रजनी की चुदाई उसीकी जुबानी-18 – आह करनाल वाह करनाल

करनाल में तीसरा दिन

दिन भर की चुदाई के बाद रात को जैसे ही रजनी ने कहा “अब उठ और आ कर मेरे ऊपर और अपनी फुद्दी खोल, मैंने चूसनी है ” I मैं रजनी के ऊपर उलटा लेट गयी और उसकी चूत चाटने लगी। रजनी मेरी फुद्दी चूस रही थी

दोनों की चूतें अभी भी गीली थीं और नमकीन पानी छोड़ रही थी।

“करनाल में हमारी चूतें कभी सूखनी भी हैं या नहीं” ? मैंने मन ही मन अपने आप से सवाल किया।

चूत चूसते चूसते अब सेक्स टॉयज – “रबड़ के लंडो” का ध्यान आ गया – जो हो सकता है हमारी चूत और गांड में जाएं।

“हद्द है”। सोचा नहीं था की करनाल के इस ट्रिप में इतना कुछ होगा।

चूत और गांड की चटाई और धुआंधार चुदाई के कारण बड़ी ही गहरी नींद आयी। सुबह सरोज ने जगाया – चाय ले कर आयी थी। जब उठी तो पता चला हम नंगी ही सो गयी थी। मुझे और रजनी दोनों को बड़ी शर्म आयी। मगर सरोज ने जरा सा मुस्कुरा कर कहा चाय पी लीजिये और फ्रेश हो कर बाहर आ जाइये।

हम दोनों ने नंगी ही चाय पी बाथ रूम गयी और सारे काम कर के नहा कर ही बाहर निकली।

सरोज रसोई में नाश्ते की तैयारी कर रही थी। मैं और रजनी भी उसकी मदद करने लगीं । साथ साथ पिछले दो दिनों की चुदाई की बातें भी चल रही थी – एक दुसरे के साथ मजाक भी हो रहा था।

अब सारा दिन करने को कुछ नहीं था, जो होना था रात को ही होना था। “मोटे लम्बे लंड चूत और गांड में लेने के बाद उंगली करवाने का तो मन भी नहीं कर रहा था। सोच सोच कर ही मस्ती आ रही थी रात को मैंने राकेश से गांड मरवानी थी और रजनी और सरोज ने दीपक से चुदाई करवानी थी “।

रजनी सरोज दीपक की चुदाई में कुछ भी नया नहीं होने वाला था। वो पहले भी इकट्ठी चुदाई करवा चुकी थी, मुझे जरूर इंतज़ार था राकेश के मोटे लंड का। बार बार रजनी की लाल और सूजी हुई गांड आँखों के सामने आ रही थी।

“क्या मेरी गांड की वही हालत होगी जो रजनी की गांड की हो गयी थी ? क्या मेरी गांड भी राकेश चोद चोद कर लाल कर देगा ? क्या मेरी गांड भी चोद चोद कर सुजा देगा ” ?

“अब ये तो रात को ही पता चलेगा की क्या होगा और कैसा भुर्ता बनाएगा राकेश मेरी गांड का ” ?

रात होने का इंतज़ार हम लोगों ने सुबह से ही शुरू कर दिया।

“इंतज़ार की घड़ियां एक तो वैसे ही लम्बी होती है, और इंतज़ार अगर चुदाई करवाने के लिए हो तो और भी लम्बी हो जाती हैं”।

“दोपहर हुई, शाम हुई और रात भी आ गयी”।

राकेश आ चुका था। दीपक तो हमारे पास ही बैठा था।

गांड चुदाई के उतावलेपन ने तो मेरी भूख ही खत्म कर दी। जब थोड़ा सा खाना खा कर मैंने बस कर दिया तो सरोज मजाक में बोली, “क्या हुआ आभा जीजी, खाना तो पूरा खाओ। राकेश आज पूरी रात आपके सपुर्द है मन भर के गांड चुदाई करवाओ। चुदाई करवाने वाली की पूरी तसल्ली कर के ही रुकता है “। फिर रजनी की तरफ देख कर बोली, “क्यों जीजी “?

“रजनी हंस दी”।

मैंने कहा, “ऐसी बात नहीं, पूरा दिन कुछ ना कुछ खाते ही तो रहे हैं “।

सरोज बोली, “मैं तो मजाक कर रही हूं आभा जीजी। वैसे एक बात बोलूं , अगर चूत या गांड चुदवाने का प्रोग्राम हो तो खाना कम ही खाना चाहिए। पेट ज़्यादा भरा हो चुदाई में मजा नहीं आता “।

“कहा था ना मैंने की सरोज बड़ी समझदार औरत है ” !

“खैर, इंतज़ार की घड़ियां खत्म हुई और गांड चुदवाने का वक़्त आ गया।

सरोज बोली, “चलो आभा जीजी – और रजनी जीजी आप पहुंचो कमरे में दीपक भी आ जायगा – हो सकता है कमरे में इंतज़ार ही कर रहा हो। मैं आभा जीजी को राकेश के पास छोड़ कर आती हूं, समझा भी दूंगी आराम से गांड चोदे, कहीं मेरी गांड समझ कर ही ना शुरू हो जाए मुझे तो उसके लंड की अब आदत हो गयी है “। और वो हंस पड़ी I

मैं और सरोज, दोनों सरोज के कमरों की तरफ चल पड़े।

“राकेश के मोटे लंड का सोच सोच कर मेरी तो टांगें कांप रही थी – अब ये गांड फटने का डर था या गांड चुदाई का उत्साह, ये नहीं मुझे समझ नहीं आ रहा था “।

राकेश सोफे पर बैठा था।

सरोज बोली “अरे राकेश, तूने अभी तक कपड़े नहीं उतारे ? क्या कर रहा है, चल कपड़े उतार। आप भी उतरो आभा जीजी। जब तक मेरे सामने ये ” – सरोज ने राकेश के लंड की तरफ इशारा कर के कहा – “आपकी गांड में पूरा नहीं चला जाता मैं जाने वाली नहीं। रजनी जीजी और आप की गांड की सलामती की जिम्मेदारी मेरी है”।

“गांड की सलामती की ज़िम्मेदारी “। मेरी तो हंसी ही छूट गयी।

राकेश भी हंसा और कपड़े उतरने लगा। मेरी नज़र तो उसके लंड पर टिकी थी – “कब बाहर निकलेगा ”

सरोज ने मेरा कंधा पकड़ कर कहा, “आभा जीजी कपड़े उतारो। राकेश का लंड सारी रात आपके पास है, जितना चाहो देख लेना, जितनी बार चाहो गांड में चूत में जहां मन करे, जितनी बार मन करे ले लेना लो। और मुझे भी तो जाना है दीपक का लंड चूसना है “। और वो हंस दी।

सरोज ने मेरी सलवार का नाड़ा खोला और सलवार नीचे खिसका दी। ना तो मैंने उस दिन चड्डी डाली हुई थी ना ही चूचियों के ऊपर ब्रा।

“कौन इतने कपड़े पहने और क्यों पहने, जब उतारने ही हैं तो “।

अगले ही मिनट में मैं और राकेश बिलकुल नंगे थे।

“राकेश का लंड अभी खड़ा नहीं था, लेकिन जिस लड़की ने पहली बार किसी मर्द का लंड देखा हो, उसे डराने के लिए काफी था “।

सरोज बोली “जाओ आभा जीजी, लंड का लौड़ा बना दो”।

मैं भी एक आज्ञाकारी बच्चे की तरह गयी और राकेश के सामने घुटनो के बल फर्श पर बैठ गयी और लंड अपने मुंह में ले लिया। आधे मिनट में ही मुझे महसूस हुआ की मेरा मुंह पूरी तरह किसी चीज़ से भर गया है – मतलब लंड लौड़ा बन चुका था और फनफना रहा था।

मैंने देखने के लिया की कितना बड़ा है, मुंह से लंड निकाला, “हे भगवान, इतना मोटा ! ये गांड में जाएगा कैसे ” ? मगर फिर, सोचा रजनी भी तो ले चुकी है अपनी गांड में ये खूंटा। ”

और फिर हमारी गांड की सलामती की ज़िम्मेदार सरोज भी तो यहीं है”।

राकेश ने मुझे फर्श से उठाया और सोफे पर बिठा दिया, और सामने आ कर खड़ा हो गया।

“राकेश का लंड मेरे बिलकुल होठों के सामने था “। सोफे पर बैठे कर लंड चूसना ज़्यादा आरामदायक था।

सरोज ने पूछा, “राकेश, जैल क्रीम कहां रक्खी है ” ?

“उस मेज की नीचे वाली दराज़ में है भाभी “। सरोज जैल क्रीम की ट्यूब ले आयी।

मैं अभी भी राकेश का लंड चूस रही थी। सरोज ने देखा मुझे लंड चूसने में मजा आ रहा है।सरोज ने भी अपने कपड़े उतार दिए और बेड पर बैठ गयी और मुझे राकेश का लंड चूसते देखने लगी। सरोज की उंगली उसकी चूत पर घूम रही थी।

“बात भी सही थी, अगर एक लड़की लंड चूसने के मजे लूट रही हो तो दूसरी देखने वाली की चूत में खुजली हो ही जाती है “।

सरोज तब तक बैठी रही जब तक मैं राकेश का लौड़ा चूसती रही। जब मैंने लंड मुंह में से बाहर निकला तो सरोज बोली, “कैसा लगा आभा जीजी “।

“एक दम मस्त “, मैंने जवाब दिया।

सरोज खड़े होते हुए बोली, असली मस्ती तो तब देगा जीजी, जब गांड के अंदर जाएगा। इधर आ कर कुहनियां बेड पर रखिये और चूतड़ पीछे कर के खड़ी हो जाइये “। फिर उसने राकेश से पूछा, “तुम्हारा क्या हाल है राकेश ? जीजी की गांड चोदने के लिए तैयार हो” ?

राकेश ने अपने लंड की तरफ इशारा कर के कहा, “आप खुद ही देख लीजिये भाभी”।

“हां वो तो देख ही रही हूं”, कह कर सरोज सोफे पर बैठ गयी और राकेश को घुमा कर उसका लंड अपने मुंह में ले लिया – पूरा का पूरा।

“देवर भाभी का प्यार देख कर मन बड़ा ही प्रसन्न हुआ “।

मैं तो कुहनियां बेड पर रख कर चूतड़ पीछे कर के खड़ी हो गयी थी। ” बस लंड का इंतज़ार था , मगर सरोज राकेश का मोटा लौड़ा चूस रही थी “।
सरोज उठी और मेरी चिकनी सफ़ेद गांड पर हाथ फेरा, दोनों तरफ के नितम्बों – चूतड़ों को – खोला। मेरी गांड के छेद पर ठंडी ठंडी हवा लगी – “बड़ा ही मज़ा आया”।

सरोज ने मेरी गांड के छेद पर अपनी जुबान फेरी। मेरी तो सिसकारी निकल गयी “आआअह्ह्ह सरोज फिर से”।

सरोज ने खूब चाटा मेरी गांड के छेद को। मेरी चूत में से पानी टपक रहा था।

“बस करो सरोज, कहीं चूत का पानी ही ना निकल जाए। बोलो राकेश को डाले गांड के अंदर अपना लंड”।

सरोज उठी और मेरी चूतड़ खोल कर गांड के छेद पर ढेर सारी जैल क्रीम लगा दी। राकेश के लंड पर भी मल दी क्रीम।

“चलो राकेश डालो अंदर, पर वैसे ही धीरे धीरे शुरू करना जैसे रजनी जीजी को किया था “।

राकेश ने आधा सुपाड़ा अंदर डाला और रुक गया लंड बाहर निकाला तो सरोज ने मेरी गाड़ पर और अंदर और जैल लगा दी। राकेश ने फिर डाला – अभी भी आधा सुपाड़ा ही अंदर किया। लंड बाहर निकला, जैल लगाई, आधा सुपाड़ा अंदर किया। आठ दस बार राकेश ने ऐसे ही किया।

आठ दस ऐसे ही कर फिर राकेश ने पूरा सुपाड़ा अंदर कर दिया। फिर थोड़ा रुका। जब लंड के सुपाड़े ने अपनी जगह बना ली तो राकेश ने आधा लंड अंदर कर दिया।

थोड़ी दर्द हुई, मगर अच्छा भी लगा।

“इस सारे समय सरोज मेरे चूतड़ों पर हाथ फेरती रही “।

सरोज ने राकेश को फुसफुसा कर कुछ कहा – “मुझे सुनाई नहीं दिया”।

राकेश ने लंड बाहर निकाल लिया। सरोज ने फिर क्रीम मेरी गांड के ऊपर, अंदर और राकेश के लंड पर लगाई।

राकेश ने लंड का सुपाड़ा मेरी गांड के छेद पर रखा और आधा लंड अंदर कर के रुक गया।

सरोज ने पूछा, “जीजी कैसा लग रहा है “? मैंने कहा बहुत अच्छा लग रहा है।

“और सरोज पीछे हट गयी”।

राकेश ने एक धक्का लगाया और लंड पूरा अंदर था।

जब तक राकेश ने मेरी गांड चोदनी शुरू नहीं कर दी – मतलब नॉन स्टॉप लंड अंदर बाहर करना नहीं शुरू कर दिया, सरोज वहीं खड़ी रही। जब देख लिया की मैं राकेश का मोटा लंड अंदर ले लिया है और इसे झेल लूंगी तभी वो वहां से गयी।

मगर जाने से पहले सरोज मेरे चूतड़ों पर एक प्यार भरा धप्प मारना नहीं भूली। “जैसे बच्चे को किसी बहादुरी के काम के लिए शाबाशी देते हैं”।

“वैसे तो इतने मोटे लंड को गांड में लेना और रगड़ाई करवाना भी बहादुरी का ही काम है ”

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