पति और देवर के साथ सुहागरात

मैं कशी की रहने वाली हूँ। अभी मेरी शादी को 2 साल हुए है। कुछ दिन से मेरी पति मुझसे एक अजीब सी मांग कर रहें थे। वो बार बार बस एक ही बात कर रहें थे ‘एक बार आकाश को अपनी चूत दे दो’ आकाश मेरा देवर है। उम्र में मेरे पति और मुझसे छोटा है।

शुरू शुरू में तो मुझे बड़ा बुरा लगा की कैसा पति है जो अपनी धर्मपत्नी को किसी दूसरे मर्द से चुदवाने की इक्षा रखता है। पर बाद में मुझे पूरी बात पता चली। दरअसल आकाश को कैंसर हो गया था। डॉक्टर ने मेरे पति से कहा की आकाश कुछ दिन का मेहमान है। इसलिए वो जो जो चाहता है उसे दे दी। जब मेरे पति ने उससे पूछा तो उसने मुझे चोदने की इक्षा जताई।

क्यूंकि 2 साल से वो मेरे रूप रंग को देखता आ रहा था। इसलिए वो मुझे एक बार चोदना चाहता था। जब मैं ये बात सुनी तो मुझे बहुत बुरा लगा की मेरा देवर अब कुछ दिन का मेहमान है। आकाश को ब्लड कैंसर हो गया था। उसके बचने की कोई सम्भावना नही थी। इसलिए मैं भी तयार हो गयी। मरने से पहले मैं अपने देवर की ख्वाहिश जरुर पूरी करुँगी मैं सोचा।

अगले दिन महेंद्र[ मेरे पति] बजार से ढेर सारे गुलाब के फूल ले आये। उन्होंने आकाश के कमरे को सुहागरात जैसा सजा दिया। बेड पर साफ और नई चादर बिछा दी। मेरा देवर आकाश मरने से पहले अपनी भाभी यानि मेरे साथ एक बार सुहागरात मनाना चाहता था। तो उस रात मैं भी खूब सज धज गयी। मैं अपनी बनारसी साड़ी पहनी थी। ढेर सारा मेकप किया था। पति मुझको लेकर आकाश के कमरे आया।

लो आकाश” तुम्हरी भाभी आज रात के लिए तुम्हारी है? मेरे पति ने कहा और मेरा हाथ आकाश के हाथ में दे दिया। हम दोनों ने आकाश को ये नही बताया था की उसको ब्लड कैंसर हो गया है। वरना वो शॉक हो जाता और समय से पहले ही उसकी मौत हो जाती। डॉक्टर ने कहा था की उसे ये न बताया जाए।

आकाश:- भाई आप भी साथ में सुहागरात मनाओ” मेरी पति थोडा शर्मा गए। ठीक है” मैं उनकी तरह से हाँ कर दी। अपने देवर को लेकर मैं कई बार अपनी चूत में ऊँगली की थी और मुठ मारी थी। पर आज देवर का लंड खाने को मुझे मिल जाएगा। एक नया लंड का स्वाद मुझको मिल जाएगा। हम तीनों को सुहागरात शुरू हो गयी। मेरे देवर आकाश ने मुझे अपने बिस्तर पर बिठा लिया। मेरे पति ने पुरे बिस्तर पर गुलाब के पंख तोड़ तोड़ कर बिखेर दिए थे। आकाश और मेरे पति महेंद्र दोनों ने नए कपडे पहने थे। मेरे देवर मेरे बदन से खेलने लगे. तो मेरे पति भी मेरे पैरों को चूमने लगे। कुछ देर बाद देवर जी ने मुझे नंगा कर दिया। वो मेरे बड़े बड़े मम्मो को वो दबाने लगे।

भाभी रोज आप के ममो ब्लाउज़ के उपर से देखता था. आज मैं अंदर से देख रहा हूँ। भाभी आप बहुत खूबसूरत हो। आप जैसी हसीना मैं आज तक नही देखी” देवर जी बोले। मैं उनके इस कम्मेंट पर बड़ी खुश हुई। क्यूंकि मेरे पति मुझे चोदते तो रोज थे. पर कभी मेरे योवन. मेरे रूप की कभी तारीफ नही करते थे। हर जवान औरत चाहती है की कोई ना कोई मर्द उसकी हर रोज तारीफ़ करे। आकाश [मेरा देवर] मेरे बुब्बूस पीने लगा। जबकि मेरे पति मेरे चूत पीने लगे। ‘पंखुड़ी बेबी” मुझे माफ कर देना। आप सच में बहुत सुंदर हो। मैं कभी तुम्हारी तारीफ ही नही करता हूँ। क्यूंकि मेरा काम मुझको बड़ी टेंशन और तनाव दे देता है।

सॉरी बेबी” पतिदेव बोले।

कोई नही जी ” मैं बोली

देवर जी और मेरे पति दोनों अब नंगे हो गए। देवर जी की ही ये सुहागरात थी। इसलिए उन्होंने मुझे सीधा बेड पर लिटा दिया और मेरे उपर सिर से पाँव तक गुलाब के फूल डाल दिए। मुझे बहुत अच्छा लगा। बड़ी खुशी मिली मुझे। देवर मेरे दोनों स्तन को अपने सख्त हाथ से दबाने लगा। मुझे हल्का हल्का दर्द ही हो रहा था. पर अच्छा भी लग रहा था। आज किसी दूसरे मर्द के हाथों ने मुझे मेरे गुप्त अंगों पर हाथ लगाया था। मुझे अच्छा लगा। आकाश का लंड धीरे धीरे खड़ा होने लगा और कुछ देर बाद तो मेरे पति से भी जादा लम्बा हो गया। मन हुआ की देवर से कहूँ की अपनी भाभी को अपना लंड चुस्वाओ. पर फिर सोचा की ऐसा करना सही नही होगा। इसलिए मैं अपनी इक्षा को दबाए रखा।

आकाश मेरे दोनों बुब्बूस अपने हाथ से गोल गोल आकार में दबाता रहा और पीता रहा। मेरी पति दूसरी तरह मेरी चिकनी संगमरमरी जांघ को सहला और चूम रहें थे। आज मैं २ २ मर्दों से चुदने वाली थी। आकाश के इस कमरे में मैं आज उसके साथ सुहागरात मनाने आई थी। पुरा कमरा फूलों से महक रहा था। कभी सोचा नही था की आकाश को इस भरी जवानी में कैंसर का रोग हो जाएगा। कभी सोचा नही था की वो कभी मेरी चूत मारेगा। पर दोस्तों. इन्सान जो नही सोचता है. वही उसके साथ होता है। आकाश मेरे होंठ. मेरे लब का बार बार रसपान कर रहा था। आखिर मैं उसकी भाभी थी।

मरने से पहले उसकी ये आखरी ख्वाइश तो पूरी कर ही सकती थी। मेरे मेरे माथे को बार बार मुझे अपनी बीबी समझ के चूम रहा था। मेरे दोनों उजले कन्धों को वो चूम लेता था और काट लेता था। मेरे पति अपने छोटे भाई का मेरे लिए उमड़ता प्यार देख कर मुस्कुरा देते थे। कबसे आकाश मुझे और मेरी चूत को चोदना चाहता था। आज उसकी तमन्ना पूरी होने वाली थी। अमिल की आँखों में जहाँ मेरे लिए बेसुमार प्यार था वहीँ मेरी चूत मारने की वासना भी मैं उसकी आँखों में देख रही थी। पतिदेव बार बार मुस्कुराते थे की आज पंखुड़ी तो एक नए मर्द से आज चुद जाएगी। आकाश मुझसे उम्र में छोटा था. इसलिए मुझे उससे किसी तरह की शर्म नही आ रही थी।

तभी आकाश ने मेरा सीधा मम्मा अपने मुंह में भर लिया। आँखे बंद करके मेरे उपर ही लेट गया और पीने लगा। लगा जैसे कोई बच्चा मेरा दूध पि रहा हो। पति मेरी बुर पी रहें थे। करीब एक घंटे तक मेरे दूध पीटा रहा। क्यूंकि वो मेरे साथ अपनी यादगार सुहागरात मना रहा था। मैं उसको किसी भी बात के लिए मना नहीं कर सकती थी। मुझे हर हाल में उसकी इच्छा पूरी करनी थी। आकाश. मेरा देवर मेरे नंगी सपाट. चिकनी पीठ को अपने हाथ से सहलाता था और लेटकर मेरे बुब्बूस पी रहा था। मुझे बहुत अच्छा लगा रहा था। इसके पीछे वजह थी की मेरे पति महेंद्र तो बस मुझे जल्दी जल्दी हर रात चोद लेते थे. और सो जाते थे। बड़े मतलबी सैंया थे वो। पर आज मेरा देवर आकाश मुझे प्रमिकाओं जैसा प्यार कर रहा था। मुझे बड़ा आनंद मिल रहा था। कुछ देर बाद आकाश मेरे दोनों बुब्बूस अच्छे से पी चुका।

भाभी” तुम्हारी चूत में ऊँगली करूँगा” वो बोला।

ठीक है देवर जी. कर लो ” मैं कहा।

मेरी पति अब मेरी चूत ने हट गए। वो मेरे सिरहाने आ गए। उन्होंने अपना लंड मेरे मुंह में डाल दिया। मैं चूसने लगी। मेरा देवर आकाश मेरी चूत पर आ गया। मैं आज सुबह ही अपनी झांटे बना ली थी। क्यूंकि मैं अपने देवर को खुश करना चाहती थी। आकाश ने अपने दोनों अंगूठे से मेरी चूत रबर की तरह फैला दी। उसको मेरी बड़ी सी फटी फटी चूत के दीदार हो गए। मेरा भोसड़ा अच्छी तरह से फट चुका था। क्यूंकि मेरे पति मुझे हर रात चोदते थे। इसलिए मेरा भोसड़ा अच्छे से फट चुका था।

मेरे देवर आकाश के मुंह में मेरा भोसड़ा देख के पानी आ गया।

भाभी” आपने तो भाई का खूब लंड खाया है” आकाश हँसते हुए बोलाहाँ देवर जी. आप सही कहते हो” मैं कहा।

आकाश ने अपने अन्गुठे से जब मेरा भोसड़ा फैलाया तो मेरे मूतने का छेद और उनके नीचे मेरी चूत के दर्शन उसको हो गए। मेरी चूत अंडर ने सफ़ेद चमड़ी वाली थी. जैसा जादा हिन्दुस्तानी औरतों की चूत की चमड़ी अंडर से सफ़ेद होती है। आकाश मेरी चूत पीने लगा। मुझे बड़ी खुशी हुई। क्यूंकि मेरे पति शादी के दिनों में मेरी चूत पिया करते थे। फिर धीरे धीरे उन्होंने मेरी चूत पीना बिल्कुल बंद कर दी। मेरा देवर आकाश आज मेरी चूत पी रहा था। फिर उसने अपना मुंह हटा लिया और अपनी दो लम्बी उँगलियाँ मेरे चूत में डाल दी। मुझे तो स्वर्ग ही मिल गया था। आकाश अपनी २ लम्बी उँगलियाँ जल्दी जल्दी मेरी चूत में चलाने लगा। मैं तो मजे में डूब गयी।

मेरा देवर आकाश तो बड़ा शरारती निकला। जहाँ एक तरह वो मेरे बड़े से फटे हुए चूत में अपनी लम्बी २ उँगलियाँ जल्दी जल्दी चला रहा था. वहीँ वो अपने उन्गुठे ने मेरी मूत करने के छेद को सहला रहा था। बाप रे” उत्तेजना और सनसनी मेरी चूत में बहुत जादा होने लगी। मन हुआ की जहाँ से मैं मूतती हूँ. काश उसमे भी आकाश अपना लंड डाल दे और मुझे पेले। बजाए। उधर मेरे पति मेरे सिरहाने पर आकर खड़े हो गए थे. और मुझे अपना लंड चुसवा रहे थे। दोस्तों. मैं बता नही सकती हूँ की मुझे कितनी मौज आ रही थी। लग रहा था की २ २ लंड मुझको चोद रहें है। आकाश की शरारतों ने तो मेरी जान ही निकाल दी। मेरी चूत से मक्खन निकलने लगा। मारे उत्तेजना के मैं मूतने लगी तो आकाश ने अपना मुंह लगा दिया और मेरा सारा मूत वो पी गया। मुझे बड़ी खुशी हुई। कई मिनटों से वो अपनी २ मोटी मोटी ऊँगली मेरी चूत में कर रहा था. इससे मेरा भोसड़ा और खुल गया और छेद और चौड़ा हो गया

देवर जी” अब अपनी भाभी को और मत सताओ” मुझे अब आप चोदो और सुहागरात मनाओ” आखिर मैं कह ही दिया।

यह सुनते ही जैसे आकाश को नया उत्साह आ गया। फटाफट उसने अपना मोटा लंड मेरे चूत में खोंस दिया और मुझे चोदने लगे। उधर मेरे पति महेंद्र मेरा दूसरी तरह मुंह चोद रहें थे। एक साथ २ २ लौडे का स्वाद मुझको मिल रहा था। देवर जी कबसे मेरी चूत का भोग लगाना चाहते थे। आज जाकर उनका सपना पूरा हुआ था। वो मुझे फट फट करके भांज रहें थे। पति मेरे मुंह में चोद रहें थे। देवर जी मेरे मम्मो को सहला रहे थे। वो मेरी चूत पर अब बड़ी मेहनत कर रहें थे। आ ममा..माँ ..माँ …ऊई ..उई …आह … आह्हह्ह …..” मैं गरम चुदासी होकर गरमा गरम सिसकियाँ ले रही थी। आकाश मुझे जादा से जादा. गहरा से गहरा चोदना चाहता था। मन हुआ की उसे बता दूँ की उसको कैंसर हो गया है। फिर सोचा की बेचारे का सारा मजा तुरंत खत्म हो जाएगा। इसलिए ये रात उसको ना पता चलने पाये। वो मुझे घप करके भांजता रहा. मैं बस उसकी सूरत ही निहारती रही। बताओ जवानी में क्या किसी की मरने की उमर होती है। मैं तो बस अपने देवर जी आकाश को ही देख रही थी।

अनेक जोरदार धक्के देकर वो मेरी चूत में ही झड गया। अब मेरे पति मेरी चूत पर आ गए। उनका लंड खड़ा था. रेडी था. इसलिए वो मुझे ठोकने लगे। आकाश. मेरा देवर मेरे बगल ही लेट गया। उसे पसीना आ गया था। मैं उसके सीने पर उसके काले सीने के बालों को सहलाने लगी। वो अभी कुवार छोरा था। मेरी पति महेंद्र ने मुझको २० मिनट तक लिया फिर वो भी झड गए। आकाश एक बार फिर से तयार हो गया था।

भाभी” कुतिया बनो” वो बोला।

मैं कोई बहाने नही मारा। कुतिया बन गयी। आकाश ने एक बार फिर से मेरी चूत में लंड दाल दिया। और मुझे लेने लगा। जोश जोश में वो मेरे चूतडों पर जोर जोर से थप्पड़ लगा देता। उसकी मार ने मेरे चुतड लाल लाल हो जाते। ऐसा करते हुए आकाश ने मुझे काफी देर ठोका. फिर मेरे मस्त मस्त चूतडों पर ही उसने अपना सारा माल गिरा दिया। दोस्तों. आकाश के साथ मेरी सुहागरात बड़ी मस्त रही। रात भर उसने मुझे कई बार लिया। पर २ हफ्ते भी ना बिता की आकाश चल बसा। मैं उसकी याद करके बहुत रोई। मेरे पति ने उसका अंतिम संस्कार किया।

आज भी मैं उसके साथ बितायी वो सुहागरात याद करके हर रात रोती हूँ।