मेरे चारों बच्चे मेरी जान-3

कुछ मिनटों के बाद, मैंने हलके हलके से उसके होंठ चूसना शुरू किया। अब वो भी मेरे चुम्बन का उतर दे रहा था। उसने धीरे से मेरे एक हाँथ में अपना हाँथ फसा लिया। मेरा दूसरा हाँथ उसके छाती पेContinue reading… मेरे चारों बच्चे मेरी जान-3

मेरे चारों बच्चे मेरी जान-4

अगले दिन से मेरी और अभिषेक की एक नयी दुनिया शुरू हो गयी। अगला दिन रविवार था तो सारे बच्चे रविवार को देर से उठते हैं और कामवाली भी देर से ही आती है। लेकिन माँ होने के नाते मैंContinue reading… मेरे चारों बच्चे मेरी जान-4

मेरे चारों बच्चे मेरी जान-5

अभिषेक उठ कर मेरे चुत पे एक चुम्मी देकर चुत के दीवार को खोलने लगा और अपने खड़े लंड को सीधे अंदर घुसा दिया। अब वो सिखने लगा था। इतने तेज़ी से घुसाया की मेरी बहुत ज़ोर की चीख निकलContinue reading… मेरे चारों बच्चे मेरी जान-5

मेरे चारों बच्चे मेरी जान-6

शाम हुयी, सारे कर्मचारी चले गए। मैं हमारे रेस्ट रूम में आ गयी। अभिषेक गेट वगैरह लॉक करने के लिए निचे था। इतने में मैंने अपने कपड़े खोल लिए, सिर्फ ब्रा-पैंटी में आ गयी, अपने बाल खोल लिए, एक गाढ़ीContinue reading… मेरे चारों बच्चे मेरी जान-6