रजनी की चुदाई उसी की जुबानी-20 – जवाब नहीं करनाल का

करनाल में चौथा दिन

चुदाई करवा करवा कर मुझे इतनी थकान हो चुकी थी की अब बस सोने का मन था।

मैं बाथ रूम गयी, पेशाब किया – ना गांड धोई ना चूत, ना होठों पर लगा राकेश की लेस साफ़ की, बस बिस्तर पर ढेर हो गयी और सो गयी।

सुबह जब नींद से उठी तो रजनी मेरे साथ ही लेटी हुए थी, नंगी।

मैं उठी बाथ रूम गयी, सारे काम कर के नहा धो कर नंगी ही बाहर निकली। रजनी जाग चुकी थी।

“क्या बात है आभा, तू बड़ी जल्दी सो गयी रात को ? मैं और सरोज तो तेरी चुदाई की कहानी सुंनना चाहते थे, तेरी गांड की हालत देखना चाहती थे, पर तू तो बड़ी ही गहरी नींद में थी”। रजनी ने बिस्तर पर बैठे बैठे ही पूछा।

तभी चाय ले कर सरोज भी आ गयी।

सरोज रजनी को बोली, “जीजी रात को आभा जीजी मस्त चुदी है। तीन घंटे की चुदाई कम नहीं होती। राकेश तो अभी भी सोया हुआ है। रात को जब दीपक से चुदाई करवा के अपने कमरे में गयी तो राकेश लेटा हुआ था। मैंने उसका लंड चूसा की अगर खड़ा हो जाए तो आज रात आख़री एक गांड चुदाई गेम राकेश के साथ भी खेल ही लिया जाये, मगर उसका तो खड़ा ही नहीं हुआ।

सरोज ने बात जरी रखी, “राकेश तो दो बार तो चोदता ही है, मगर दो बार की चुदाई के बाद उसकी ये हालत नहीं होती मैंने कभी नहीं देखी। जरूर उसने दो बार से ज्यादा चुदाई की है। क्यों आभा दीदी ” ?

मैंने कहा, “मैंने गिनती नहीं की, मुझे तो इतना पता है की आख़री चुदाई में मेरी ये हालत हो गयी थी की मेरी चूत का पानी छूटना बंद ही नहीं हो रहा था। मेरा दिमाग सुन्न हो चुका था। जिंदगी में ऐसे चुदाई कभी नहीं हुई होगी। राकेश ने मेरी चूत और गांड एक कर दी”।

“सच सरोज तुम्हारा देवर बड़ा ही तगड़ा चुदकड़ है। तुम बड़ी किस्मत वाली हो की ऐसा बढ़िया चूत चोदने वाला पति और ऐसे बढ़िया गांड चोदने वारा देवर मिले हैं”।

रजनी ने कहा, “चलो गांड दिखाओ तो सही, हम भी तो देखें भाभी के देवर ने क्या हाल बनाया है गांड का”।

कपड़े तो मैंने पहने नहीं थे, मना करने का कोइ मतलब नहीं था। मैं कुहनियों और घुटनों के बल के उकडू लेट गयी और चूतड़ उठा दिए।

रजनी ने मेरे चूतड़ खोले और गांड का छेद देखा। “अरे आभा तेरी तो बड़ी रगड़ी लगती है राकेश ने । लाल हुई पड़ी है, फूली भी हुई है। दर्द तो नहीं हो रही। जरा देखना सरोज “?

मैंने कहा, “दर्द की बात करती हो ? ये सुन्न हुई पड़ी है – इतना रगड़ा राकेश ने है मेरी गांड को। लगता है हफ्ता लगेगा ठीक होने में “।

“अरे नहीं आभा जीजी “, सरोज बोली, “मेरे पास एक क्रीम है, रजनी जीजी की गांड पर भी लगाई थी। कभी कभी राकेश मेरी गांड भी इसी तरह चोद देता है। मैं तो वो क्रीम लगा लेती हूं। दो दिन में ही मेरी गांड फिर चुदने के लिए तैयार हो जाती है। राकेश को मैं कुछ कहती नहीं क्यों की इसी जोरदार रगड़ाई चुदवाई से तो मजा मिलता है “।

“अब कुछ पाने के लिए कुछ त्याग तो करना पड़ता ही है। अगर गांड चुदाई के मजे लेने हैं तो कभी कभी इतने सी तकलीफ सहने में क्या हर्ज है”।

“वैसे भी चूत की सील भी तो टूटती ही है – और तब दर्द भी होता है। पर फिर पूरी जिंदगी चुदाई के मजे भी तो आते हैं “।

” कमाल है, मैं क्या सोच रही थी और सरोज और रजनी क्या सोच रही थीं “।

सरोज और रजनी शायद सोच रही थी की राकेश ने मेरी गांड जरूरत से कुछ ज्यादा ही ज़बरदस्त चोद दी थी और मैं परेशानी में थी। और मैं सोच रही थी की करनाल के इस ट्रिप में अब राकेश से गांड चुदवाने का मौका नहीं मिलेगा “।

“अब क्या किया जाय, हर चीज़ अपनी मर्जी के हिसाब से तो नहीं होती”।

“सरोज मेरी गांड चाटने लगी। सच बड़ा ही मजा आ रहा था। गांड के छेद पर जहां राकेश के लंड ने रगड़ाई की थी वहां सरोज की जुबान हल्की हल्की खुजली कर रही थी। बिकुल ऐसा ही मजा आ रहा था जैसे कोइ सेक्सी चुदाई की फिल्म देखते हुए चूत के दाने को रगड़ने से आता है “।

सरोज बोली, “मैं क्रीम ले कर आती हूं”।

उसके जाने के बाद रजनी मेरी गांड का छेद चाटने लग गयी। क्या मजा आ रहा था। आराम भी मिल रहा था। बड़ी मुश्किल से अपने मजे की सिसकारियां रोक रही थी”।

सरोज करीम लाई और मेरी गांड के छेद पर लगा दी।

मैंने पूछा, “अब तुम लोग बताओ कैसी रही तुम लोगों की चुदाई “।

“बहुत ही बढ़िया, और साथ ही ग्रुप चुदाई में कुछ बदलाव भी किया है”। रजनी ने बताया।

फिर मुझ से पूछा, “आभा आज का क्या प्रोग्राम है”।

मैंने कहा, “आज चुदाई की छुट्टी करते हैं। बहुत रगड़ाई हो गयी”। आज हम तीनो बहनें मिल कर एक दूसरी की चूत और गांड चाटेंगी “।

सरोज ने बीच में ही बात काटी और कहा …….. “और एक दुसरे पर मूतेंगी भी, चुदाई का तो मेरा भी मन नहीं। कुछ ज्यादा ही हो गयी इन तीन दिनों में। क्यों रजनी जीजी “। उसने रजनी की तरफ मुंह कर के पूछा।

रजनी भी बोली, ” चुदाई तो कुछ ज्यादा ही हो गयी अब तक। आज वही करते हैं जो सरोज ने कहा है – एक दूसरी की चूत गांड चटाई और फिर मूत मुताई।

“अच्छा वो ग्रुप चुदाई में क्या बदलाव किया है ” ? मैंने पूछा।

रजनी ने जवाब दिया, “ये आईडिया दीपक और सरोज का है। इनका कहना है की हम लोगों के चूत और गांड की चुदाई, रगड़ाई, चुसाई सब बढ़िया हो चुकी है। जैसे चोदने वाले यानि दीपक, संतोष और राकेश यहां हैं – “मैंने सोचा पंकज और कुणाल भी तो हैं” – और जैसा उन्होंने हमे चोदा है, इससे अच्छी चुदाई नहीं हो सकती, इसलिए कुछ अलग करना चाहिए “।

मैंने कहा, “ठीक है – बिलकुल ठीक है, मगर वो अलग क्या है और क्या हो सकता है। तुम्हीं तो कहती थी रजनी चुदाई तो सब एकसी ही करते हैं, बस लंड ही थोड़े अलग अलग होते हैं “I मैंने रजनी की तरफ देखा।

रजनी ने कहा, “यही तो सरोज और दीपक का आईडिया है। मान लो अगर कोइ ऐसा आ जाये जिसने या तो चूत चोदी ही ना हो या नई नई चुदाई शुरू की हो तो वो कैसी चुदाई करेगा। ये चुदाई चूत और गांड के मजे के लिए नहीं उन नए नवेले, कोरे चुदक्क्ड़ों से चुदाई के मजे लेने के लिए होगा “।

“नए नवेले कोरे “? बात जम तो रही थी। मजा तो आएगा ये देख कर की जिसने अभी अभी चुदाई शुरू ही की हो उसका नंगीं लड़कियों की चूत और चूतड़ देख कर क्या हाल होगा। जब हम उनका लंड अपने मुंह में ले कर उनके सुपाड़े पर अपनी जुंबां फेरेंगी तब क्या होगा।

“मैं तो उन लौंडों की सफ़ेद गर्म मलाई अपने मुंह में छुटाऊंगी”, रजनी ने कहा। “मैं भी ,मैं भी”, मैं और सरोज भी बोल पड़ीं।

एक बात तो सरोज और दीपक की ठीक ही थी की जैसे बढ़िया चुदाई हमारी हो चुकी थी और चल रही थी इससे बढ़िया चुदाई तो क्या होग। अब तो कुछ नया करना चाहिए।

“करनाल की बढ़िया चूत और गांड की चुदाई – मोटे लंड, फूला हुआ लंड का सुपाड़ा, और सब से बड़ी बात कोइ दखलंदाजी नहीं। सब कुछ बढ़िया माहौल में”।

मगर मैंने पूछा, ” और संतोष के साथ मेरी चुदाई “?

सरोज बोली “तुम्हारी संतोष से चुदाई कल होगी। कल संतोष आएगा और परसों सुबह चला जायेगा। दिन में दीपक अपने दोस्त, या जो भी वो हैं, उनको ले कर आएगा। दिन भर उनके साथ मस्ती करेंगे – पता नहीं उन नए लौंडों के साथ चुदाई होती भी है या नहीं या होती भी है तो कैसी होती है। रात को राकेश आएगा उसके साथ कुछ नया करेंगे “।

“नया मतलब ” ? मैंने पूछा।

सरोज ने कहा, “कुछ सोचा नहीं। उसको आने दो, उसके बाद ही सोचेंगे”।

” और वो सेक्स टॉयज़ – रबड़ के लंडों वाली बात “। मैंने रजनी से पूछा।

रजनी बोली, “आभा ऐसे मोटे, फूले सुपाड़े वाले लंडों के बीच प्लास्टिक के लंडों का क्या काम। अच्छा बातें करते करते बड़ी देर हो गयी, मैं भी फ्रेश हो कर आती हूं, तू भी अब कपड़े पहन ले – दोपहर को फिर उतारने हैं, क्यों सरोज “।

“सब हंस पड़े “।

कुछ ही देर बाद हमारी काम क्रीड़ा शुरू हो गयी।

“एक दूसरी की चूत चटाई , चूत के दाने को चूसना , गांड के छेद पर जुबान फेरना , गांड के अंदर उंगली दाल कर गोल गोल घुमाना “।

एक बात हमने और शुरू की जो पिछली बार नहीं के थी। हम में एक नीचे लेट जाती थी और एक चूचियों के ऊपर अपने हाथ से अपनी चूत चौड़ी कर के नीचे वाली की चूची के निप्पल को अपनी चूत के अंदर लेतीं थी और निप्पल को अपनी चूत के पानी से गीला कर देती थी , और फिर अपनी चूत के इस पानी को निपल के ऊपर से चूसती थी ।

“चूत गांड चूची कहीं कुछ करने के लिए रह ना जाए”। और फिर इस सेक्सी फिल्म का अंत हुआ एक दूसरी के ऊपर मूतने से।

उस दिन और तो कुछ होना नहीं था, यही कुछ करते करते सारा दिन निकल गया।

शाम को खाना जल्दी खा लिया।

रजनी ने सुझाव दिया की क्यों की आज सरोज अकेली है – ना संतोष है ना राकेश – इस लिए वो हमारे ही साथ सो जाएगी।

“सुझाव सर्वसम्मती से पास हो गया”। सरोज आज हमारे साथ ही सोने वाली थी, बड़े वाले कमरे में, नंगी।

“नंगी इस लिए कि जितने दिनों से हम यहां थी, एक दिन भी हमने रात को कपड़े नहीं पहने – जरूरत ही नहीं पड़ी “।

आज घर में तीन गायें थी और एक सांड। गायें चुदाई नहीं चाहती थी। गायों ने एक दूसरी की फुद्दी गांड चाट चाट कर तस्सली कर ली थी I पर अगर सांड मस्ती में आ गया और गायों को चोदने का उसका मन किया तो?

“मेरे मन में ये ख्याल आया और मैंने रजनी और सरोज के सामने ये ख्याल रख दिया”।

रजनी और सरोज ने एक दुसरे की तरफ देखा। फिर कुछ सोच कर सरोज ही बोली, “देखो बहनो, माना की हमारी चुदाई बड़ी ही मस्त हो चुकी है और आज हमारी चुदाई की कोई इच्छा नहीं। मगर एक बात सोचो अगर घी को आग के पास लाया जय तो क्या होगा”?

“घी पिघल जाएगा” मैंने जवाब दिया।

“बिलकुल सही” सरोज ही बोली,” तीन तीन नंगी फुद्दियों और सख्त चूतड़ों को देख अगर दीपक का लंड खड़ा हो गया और दीपक ने चुदाई की इच्छा जताई तो चुदाई करवा लेंगीं – करवानी ही चाहिए। ऐसी सूरत में चुदाई से मना करना खुदगर्ज़ी होगी। हां अपनी तरफ से हम उसे चोदने के लिए नहीं कहेंगी, क्यों रजनी जीजी आप का क्या ख्याल है”?

रजनी बोली, “बिलकुल ठीक। हम आज रात चुदाई ना करवाने की बात ही तो कर रही हैं। चूत और गांड पर ताले तो नहीं जड़ दिए”?

सब हंस पडी।

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