चित्रा और मैं-5

उठ खड़े होकर सबसे पहले तो घर के दरवाज़े अच्छी तरह बंद किये, जिससे कोई भी बिना बैल बजाये अंदर ना आ जाए। और फिर सभी खिड़की के परदे सरकाए, क्योंकि हम दोनों का कपड़े पहनने का मूड ही नहींContinue reading… चित्रा और मैं-5

चित्रा और मैं-6

चित्रा की लेक्चर वाली बात मैंने सुनी-अनसुनी सी करके पास ही रखे एक स्टूल को उसकी कुर्सी के पास खिसकाया, और उस पर खड़े होकर अपने चूत चूमने की वजह से टन्न हुए लौड़े को चित्रा के गाल से छूContinue reading… चित्रा और मैं-6

चित्रा और मैं-7

चित्रा बैडरूम में ही चाय लेकर आ गयी और हमने वहीं चाय पीते-पीते यह तय किया कि क्योंकि अभी 3:30 ही हुआ थे, तो हम पहले बाहर थोड़ा घूम कर और गोल-गप्पे खा कर आते हैं। जल्दी ही कपडे पहनContinue reading… चित्रा और मैं-7

चित्रा और मैं-2

इत्तेफ़ाक़ से अगले शनिवार को ही मम्मी-पापा को सुबह 6 बजे एक सत्संग में जाना था, और चित्रा और मैं भी उस दिन जल्दी उठ गए थे। पापा-मम्मी के चले जाने के बाद मैंने चित्रा कहा कि पहले वह नहाContinue reading… चित्रा और मैं-2

चित्रा और मैं-4

फिर लौड़े के सामने एक गिलास पकड़ा एक हाथ से और दूसरे हाथ से लौड़ा पकड़ कर बोली “पहले अच्छी तरह मूत लो, फिर कुछ करूंगी।” मैंने भी आराम से मूता और कहा कि “आगे और कुछ करने से पहलेContinue reading… चित्रा और मैं-4