शीला की जवानी-3

जिस तरह मकान मालकिन ज्योति ने केक खाते हुए मेरी उंगली चूसी थी ये तो लग ही गया था कि ज्योति मुझसे चुदाई करवाना चाहती थी। मैंने पेण्ट कि ऊपर से लंड पकड़ कर ज्योति को मैंने साफ़ ही कह दिया, “भरजाई कुछ मांग रहा है “।

ज्योति ने मेरे लंड की तरफ देख कर कहा ,” तू नीचे जा जीते। मैं तुझे मिस काल मारूंगी I तू पीछे की सीढ़ियों से आ जा” और मेरे लंड की तरफ इशारा करके बोली, “इसका इलाज करती हूं मैं आज”।

अब मुझे ज्योति की मिस काल आ इंतज़ार था। चालीस मिनट के मुश्किल इंतज़ार के बाद मोबाइल की घंटी बजी और बंद हो गयी।

देखा तो ज्योति की मिस्ड कॉल थी। लंड को एक झटका लगा और लंड एकदम पूरा खड़ा हो गया।

मैंने गिलास में थोड़ी दारू और डाली और पीछे की सीढ़ी से ऊपर चला गया।

दरवाजा खुला था। सारी लाइटें बंद थी बस नाईट बल्ब – रात की धीमी रोशनी वाले बल्ब – ही जल रहे थे।

ज्योति सामने ही खड़ी थी – झीनी नाईटी पहने। साफ़ दिख रहा था की ना तो नीचे ब्रा पहने थी ना ही चड्डी। चूचियों की और चूत की झलक झीनी नाईटी में से साफ़ दिखाई दे रही थी।

ज्योति ने भी गिलास में कुछ डाल रखा था – शायद वोदका थी। “तो ज्योति ड्रिंक भी करती है। कोइ हर्ज नहीं – आज कल सभी हाई सोसाइटी की लड़कियां करती हैं। और ज्योति कौन सी कम है”।

वैसे भी चुदाई से पहले हल्की दारू पीने से चुदाई का मजा दुगना तिगुना हो जाता है।

मैंने अपना गिलास मेज पर रक्खा और ज्योति को बाहों में ले कर बस इतना ही बोला, “मेरी जान भरजाई” और ज्योति के होंठ अपने होठों में ले लिए। दस मिनट हम एक दुसरे के होठों को चूसते रहे।

इस बीच ज्योति मेरा लंड पकड़ चुकी थी और मेरी उंगली ज्योति की चूत का दाना सेहला रही थी।

ज्योति ने चूतड़ हिलाने शुरू कर दिए और बंद मुंह से सिसकारियां लेने लगी हम्म्म्म हम्म्म्म।

लगता था ज्योति की चूत लंड मांग रहे थी। मेरी अपनी हालत खराब थी। लंड इतना खड़ा था की दुखने लग गया था।

मैंने ज्योति के होंठ छोड़ कर कहा, “भरजाई चलें, रहा नहीं जा रहा अब”।

ज्योति ने भी अपना गिलास उठाया और बोली , “आजा”।

मैंने पूछा “भरजाई ….. श्रेया”।

ज्योति बोली, “श्रेया गहरी नींद सोती है। वैसे भी चुदाई से पहले मैं और अमित बाहर से उसके कमरे के कुंडी लगा देते हैं। अभी भी मैंने लगा दी है – आजा तू अब। छोड़ ये सब टेंशनें और असली काम की तरफ ध्यान लगा।”।

“छोड़ ये सब टेंशनें और असली काम” – वाह री मेरी पंजाबन भरजाई ज्योति।

मन में सोचा आज आएगा असली मजा चुदाई का।

ये मानने वाली बात है जितना बढ़िया पंजाबनें और महाराष्ट्रियन लडकियां चुदाई करवाती है कोइ नहीं करवाता।

अगर मेरी किसी ये कहानी पढ़ने वाली किसी महाराष्ट्रियन भाभी, या पंजाबन भरजाई – को लगता है की मैं गलत बोल रहा हूं तो मुझे बता देना – और साथ ये भी बता देना और कहां की लड़कियां बढ़िया चुदाई करवाती हैं।

बहरहाल, मुझे ज्योति अपने कमरे में ले गयी।

उस रात की चुदाई ऐसी हुई जैसे मियां बीवी की होती है। बीवीयां अपने आप ना लंड चूसती है, ना चूत चुसवाती है। ये सब करने के लिए बीवी को बोलना पड़ता है

बीवी तो बस चूतड़ के नीचे तकिया रख कर चूत उठा देती है। टांगें चौड़ी कर के चूत का छेद खोल देती है। मियां लंड अंदर डालता है और चुदाई शुरू हो जाती है। थोड़ी ही देर में बीवी की चूत गरम हो जाती है और वो मस्ती में नीचे चूतड़ों को घुमाने लगती है और चूतड़ों को झटके देने लगती है।

इस चुदाई की ख़ास बात ये होती है कि इसमें बीवी ज्यादा से ज्यादा मजा लेना चाहती है – ऊपर चुदाई करते मियां जी को तो मजा आता ही है।

चुदाईयों के उस्ताद सरदार अजीत सिंह गिल को – यानी मुझे – एक मिनट में समझ आ गया कि ज्योति जोरदार चुदाई चाहती थी।

क्या ज्योति की चुदाई ढंग से नहीं होती थी ? या जितनी चुदाई ज्योति चाहती थी उतनी नहीं होती थी। कुछ तो था।

खैर मुझे इससे क्या लेना कि भरजाई की चुदाई ढंग से होती है या नहीं होती है । मुझे तो बढ़िया चूत चोदने के लिए मिल रही थी, ये क्या कम था ?

ज्योति भी बिस्तर पर लेट गयी। तकिया चूतड़ों के नीचे रख कर चूत उठा दी और टांगें चौड़ी कर दी।

चूत का छेद मेरे सामने था। मैंने अंगूठे से ज्योति की चूत का दाना रगड़ा।

चूत गीली थी और लंड लेने के लिए तैयार थी। मैंने लंड चूत के छेद पर बिठाया और एक झटके से पूरा लंड अंदर दाल दिया।

ज्योति ने एक सिसकारी ली “आह… जीते “।

मैंने ज्योति के पीछे हाथ डाल कर ज्योति को कस कर पकड़ लिया और चुदाई शुरू कर दी।

ज्योति नीचे से पूरा साथ दे रही थी। पूरी चूतड़ ऊपर नीचे कर रही थी।

धीमी धीमी सिसकारियां आआह…….जीते …. ओह …..जीते…… माहौल को और सेक्सी बना रहे थे।

लगातार के धक्कों ने हम दोनों को झड़ने के करीब ला दिया। मेरे धक्कों की स्पीड बढ़ गयी। ज्योति बहुत जोर जोर से चूतड़ घुमा रही थी। अचानक ज्योति ने एक सिसकारी ली आआआआह…..जीते….. निकल गया मेरा। उधर मेरे लंड ने भी ज्योति की चूत गरम पानी से भर दी।

मैं और ज्योति इक्क्ठे झड़े। मैं ज्योति की चूत से लंड निकाल कर उसके साथ ही लेट गया। जब मेरा लंड पूरा बैठ गया तो मैं उठने लगा। मुझे पेशाब जोर डाल रहा था।

चुदाई के बाद अक्सर पेशाब करने का मन करता है। लेकिन ये पहली चुदाई के बाद ही होता है। दूसरी तीसरी चुदाई के बाद नहीं।

ज्योती बोली, “कहां जा रहा है जीते”?

मैंने कहा “बाथरूम, पेशाब करने”।

ज्योति बोली, “पेशाब करके वापस आ जा मेरे पास”।

मतलब एक चुदाई और चाहिए थी ज्योति को।

मेरे लंड में इस ख्याल भर से ही हरकत होने लग गयी। मैं पेशाब कर के आया और ज्योति से बोला, भरजाई आप भी बाथरूम हो आओ। आपकी चूत चूसूं चोदने से पहले”।

ज्योति मस्त हंसी के साथ और बोली, “क्यों ? ऐसे ही चूसने में क्या हर्ज है। जो कुछ भी मेरी चूत मैं है तूने ही तो डाला है”, ये कहते हुए ज्योति बाथरूम चली गयी।

ज्योति मूत कर चूत साफ़ करके आयी और मेरा लंड थोड़ा चूस कर फिर से तकिया चूतड़ों के नीचे रख के लेट गयी।

मैंने ज्योति की चूत चूसी और जब मेरा लंड खड़ा हो गया तो चुदाई चालू कर दी। फिर वही सब शुरू हो गया।

ज्योति ने जो चूतड़ झटकाये के मजा ही आ गया। बीस पच्चीस मिनट की जोरदार चुदाई के बाद मैं और ज्योति दोनों इक्क्ठे झड़ गए।

कुछ देर ऐसे ही लेटने के बाद मैं लंड निकालने को हुआ कि ज्योति बोली, “अभी नहीं अजीत। ये कह कर ज्योति ने मेरे होंठ अपने होठों में ले लिए और चूसने लगी। साथ अपनी चूचियां मेरी छाती के साथ रगड़ने लगी। नीचे ज्योति अपनी चूत को कभी ढीला कर रही थी कभी बंद कर रही थी।

ज्योति के इन तीन तीन कामों ने – होठ चूसने, मम्मे मेरे सीने के साथ रगड़ने और चूत बंद करने खोलने ने – मेरा लंड फिर खड़ा कर दिया।

जब ज्योति को चूत के अंदर लंड की सख्ती महसूस हुई तो बोली, “चल जीते हो जा शुरू, रगड़ दे एक बार और”।

दो बार झड़ने के बाद तीसरी बाद लंड खड़ा ही कहां होता है।

ये तो मेरी अभी तक शादी नहीं हुई थी और मैं पंजाबी जट्ट – चूत का पिस्सू – अजीत सिंह गिल ही था जिसका लंड तीसरी चुदाई के लिए तैयार था, वरना शादी शुदा आदमी तो दो चुदाईयां ही कर ले तो बहुत है।

तीसरी चुदाई में ज्योति दो बार और झड़ी। दूसरी बार झड़ते हुए ज्योति ने बहुत शोर मचाया आआआआह … जीते…… जीते ….आआआआह…मजा आ गया जीते…चोद दे ….. आआआआह ….. रगड़ दे जीते ….रगड़ दे …..आआआआह ….. गयी मैं ….. रगड़ दे…. आआआआह।

मुझे तो लगा कहीं इतनी जोर जोर की सिसकारियो और आवाजों से श्रेया ही ना जाग जाए।

खैर ऐसा तो नहीं हुआ, श्रेया तो नहीं जागी मगर चुदाई मस्त हुई।

इस तीसरी चुदाई ने तो मुझे भी पस्त कर दिया ज्योति तो बिलकुल ढीली ही हो गयी। मेरा मन उठने का नहीं था। मैं वहीं सो गया, ज्योति के साथ ही।

सुबह साढ़े पांच बजे ज्योति ने ही मुझे जगाया।

मैंने फटाफट कपड़े पहने और पीछे की सीढ़ीयों से नीचे उतर गया।

सीधा बाथरूम जा कर शेव की, नहाया और तैयार हो कर एक घंटे बाद बाथरूम से बाहर निकला।

बाहर से अखबार उठाने के लिए बाहर का दरवाजा खोला ही था कि ज्योति हाथ में थर्मस पकड़ कर आ गयी।

ज्योति भी नहा धो कर तैयार हो चुकी थी। ज्योति बोली, “ये ले जीत चाय लाई हूं। बड़ी मेहनत की तूने रात को”।

मैंने थर्मस ज्योति के हाथ से ली और बोला, “भरजाई मेहनत तो आपने भी बराबर की ही की”।

ज्योति जाने के लिए मुड़ी और एक बार फिर बोली, ” अजीत एक बात बोलूं, चुदाई बहुत मस्त करता है तू। ऐसे ही बाकी दिन भी करता रह, आने वाले इतवार को तेरा इनाम पक्का”।

मैंने सोचा “इनाम”?

शीला ही थी गली में, जिसको मैंने छेड़ा था, और शीला ने ही ज्योति को इस बारे में बताया भी था। तो क्या जवान कुंवारी शीला चुदेगी इतवार को ? मेरा लंड इस ख्याल से ही खड़ा होने लग गया। मैंने लंड खुजाया तो ज्योति बोली, “अरे जीते इसको बोल रात तक तो सबर कर ले। और हंसते हुए ज्योति सीढ़ियां चढ़ गयी”।

“रात तक तो सबर करले “!!! मतलब आज फिर चुदाई होनी थी।

जब मैं तैयार होकर अपने ऑफिस जाने लगा तो ज्योति भी उसी समय अपने ऑफिस जाने के लिए उतरी।

सामना होते ही बोली, “अजीत, एक बात बोलूं – बड़ा मस्त चोदता है तू। आधी रात तक तो मजा ही आता रहा मुझे”।

मैंने भी कह दिया, भरजाई चुदाई तो आप भी मस्त करवाती हो चूतड़ घुमा घुमा कर। मुझे तो खुद बड़ा मजा आया”। ज्योति चलते चलते मुझे याद करवाती हुई बोली, “चल चलती हूं, आज रात फिर तैयार रहना”।

ये रात की चुदाई का सिलसिला शनिवार तक यानी पूरे छः दिनों तक चलता रहा।

ज्योति की मिस्ड कॉल आ जाती और मैं पीछे की सीढ़ियों से ऊपर पहुंच जाता। आने वाले इतवार तक कोइ दिन ऐसा नहीं गया जब मैंने ज्योति को दो या तीन बार न चोदा हो

मगर अगली रातों की चुदाईयां पहली रात को हुई चुदाई से बिलकुल अलग थी।

ये चुदाईयां मियां बीवी वाली नहीं आशिक माशूक वाली थीं।

ज्योति ने हर वो काम कर दिया, जो उसने पहली रात नहीं किया था।

मेरे ऊपर उलटा लेट कर आधा घंटा घंटा उसने मेरा लंड चूसा कर अपनी चूत चुसवाई। इतनी चुसाई के बाद हम दोनों एक दुसरे के मुंह में ही झड़ गए।

इसके बाद ज्योति ने मुझे खड़े लंड पर नीचे लिटा दिया और लंड पर बैठ कर एक यादगार चुदाई की। कभी पीछे से चूत में लंड लिया, कभी बिस्तर के किनारे लेट कर मेरे कंधों पर टांगे रख कर लंड अंदर करवाया।

एक बार तो बैठ कर मेरा लंड अपनी चूचियों में दबा लिया और बोली चोदो अजीत मेरी चूचियों को – निकालो अपना गरम पानी इनके ऊपर।

सोमवार को शुरू हुआ ये चुदाई का सिलसिला शनिवार तक ऐसा ही चला। छह दिनों की चुदाई क्या थी जन्नत की सैर थी।

चुदाई तो मस्त होती थी मगर एक खटका बना ही रहता था। चुदाई से पहले श्रेया का कमरा बाहर से बंद का देते थे। कई बार लगता था कहीं श्रेया जाग ही ना जाये।

अगले दिन इतवार था I मैं बाहर कुर्सी पर बैठा अखबार पढ़ रहा था कि ज्योति श्रेया को लेकर नीचे उतरी।

मैंने ऐसे ही पूछा “भरजाई आज सुबह सुबह किधर” ?

ज्योति बोली, “श्रेया को इसके नानके – ननिहाल – छोड़ने जा रही हूं। नीरज के बच्चों के साथ बड़ी खुश रहती है।

रात वहीं रुकेगी, सुबह नीरज छोड़ जाएगा।

ज्योति का मायका बठिंडा में ही है। ज्योति के भाई नीरज के बच्चे श्रेया के बराबर ही हैं।

ज्योति मुझसे बात कर रही थी और श्रेया गेट के बाहर खड़ी थी।

ज्योति धीमी आवाज में बोली, “अजीत आज दिन में शीला आएगी। उसे चोदने के लिए तैयार होजा। बड़ी मस्त चुदवाती है। अपनी चुदाईयों के किस्से मुझे सुना सुना कर मुझे भी गरम कर देती है”।

“अच्छा अजीत सुन, रात को श्रेया तो होगी नहीं, पूरी रात को मैं और तू पूरी मौज करेंगे”।

ज्योति को जाने जल्दी थी। फिर भी मैंने ज्योति से पूछा, “एक मिनट भरजाई, ये शीला गली में तो नहीं लगता किसी से चुदाई करवाती, फिर कौन चोदता है इसे और कहां”।

ज्योति बोली, “किसने कहा गली में किसी से नहीं चुदवाती ? ये शीला मर्दों के मामले में बड़ी नकचढ़ी है। हर किसी को घास नहीं डालती। ये है कि दो तीन ही आदमी हैं जिनसे चुदवाती है। मगर वो भी ज्यादा नहीं, पंद्रह बीस दिन में एक बार।

“शीला के ये सारे चोदने वाले सारे के सारे बिज़नेस वाले मालदार”।

“पंजाबनों की किट्टियां तो तू जानता ही है। इन मालदारऔरतों को इन किट्टियों से फुरसत नहीं मिलती, उनके मर्द बाहर की औरतें चोदते हैं। इन लोगों को ये जवान शीला बड़ी पसंद है। होटलों में ले जा कर चोदते हैं”।

ज्योति मुझे बता रही थी, “अगली गली में दो जवान लड़के हैं – रईसजादे। पढ़ाई खत्म कर के आये हैं। हमारे ही सीमेंट कारखाने में ट्रेनिंग पर हैं। पूरा घर किराए पर ले रक्खा है। शीला उनके घर सफाई का काम भी करती है और चुदाई का भी”।

“एक खासियत और भी है इस शीला की। चुदाई के बदले में पैसा नहीं मांगती – कहती है चुदाई की शौक़ीन है, लेकिन रंडी नहीं है I लेकिन वो चोदू भी शीला को खुश रखते हैं, जिससे आगे कि चुदाई का रास्ता खुला रहे। हर चुदाई के बाद दो चार पांच हजार थमा देते हैं”।

“हफ्ते के हफ्ते मेरे घर का काम करती है, लेकिन पैसा मुझसे भी नहीं लेती – मेरे कपड़े बड़े पसंद हैं इसको – साली पर फबते भी तो बहुत हैं “।

फिर चलते हुए ज्योति बोली, “अच्छा अजीत लेट हो रहा है, चलती हूं, बारह बजे तक वापस भी आना है। शीला आ जाएगी बारह बजे तक। तू तैयार रहना”।

ज्योति तो चली गयी, मगर बारह थे की बजने को ही नहीं आ रही थे।

ज्योति ने कैसे शीला को मुझसे चुदवाने के लिए कहा होगा। ज्योति शीला को नीचे भेजेगी या मुझे ही ऊपर बुला कर अपने सामने शीला को चोदने को कहेगी ? क्या ज्योति भी चुदाई में हिस्सा लेगी ?

जवान शीला का नंगा जिस्म, जिसे मैं पहली बार देखने जा रहा था, मेरी आंखो के आगे से हट ही नहीं रहा था। शीला की चूत, चूतड़ !! शीला चुदवाएगी कैसे, मैं शीला को चोदूंगा कैसे ? क्या शीला गांड भी चुदवाती होगी। सौ सवाल थे जिसका जवाब बारह बजे ही मिलने वाला था।

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