शीला की जवानी-14

ज्योति ने फिर मेरा परिचय नैंसी से करवाया। मैंने हाथ जोड़ कर नैंसी को सत श्री अकाल कहा और सब लोग सीढ़ियां चढ़ गए। ज्योति मुझे भी आने के लिए कह गयी। दरवाजा बंद करके मैं भी ऊपर चला गया।

ज्योति ने बताया था संधू साहब जोक्स (चुटकुले) बहुत सुनाते हैं। उनकी गांड चूत से भरे गंदे चुटकुलों के किरदार हमारी फिल्मों के हीरो हीरोइन होते हैं, जैसे धर्मेंद्र, शाहरुख़, सलमान, कोविंदा, जरीना। संधू साहब ऐसे चुटकुले सुनाने के माहिर हैं, और कहीं भी किसी को भी ये चुटकुले सुना देते हैं।

सब लोग ड्राइंग रूम में बैठ गए। संधू, मैं और नैंसी ड्राइंग रूम में बैठे गपशप कर रहे थे। ज्योति और शीला मेहमान-नवाजी कर रहीं थीं।

शीला ट्रे में गिलास और शराब की दो बोतलें ले आयी, एक संधू की दे हुई वोदका, और दूसरी पीटर स्कॉट।

शीला ने ज्योति का दिया सफ़ेद रंग का सूट डाला हुआ था। शीला काम वाली तो लग ही नहीं रही थी, और ज्योति और नैंसी दोनों को टक्कर दे रही थी, उल्टा जवान होने के कारण ज्योति और नैंसी से ज्यादा सेक्सी लग रही थी। अब ये पता नहीं ज्योति ने संधू को शीला के बारे में क्या बताया था।

शीला की कमीज का गला ज़रा ज्यादा ही नीचा था। वो ऐसे ही कपड़े डालती थी, जिस्म दिखाऊ। जब शीला ट्रे रखने के लिए झुकी, तो उसके आधे मम्मे दिखाई दे गए। संधू का हाथ तो लंड पर ही चला गया। शीला भी कौन सी कम थी। संधू को देख कर कातिलाना अंदाज में मुस्कुरा रही थी।

शीला की बेकाबू जवानी ने संधू को मस्त कर दिया। बस संधू के मुंह से लार ही नहीं टपक रही थी। लंड में से तो चिकना नमकीन पानी निकलने लग ही गया होगा।

शीला ट्रे लेकर आई। उसमें पांच गिलास थे, मतलब शीला भी पीयेगी? कभी शीला को पीते देखा तो नहीं था।

गिलासों में पेग संधू ने ही बनाये। ज्योति संधू से बोली, “सर शीला का मत बनाना। ये नहीं पीती।” फिर भी संधू ने शीला के गिलास में बहुत थोड़ी वोदका डाल दी, दो चम्मच के बराबर। संधू बोला, “कोई बात नहीं, पेप्सी डाल कर साथ तो देगी हमारा ये हसीना।” बर्बाद था संधू शीला के पीछे।

मैं और संधू एक सोफे पर बैठे थे। ज्योति और शीला सामने वाले लम्बे सोफे पर थीं। नैंसी मेरे बाएं और छोटे सोफे पर थी। तीनों लड़कियों के वोदका के पेग तो ठीक ही थे। मेरा और अपना संधू ने पटियाला पेग बनाया और फिर तिरछी नजर से गिलासों को देख कर अपने गिलास में व्हिस्की और डाल दी, पटियाला प्लस।

पहला पेग तो संधू ने एक ही सांस में खत्म कर लिया, पक्के पंजाबी पियक्क्ड़ों की तरह। पहले दो पेग में तो मौसम की बात होती रही। फिर संधू ने मेरी फैमिली के बारे में बात की। बीच-बीच में संधू ज्योति और शीला की तरफ देख कर लंड भी खुजलाता जा रहा था।

नैंसी मुझे देख-देख कर अपनी चूत पर हाथ फेर रही थी। तीसरे पटियाला पेग पीते-पीते संधू को सुरूर हो गया, और उसके जोक्स शुरू हो गये।

उधर शीला की तरफ देखते हुए लंड पर हाथ फेरते-फेरते और दो-तीन ढंग के जोक्स के बाद सीधा संधू गांड पर आ गया।

संधू जब जोक (चुटकुला) सुनाता था, तो फिल्म एक्टर एक्ट्रेसों के नाम लेकर सुनाता था। एक बात मानने वाली थी, संधू के चुटकुले बढ़िया थे,‌और सुनाने का अंदाज भी बढ़िया था, और जोक सुनाने के बाद संधू खुद भी खुल कर हंसता था, और बाकी सुनने वाले तो हंसते ही थे।

संधू ने एक चुटकुला सुनाने लगा, “भई सब लोग जरा ध्यान से सुनोI”

सब संधू की तरफ देखने लगे। संधू ने एक बार शीला को देखा, खड़े होते लंड को ठीक से पायजामे में बिठाया, और शुरू हो गया, “एक बार अपना मनिल कपूर बैठा था कि कोविंदा आ गया। कोविंदा का मुंह सूजा हुआ था, जैसे कहीं से थप्पड़ खा कर आया हो।”

मनिल कपूर ने पूछा, “क्या हुआ कीची, (कोविंदा को उसके फ़िल्मी दोस्त कीची के नाम से बुलाते हैं) गाल क्यों सूजी हुई है? किसी लड़की को छेड़ दिया क्या? गांड में उंगली कर दी क्या किसी के?”

कोविंदा ने गाल सहलाते हुए कहा, “क्या बताऊं यार। मैं बस में बैठा था और मेरे साथ वाली सीट पर एक लड़की बैठी थी। वो जब उतरने के लिए खड़ी हुई, तो उसकी साड़ी उसकी गांड में घुस गयी। मुझे ये अच्छा नहीं लगा। मैंने सोचा लोग देखेंगे तो लड़की बेचारी का मजाक बनेगा। और मैंने साड़ी खींच कर उस लड़की की गांड में से निकाल दी।

अब बता यार मनिल, मैंने कुछ गलत किया क्या? इसी बात पर उस लड़की ने मेरे मुंह पर थप्पड़ मार दिया।”

“मनिल कपूर ने कहा, पर तुझे क्या पड़ी थी उसकी गांड में से साड़ी निकलने की। रहने देता गांड में ही, लड़की की गांड में थी, तेरी गांड में तो नहीं थी?”

कोविंदा ने कहा, “सही कह रहे हो यार मनिल। अब आगे से ऐसा नहीं करूंगा. किसी की भी गांड से साड़ी नहीं निकालूंगा, कसम खाता हूं।”

अगले दिन फिर जब मनिल कपूर बैठा था तो कीची  (कोविंदा) आ गया। अब उसकी दूसरी गाल सूजी हुई थी जैसे फिर थप्पड़ खा कर आया हो।

मनिल ने पूछा “अब ये क्या हो गया कीची, क्या फिर किसी लड़की की गांड में से साड़ी निकाल दी?”

कोविंदा बोला, “नहीं मनिल यार। किसी लड़की की गांड से साड़ी ना निकालने की तो मैंने कसम पहले ही खा ली थी। आज तो कुछ उल्टा हो गया।”

मनिल कपूर ने पूछा, “उल्टा? उल्टा मतलब?”

कोविंदा बोला, “हुआ ये की मैं बस में बैठा था। आज भी मेरे साथ वाली सीट पर एक लड़की बैठी थी। वो जब खड़ी हुई तो मैंने देखा उसकी साड़ी उसकी गांड में घुसी हुई थी। पहले तो मैंने सोचा साड़ी उसकी गांड में से निकाल दूं, पर मुझे पिछले दिन का थप्पड़ याद गया और मैं रुक गया।”

“मैंने तो साड़ी नहीं निकाली, मगर पीछे की सीट पर जो बंदा बैठा था उसने उस लड़की की साड़ी गांड में से खींच कर निकाल दी।”

“मुझे अपना थप्पड़ याद आ गया और मैंने सोचा अब ये चूतिया पिटेगा साला और मैंने हाथ से साड़ी दुबारा लड़की की गांड में घुसा दी। और बस इसी बात पर उस लड़की ने मुझे थप्पड़ जड़ दिया। अब बता यार मनिल, भलाई का तो जमाना ही नहीं रहा।”

सब खुल कर हंसे, शीला भी। नैंसी तो इतनी जोर से हंसी की कमाल हो गया। साथ ही नैंसी ने मेरी टांग पर एक थप्पड़ जमा दिया। मेरा तो लंड ही खड़ा हो गया।

गोरी चिट्टी नैंसी के तरबूज जैसे चूतड़ और उनके बीच का हल्का भूरा गांड का छेद मेरी आंखों के आगे घूम गया। मन तो कर रहा था उठूं और वहीं लिटा दूं नैंसी को और चूत और गांड दोनों चोद दूं।

संधू पांच मिनट तक हंसता रहा, साथ ही अपना लंड खुजलाता रहा।

जब सब की हंसी रुकी तो संधू बोला, “पता है एक बार अरमान खान के साथ क्या हुआ?”

सब लोग संधू की तरफ देखने लगे।

संधू बोला, “अरमान खान एक ऐतिहासिक तलवार खरीद कर लाया इंगलैंड से। बोलता था दस करोड़ की है, और टीपू सुलतान की ख़ास तलवार है। तलवार के हैंडल (हत्थे) पर हीरे जड़े हुए थे। अरमान सब को उस तलवार के बारे में बताता, साथ में कीमत, दस करोड़ बताना नहीं भूलता था। तलवार उसने हाल में दीवार पर टांग रक्खी थी।”

“एक दिन चोर आये और अरमान का बैंड बजा गए। वो तलवार ही चुरा कर ले गए। अरमान ने पूरी फिल्म इंडस्ट्री सर पर उठा ली। दस करोड़ की तलवार, वो भी अरमान खान की, चोरी हो गयी थी! जिसको देखो अरमान के घर तलवार चोरी का मातम मनाने जा रहा है।

पहले गया फारुख़ खान। वो बोला, “बड़ा अफ़सोस हुआ अरमान भाई आपकी तलवार की चोरी का सुन कर। मुंबई की पुलिस तो लगता है चोरों से मिली हुई है। अगर हमारे जैसे लोगों की घर ही लुट सकते है, तो बताओ आम बंदे का क्या होगा? वैसे रक्खी कहां हुई थी तलवार अरमान भाई?”

अरमान ने कहा “रखनी कहां थी फारुख़ भाई वो सामने दीवार पर सजाई हुई थी।”

फारुख़ बोला, “अजीब चूतिये हो आप भी अरमान भाई, दस करोड़ की तलवार , वो भी ऐतिहासिक, और दीवार पर टांगी हुई थी? फिर तो चोरी होनी ही थी।”

अरमान ने भी सोचा, यार सच में ही मैं चूतिया ही हूं। दस करोड़ की ऐतिहासिक तलवार दीवार पर कौन टांगता है।

फारुख़ तो अरमान को बोल-बाल कर चला गया। अगले दिन कामिर खान पहुंच गया। बोला, “ये क्या हो गया भाई? सुना आपकी ऐतिहासिक, दस करोड़ की तलवार चोरी हो गयी? बड़ा अफ़सोस हुआ अरमान भाई आपकी तलवार की चोरी का सुन कर। हद्द है। अब मुंबई में रहना मुश्किल होता जा रहा है। वैसे रक्खी कहां हुई थी?”

अरमान ने भी सोचा अगर दीवार पर रक्खी थी बोल दिया तो ये कामिर भी फारुख़ की तरह चूतिया बोल देगा। कुछ अलग बोलता हूं।

अरमान ने कहा, “कामिर यार बक्से में बंद करके, चेन लगा कर, दो-दो ताले लगा कर, इस पलंग के नीचे रक्खी हुई थी।”

कामिर खान चिल्ला कर बोला, “बक्से में बंद करके और ऊपर से चेन और ताले लगा के, वो भी पलंग के नीचे?” तुम फिल्म स्टार हो या गांडू? तुम्हें इतना भी नहीं पता, चोर सब से पहले ताले में बंद चीज़ों को चुराते हैं। हद्द है यार अरमान। किसी और को ये मत बताना। चूतिया बोलेगा तुम्हें।”

अरमान ने सोचा यार ये कामिर कहता तो सही है। चोर ताले बंद बक्सों को पहले चुराते हैं। कामिर खान को गए दो घंटे भी नहीं हुए होंगे कि कैफ अली खान आ गया। साथ में थी चूसे हुए आम जैसी शक्ल वाली जरीना कपूर खान।

आते ही कैफ बोला, “अरमान भाई-अरमान भाई ये हो क्या रहा है? चोरी चकारी, लूट मार। कोइ तो हद्द होनी चाहिए। सच में बड़ा अफ़सोस हुआ आपकी उस दस करोड़ की ऐतिहासिक तलवार की चोरी का सुन के। ये बेबो (जरीना कपूर) तो बोली अभी के अभी चलो अरमान भाई, नहीं-नहीं “भाई” नहीं बोली, बोली चलो अरमान खान के घर।”

“बड़े ही अफ़सोस की बात है। जरूर किसी बहुत बड़े गिरोह का हाथ है इस चोरी में। चोरी, वो भी अरमान खान की घर? पर अरमान हुआ क्या यार, कैसे हुआ? दस करोड़ की तलवार? रक्खी कहां थी जो चोर ले गए?”

अरमान ने भी सोचा अब क्या कहूं। दीवार या ताले वाला बक्सा, सब तो गड़बड़ हो गया। अब कुछ ऐसा कहना चाहिए कि कम से कम ये कैफ जरीना की सामने ही चूतिया गांडू जैसा ना कुछ बोल दे।

अरमान बोला, “कैफ, तकिये के नीचे रख के सोता था इस दस करोड़ की कीमती ऐतिहासक तलवार को।”

कैफ और जरीना दोनों चिल्लाये, “तकिये के नीचे! ओह भगवान, मतलब या अल्लाह ! तकिये के नीचे? अजीब गांडू चूतिये हो यार तुम अरमान। चोरों को तो पता ही होता है कि लोग अपना कीमती सामान सीने से लगा कर रखते हैं, और तुमने तलवार तकिये के नीचे रख ली? फिर तो चोरी होनी ही थी। पर जो भी है, सच अरमान बड़ा ही अफ़सोस हुआ। चलो बेबो।”

अरमान खान भी सर झुकाये बैठा रहा। कैफ और जरीना ने एक दूसरे को इशारा किया और उठ खड़े हुए और बोले, “अच्छा अरमान चलते हैं। पुलिस में तो शिकायत दर्ज करवा ही दी होगी। और हां कोई और ऐसा कीमती सामान हो तो भाई तकिये कि नीचे मत रखना।”

अरमान ने भी सर हिला दिया। और करता भी क्या। दीवार, ताले वाला बक्सा, तकिये कि नीचे, सब का तो मजाक बन चुका था। सब गांडू चूतिया तो ऐसे बोल रहे थे मानो कोई फिल्म हिट हुई हो।

थोड़ी ही देर में रक्षय कुमार आ गया, और आकर अरमान के पास बैठ गया और तलवार चोरी होने का अफ़सोस जाहिर करने लगा। कुछ रस्मी बातें बोलने के बाद रक्षय ने पूछा, “अरमान तलवार रक्खी कहां थी?”

अरमान खान तो जला भुना बैठा ही था। बोला, “अपनी गांड में छुपाई हुई थी।”

रक्षय ने भी कहा,” क्या? गांड में? इतनी कीमते ऐतिहासिक तलवार गांड में? वैसे यार तलवार छुपाने की जगह तो अरमान तुमने ठीक ही चुनी थी, पर लगता है तलवार पूरी नहीं गयी होगी गांड में। तलवार का हैंडल ( हत्था) गांड के बाहर रह गया होगा और चोरों को दिखाई दे गया होगा, और वो गांड में से तलवार निकाल कर ले गए।”

जोक सुना कर संधू जोर-जोर से हंसा। बाकियों की भी हंसी छूट गयी।

संधू को अगर पांच शब्दों में बयान करना हो तो वो पांच शब्द हैं – हंसमुख, बेशरम, दारूबाज, लौंडियाबाज, चुटकलों का सरताज (किंग ऑफ़ जोक्स)।

संधू के दारू के तीन पटियाला प्लस हो चुके थे। कोई और होता तो फ़्लैट हो चुका होता।

अचानक संधू ने गिलास मेज पर रखा, और शीला की तरफ देखता हुआ ज्योति के सामने चला गया। अपने पायजामे का नाड़ा खोला और लंड ज्योति के मुंह के आगे कर दिया। संधू अपने गधे जैसे लंड को ज्योति के मुंह के आगे लहरा रहा था। ज्योति भी क्या करती। हाथ में पकड़ा भरा गिलास मेज पर रक्खा और लंड मुंह में ले लिया।

संधू का लंड तो ज्योति चूस रही थी, मगर संधू की नजर शीला पर ही थी। पक्की बात है, अगर ये ज्योति का घर ना होता तो संधू शीला से लंड चुसवा रहा होता।

पांच मिनट लंड चुसवाने के बाद संधू ने ज्योति को खड़ा कर लिया और बोला, “चलो।” एक हाथ संधू ने ज्योति की कमर में डाल दिया और शीला को देखते हुए ज्योति को कमरे में ले गया चोदने के लिए।

एक्शन शुरू हो चुका था। नैंसी और शीला मेरी तरफ देख कर चूत पर हाथ फेर रही थी। शीला को अभी इंतज़ार करना था। संधु ज्योति के बाद शीला को ही चोदने वाला था। नैंसी को तो संधू रोज ही चोदता होगा, घर की मुर्गी जो थी।

मेरा लंड हरकत कर रहा था। मेरा मन अब गोरी चिट्टी नैंसी का नंगा जिस्म देखने का था। मैं उठा और नैंसी के सामने खड़ा हो कर लंड पायजामे में से निकाल लिया, और नैंसी के चेहरे के आगे हिलाने लगा, वैसे ही जैसे संधू अपना लंड ज्योति के मुंह के सामने लहरा रहा था।

नैंसी ने लंड पकड़ा और मुंह में डाल कर चूसने लगी। बढ़िया चूसती थी वो, शीला की तरह। मैं सोच रहा था चुदाई भी नैंसी भरजाई बढ़िया ही करवाएगी, शीला की तरह।

वाह री तेरी किस्मत अजित सिंह गिल।

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