर जा ही नहीं रहा था और दर्द के मारे मेरी जान निकल रही थी।”
“थोड़ी कोशिशों के बाद भी जब अंकल का लंड गांड के छेद में नहीं जा पाया, तो अंकल ने गांड में लंड डालने की कोशिश करनी ही छोड़ दी। सोचा होगा कोइ प्रॉब्लम हो गयी तो लेने के देने ही ना पड़ जाएं। कहीं कोइ ऊंच नीच हो गयी और डाक्टर के पास जाना पड़ गया तो डाक्टर को समझाना मुश्किल हो जाएगा कि गांड का ये हाल क्यों हुआ है।”
“उसके बाद लंड गांड के छेद में अंदर डालने की तो कभी कोशिश नहीं की अंकल ने, मगर एक-दूसरी कहानी चालू हो गयी।”
मैंने हैरानी से पूछा, “दूसरी कहानी? अब ये दूसरी कहानी क्या है?”
चित्रा ने हंसते हुए बताया, “ये उसी दूसरे दिन की बात है जिस दिन अंकल क्रीम ले कर आये थे मगर फिर भी मेरी गांड के टाइट छेद और मेरे दर्द के कारण लंड गांड में नहीं डाल पाए थे।”
“राज उस दिन एक बात तो हुई। अंकल ने क्रीम लगा कर लाख कोशिशें कर लीं, मगर अंकल का लंड तो गांड में नहीं जा पाया। मगर इतना जरूर हुआ कि लंड का पूरा का पूरा टोपा गांड के छेद के अंदर बैठ गया।”
— अब हुई एक नयी कहानी चालू
“अंकल ने मुझे बेड के किनारे पर सीधा लिटाया कर मेरे चूतड़ों के नीचे एक तकिया रख कर मेरी टांगें ऊपर उठा दीं। मेरी चूत का छेद और गांड का छेद, दोनों अंकल के लंड के सामने थे।”
“अंकल ने लंड मेरी चूत में डाला और मेरी चुदाई चालू कर दी। उधर मेरी गांड का छेद क्रीम से पहले ही सना हुआ था। अंकल चूत चोदते-चोदते बीच-बीच में लंड चूत में से निकाल कर टोपा गांड के छेद में बिठा देते। जब चुदाई करते-करते अंकल को मजा आने वाला हुआ और उनके लंड की गरम मलाई निकलने को हुई तो अंकल ने फ़ौरन लंड चूत में से निकाला हुए गांड के छेद पर दबा दिया।”
“लंड पूरा तो अंदर तो जाना ही नहीं था। टोपा अंदर चला गया। अंकल वही लंड के छोटे-छोटे धक्के लगाने लगे। एक हाथ से अंकल ने अपना लंड पकड़ा हुआ था, जिसका टोपा मेरी गांड में था। दूसरे हाथ से अंकल मेरे चूत का दाना रगड़ रहे थे। सच राज,मुझे तो इसमें भी बड़ा मजा आ रहा था”
“दस बारह मिनट यही कुछ चलता रहा। अचानक से मुझे मजा आ गया। जैसे ही मैंने सिसकारी ली, “अंकल निकल गया मेरा। आ गया मजा मुझे। मुझे अपनी चूतड़ों के छेद के अंदर कुछ गरम-गरम गिरता महसूस हुआ। अंकल की सिसकारी, “आह चित्रा, मेरा लंड भी छोड़ गया’, के साथ ही मुझे समझ आया की अंकल के लंड गर्म मलाई मेरी गांड में निकाली है।”
“अंकल ने लंड कस कर गांड के छेद पर दबाया हुआ था। अंकल के लंड का सारा गर्म-गर्म पानी बाहर ना निकल कर मेरी गांड के अंदर ही चला गया। सच में राज बिल्कुल अलग सा, अजीब सा ही मजा आ रहा था।”
“यहीं से शुरू हुई थी ये नई कहानी। अंकल के लंड का पानी मेरी गांड के अंदर था। गांड का छेद चिकना हो गया था। अंकल ने युग के लंड से थोड़ी ही छोटी साइज़ की अपने हाथ की बीच की उंगली मेरी गांड के छेद में डाल दी, और आगे-पीछे करने लगे, जैसे उंगली ना हो अंकल का लंड हो।”
चित्रा ये बोल कर हंसने लग गयी। जब चित्रा की हंसी बंद हुई तो फिर चित्रा बोली, “अंकल पूरा लंड मेरी गांड में डाल कर मेरी गांड तो नहीं चोद पाए, लेकिन ये लंड का टोपा छेद में डाल कर मुट्ठ मार कर लंड का पानी निकालने वाली बात और लंड का पानी गांड में जाने के बाद गांड में उंगली डालने वाला काम अक्सर होने लग गया।”
चित्रा जैसे ख्यालों में खोई अंकल की उंगली अपनी गांड में महसूस कर रही थी। वो बड़ी ही धीमी आवाज में हंसते हुए बोली, “लेकिन राज मजा इसमें भी बहुत आया। अब बाकी चुसाई चटाई चुदाई के साथ ये भी शुरू हो गया। राज तुम भी एक बार ये करके देखना, तुम्हें भी बड़ा मजा आएगा।”
चित्रा हंसते हुए बोली, “वैसे तो राज इतना की काफी है। उंगली ही अंदर बाहर होती रहे वही ठीक है। मुझे भी गांड में पूरा लंड लेने का इतना शौक नहीं। घर में एक गांडू ही काफी है।” ये कहते हुए चित्रा फिर खुल कर हंस दी।
मैंने चित्रा से कहा, “वैसे चित्रा एक बात बोलूं?”
चित्रा ने कहा, “बोलो इसमें पूछने कि क्या बात है?”
मैंने कहा, “चित्रा तुम्हारे चूतड़ हैं ही इतने चिकने और मुलायम हैं, तुम्हारी गांड चोदने का तो मेरा भी मन करता है।”
इस पर चित्रा हंसी, और बोली, “ठीक है राज, अंकल ने तो गांड में डालने की कोशिश कर ली मगर कुछ कर नही पाये। तुम भी कोशिश करके देख लेना। मेरी तरफ से कोइ मना नहीं है।”
— चित्रा के अंकल के कमरे में जाने की तैयारी
यही बातें करते-करते पंद्रह बीस मिनट गुजर गए। अचानक चित्रा ने घड़ी की तरफ देखा और बोली, “चलूं टॉयलेट जा कर पेशाब वगैरह करके चुदाई की तैयारी करूं। चूत की धुलाई तो चुदाई से पहले करनी नहीं है।” ये कहते वक़्त चित्रा हंस दी।
मैं पूछा, “चूत की धुलाई नहीं करनी? मतलब?” तभी मुझे याद आ गया अंकल ने ही चित्रा चूत की धुलाई करने से मना किया हुआ था।
चित्रा बाथरूम की तरफ चलते चलते हंस कर बोली, “मतलब चूत के पानी और पेशाब का नमकीन स्वाद और इनसे मिल कर बनी गंध ही तो मस्त करती है। धुलाई से ये खत्म हो जाती है। आधा-आधा घंटा चूत चूसते चाटते हैं अंकल मेरी। वैसे राज मेरी मानो तो बिना धुलाई की ये चूत चूसने चाटने वाली चीज़ तो एक बार तुम भी ट्राई करना।”
फिर चित्रा चलते-चलते रुक गयी और बोली, “वैसे एक बात बोलूं राज? इस मामले में इंसानों और जानवरों में कोइ ज्यादा फरक नहीं होता।”
चित्र बोल रही थी और मैं उसकी तरफ देख रहा था, “अब कुत्तों, घोड़ों और सांडों के ही देख लो। लंड चूत में डालने पहले कुतिया की, घोड़ी की, गाये की चूत सूंघते चाटते जरूर हैं।”
ये कह कर चित्रा बाथरूम की तरफ चली गयी। मैं सोचने लगा, बात तो चित्रा ने ठीक ही कही है, सांड , घोड़ा, कुत्ता भी चुदाई से पहले चूत सूंघते, चाटते हैं।
पंद्रह मिनट बाद चित्रा आयी और बोली, “मैं अंदर जा रही हूं राज। गलियारे की लाइट बंद रहेगी। कमरे का दरवाजा भी खुला होगा और अंदर कमरे की लाइट भी जल रही होगी। लंड हाथ में पकड़ लेना और मजे लेना।”
फिर रुक कर बोली, “और हां मुट्ठ मार कर लंड का पानी मत छुड़ाना। अंकल की चुदाई से फारिग हो कर सीधी तुम्हारे पास ही आऊंगी।”
इतना बोल कर चित्रा मुड़ कर चली गयी और गलियारे की लाइट बंद कर के कमरे में गयी मगर दरवाजा खुला रहने दिया।
–चित्रा और अंकल की धुआंधार चुदाई का आंखों देखा हाल
चित्रा के पीछे-पीछे मैं भी जा कर दरवाजे के पास खड़ा हो गया। कमरे की लाइट का बल्ब ऐसी जगह था कि दरवाजे के बाहर लाइट बिल्कुल भी नहीं आ रही थी, मगर अंदर का सब कुछ साफ़-साफ़ दिखाई दे रहा था।
चित्रा अंदर कमरे में चली गयी।
अंदर अंकल बिल्कुल नंगे थे लेटे हुए थे। चित्रा भी अपने कपड़े उतार रही थी। कपड़े उतार कर चित्रा बेड के पास खड़ी हुई तो अंकल ने हल्का सा सर हिलाया, और अपने दोनों बाजू उठा दिए। चित्रा ने हां में सर हिलाया, और बिस्तर पर चढ़ गयी। चित्रा ने टांगें अंकल के दोनों तरफ करके, दोनों हाथों से चूत की फांकें खोली और अंकल के मुंह के बिल्कुल ऊपर बैठ सी गयी। जरूर अंकल ने कहा होगा, “चित्रा चूत का रस पिलवाओ।”
चित्रा के चूतड़ अंकल के लंड की तरफ थे। अंकल ने चित्रा की कमर पकड़ी और चूत चाटने लगे।
ये नजारा पूरे दस मिनट तक चला। फिर अंकल ने चित्रा को उठाया और फिर से कुछ कहा। चित्रा ने हां में सर हिलाया और बेड के किनारे उलटा होकर घुटनों और कुहनियों के बल लेट गयी। अंकल ने चित्रा के चूतड़ खोले और गांड का छेद चाटने लगे। ये सीन देख कर मेरा तो अपना लंड खड़ा होने लगा।
अंकल ने फिर चित्रा को कुछ कहा और कुछ सेकंड के बाद फिर गांड का छेद चाटने लगे। जरूर अंकल ने कहा होगा, “चित्रा गांड का छेद ढीला करके खोलो मैंने जुबान गांड के छेद में डालनी है।
मैं सोच रहा था ‘ये तो हद्द ही हो रही है।
आधे घंटे की गांड और चूत की चुसाई चटाई के बाद अंकल उठे और चित्रा के चूतड़ों को हल्का सा छुआ। चित्रा ने चूतड़ ऊपर उठाये और टांगें थोड़ी चौड़ी कर दी।
मतलब अब असली खेल चालू होने वाला था। अब शिकारी असली शिकार करने की तैयारी में था। अंकल पीछे से लंड को चूत की छेद पर रखा और चित्रा की कमर पकड़ ली। चार पांच सेकंड के लिए अंकल रुके जैसे मन में गिनती कर रहे हों। रेडी… एक… दो… तीन… ये गया। और एक जोरदार झटके के साथ अंकल ने लंड चित्रा की चूत में जड़ तक बिठा दिया।
फिर अंकल ने कुछ कहा और लंड चित्रा की चूत से बाहर निकाल लिया। पक्की बात है अंकल ने कहा होगा, “चित्र चूत भींच कर टाइट बंद कर लो। अब अंकल पूरा लंड बाहर निकल कर एक झटके से चूत में डाल रहे थे। पंद्रह बीस मिनट चली ये चुदाई गज़ब की चुदाई थी।
इस चुदाई में अंकल इतनी जोर से लम्बे धक्के लगा रहे थे कि अंकल के लटकते टट्टे चित्रा की गीली चूत के साथ टकरा कर आ रही ‘ठप्प ठप्प’ की आवाजें मुझे भी सुनाई दे रहीं थी।
जब अंकल ने चूत में धक्के लगाने शुरू किये तो साफ़ दिखाई दे रहा था। जब अंकल लंड बाहर निकालते तो चित्रा को थोड़ा आगे कर देते, और जब लंड झटके के साथ चूत के अंदर डालते तो चित्रा को पीछे खींच लेते। हर धक्के पर ठप्प ठप्प ठप्प की आवाज हो रही थी।
मानने वाली बात थी अंकल दिल से चुदाई करते थे चित्रा की, और चित्रा भी चुदाई में अंकल का पूरा साथ दे रही थी। तभी तो इतनी मस्ती के साथ चित्रा ने अंकल के साथ अपनी चुदाई की कहानी सुनाई थी।
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